नई दिल्ली2 दिन पहले
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वित्त वर्ष 2023-24 खत्म हो चुका है। बीते साल कुछ चीजों के दाम बढ़ने से लोगों को परेशानी हुई तो वहीं कुछ चीजों के दाम कम होने से लोगों को राहत भी मिली। वित्त वर्ष 2023-24 में तुअर दाल 115 रुपए से बढ़कर 148 रुपए किलो पर पहुंच गई। वहीं इस साल चावल 39 रुपए से बढ़कर 44 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया।
दूसरी ओर गैस सिलेंडर, सोयाबीन तेल और पेट्रोल-डीजल सहित कई अन्य चीजों के दाम में गिरावट भी देखने को मिली है। घरेलू गैस सिलेंडर के दाम में 300 रुपए की कटौती की गई है। सोयाबीन तेल की कीमत में भी 18 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा की कमी देखने को मिली है।
यहां हम आपको बता रहे हैं – डेली यूज की चीजों के दाम वित्त वर्ष 2023-24 में कितने घटे या बढ़े हैं…







महंगाई बढ़ने के कारण क्या हैं?
महंगाई के बढ़ने का सीधा-सीधा मतलब आपके कमाए पैसों का मूल्य कम होना है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो आपके कमाए 100 रुपए का मूल्य 93 रुपए होगा। ऐसे कई फैक्टर हैं जो किसी इकोनॉमी में कीमतों या महंगाई को बढ़ा सकते हैं। आमतौर पर, महंगाई प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ने, प्रोडक्ट और सर्विसेज की डिमांड में तेजी या सप्लाई में कमी के कारण होती है। महंगाई बढ़ने के 6 बड़े कारण होते हैं:
- डिमांड पुल इन्फ्लेशन तब होती है जब कुछ प्रोडक्ट और सर्विसेज की डिमांड अचानक तेजी से बढ़ जाती है।
- कॉस्ट-पुश इन्फ्लेशन तब होती है जब मटेरियल कॉस्ट बढ़ती है। इसे कंज्यूमर को पास कर दिया जाता है।
- यदि मनी सप्लाई प्रोडक्शन की दर से ज्यादा तेजी से बढ़ती है, तो इसका परिणाम महंगाई हो सकता है।
- कुछ इकोनॉमिस्ट सैलरी में तेज बढ़ोतरी को भी महंगाई का कारण मानते हैं। इससे प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ती है।
- सरकार की पॉलिसी से भी कॉस्ट पुश या डिमांड-पुल इन्फ्लेशन हो सकती है। इसलिए सही पॉलिसी जरूरी है।
- कई देश इंपोर्ट पर ज्यादा निर्भर होते हैं वहां डॉलर के मुकाबले करेंसी का कमजोर होना महंगाई का कारण बनता है।