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Well being Ideas: आज के दौर में जहां लोग एलोपैथिक दवाओं पर निर्भर होते जा रहे हैं, वहीं कई लोग आज भी आयुर्वेदिक औषधियों पर पूरा विश्वास रखते हैं. क्योंकि आयुर्वेद में हर मर्ज का प्राकृतिक इलाज मौजूद है. ऐसी ही एक असरदार औषधि है द्रोणपुष्पी, जो अपने औषधीय गुणों के कारण कई बीमारियों में बेहद फायदेमंद मानी जाती है. इसमें मौजूद औषधीय तत्व शरीर को रोगमुक्त करने में मदद करते हैं और कई स्वास्थ्य समस्याओं से राहत दिलाते हैं.

वैसे आयुर्वेद में द्रोणपुष्पी एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा माना जाता है. यह पौधा हर जगह आसानी से पाया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, द्रोणपुष्पी में कई औषधीय गुण मौजूद हैं. यह पौधा विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में उपयोगी है. द्रोणपुष्पी का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में सदियों से किया जाता रहा है. यह प्राकृतिक रूप से उपलब्ध एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो कई बीमारियों के उपचार में सहायक है. इस पौधे का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है.

जिला अस्पताल बाराबंकी के चिकित्सक डॉक्टर अमित वर्मा (एमडी मेडिसिन) ने बताया कि द्रोणपुष्पी एक औषधीय पौधा है. इसके पत्ते, फूल और जड़ हमारी सेहत और स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. इस पौधे में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं. इसमें ओलीनोलिक एसिड, उर्सोलिक एसिड, 3-सिटोस्टेरॉल, निकोटीन इंफ्लेमेटरी, एंटी बैक्टीरियल, एंटी-ऑक्सीडेंट जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हमें कई बीमारियों से बचाते है.

गठिया की समस्या में द्रोणपुष्पी का काढ़ा काफी फायदेमंद माना गया है. द्रोणपुष्पी पंचांग (पत्ते, फूल, तना, जड़ और बीज) का काढ़ा बनाकर जोड़ों पर सेक करने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है.
इसके अलावा, अगर 10-30 मिली द्रोणपुष्पी के काढ़े में 1-2 ग्राम पिप्पली चूर्ण मिलाकर पिलाया जाए, तो यह गठिया की अंदरूनी समस्या को भी ठीक करने में मदद करता है. यह आयुर्वेदिक तरीका सूजन, जोड़ों के दर्द और अकड़न को कम करता है और धीरे-धीरे गठिया के लक्षणों को नियंत्रित करता है.

सिर दर्द की समस्या में इसके लिए द्रोणपुष्पी के पत्ते के रस से सिर पर लेप करें. इसके साथ ही, नाक के रास्ते लें. इससे सिर का दर्द ठीक होता है. द्रोणपुष्पी पंचांग को पीस लें. इसमें काली मरिच का चूर्ण मिलाकर मस्तक पर लगाएं. इससे भी सिर दर्द ठीक होता है.

बदहजमी के इलाज के लिए भी द्रोणपुष्पी का सेवन कर सकते हैं. द्रोणपुष्पी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं. इससे बदहजमी में लाभ होता है और भूख बढ़ती है.

सर्दी-जुकाम में लाभदायक द्रोणपुष्पी का काढ़ा बनाकर भाप लें या स्नान के दौरान इसका उपयोग करें, इससे सर्दी में राहत मिलती है. 10 मिली गूमा के पत्ते के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस और शहद मिलाकर सेवन करने से भी सर्दी-जुकाम में फायदा होता है. साथ ही, 5-10 ग्राम द्रोणपुष्पी के पत्तों में बराबर मात्रा में वनफ्शा और मुलेठी का चूर्ण मिलाकर काढ़ा बनाएं और उसमें मिश्री मिलाकर 10-30 मिली पीने से सर्दी-जुकाम में लाभ होता है.

लिवर और तिल्ली की समस्या में द्रोणपुष्पी की जड़ का चूर्ण फायदेमंद होता है. इसमें एक भाग पिप्पली चूर्ण मिलाकर 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से लिवर और तिल्ली से संबंधित विकारों में लाभ मिलता है.

पीलिया और एनीमिया की समस्या में द्रोणपुष्पी का उपयोग काफी लाभकारी माना गया है. इसके रस को काजल की तरह आंखों में लगाने और नाक के रास्ते लेने से लाभ मिलता है. 5 मिली द्रोणपुष्पी के रस में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर इसका सेवन करें. साथ ही, 5-10 मिली रस में 500 मिग्रा काली मिर्च का चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से भी पीलिया और एनीमिया में फायदा होता है.