रोहित भट्ट/ अल्मोड़ा. 10वीं और 12वीं बोर्ड के छात्रों को अब रिजल्ट का इंतजार है. बच्चे इस दौरान काफी नर्वस रहते हैं. उन्हें रिजल्ट की तारीख के नजदीक आने से घबराहट होनी शुरू हो जाती है. वे स्ट्रेस में रहने लगते हैं और दिमाग में तरह-तरह के नकारात्मक ख्याल सोचने लगते हैं. इस वक़्त माता-पिता व घर के बड़े-बुजुर्गों की भूमिका और भी अहम हो जाती है. उत्तराखंड के अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज की मनोचिकित्सक डॉक्टर वीना तेजान Local 18 से खास बातचीत में बताती हैं कि बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट आने को लेकर छात्र काफी नर्वस रहते हैं. इसके अलावा उनमें कई हार्मोनल चेंज भी देखने को मिलते हैं. इस दौरान बच्चों पर आगे की पढ़ाई का बोझ भी सबसे ज्यादा देखने को मिलता है. इस कारण वे मानसिक तनाव में रहने लगते हैं.
उन्होंने कहा कि आज हमारी सोसाइटी में एजुकेशन को अलग नजर से देखा जाता है. आज पढ़ाई को कंपटीशन से जोड़ दिया गया है. बच्चों में जो स्किल डेवलपमेंट होना चाहिए था, वह तो लगभग खत्म होता हुआ नजर आ रहा है. उनका मानना है कि कई माता-पिता दूसरे के बच्चों के साथ अपने बच्चों की तुलना करते हैं. कई बार तो अभिभावक अपने परिवार के ही बच्चों के साथ भी अपने बच्चों का कंपैरिजन करने लगते हैं, जिससे बच्चों में काफी नकारात्मक असर देखने को मिलता है. इस वक़्त बच्चों के साथ माता-पिता और उनके परिवार वालों को और ज्यादा समय साथ बिताना चाहिए और उनसे बातचीत करनी चाहिए. ग्रामीण इलाकों की लड़कियां अगर बोर्ड एग्जाम में फेल हो जाती हैं, तो उन्हें घर बिठा दिया जाता है. और एक-दो साल के बाद उनकी शादी कर दी जाती है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.
बच्चों को कैसे रखें तनाव मुक्त?
मनोचिकित्सक वीना तेजान ने बताया कि बोर्ड एग्जाम रिजल्ट के बाद अगर आपका बच्चा अकेले रहने का प्रयास कर रहा है और बातचीत नहीं कर रहा है. घर देर से आ रहा है या फिर नशे की लत उसे लग रही है, तो आपको उससे बातचीत करने की जरूरत है. उस पर नजर रखने की जरूरत है. माता-पिता और उनके परिवार वाले ज्यादा से ज्यादा अपने बच्चों के साथ समय बिता सकते हैं. अगर वह गलत कदम उठा रहे हैं, तो आप उनसे बातचीत कर सकते हैं या फिर मनोचिकित्सक से जाकर उनकी बात करवा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 3, 2024, 14:56 IST