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बाबाजी गुरु घासीदास जी ने जीव-जंतुओं, जंगली जानवरों के संकट निवारण के लिए अपने अलौकिक शक्ति से यहां ‘अमृतजल’ प्रकट किया था, इसका पवित्र अमृतजल बरसों रखने पर भी कभी खराब नहीं होता ऐसी मान्यता है कि इसके पीने से सभी कष्टों का निवारण होता है, गिरौदपुरी धाम में साल भर श्रद्धालु पहुंचते हैं लेकि फाल्गुन पंचमी में लगने वाले तीन दिवसीय मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, जैतखाम के ऊपर पहुंचने के लिए स्पायरल सीढ़ी बनाई गई है, ऊपर से देखने पर कुदरत का अद्भूत नजारा दिखाई देता है.