बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 जंगली हाथियों की मौत की वजह वन विभाग ने फंगस लगे कोदो को बताया। अब इसका असर श्रीअन्न यानी कोदो के भाव पर पड़ा है। पिछले साल कोदो-कुटकी का औसत थोक भाव 45 रु./किलो (4500 रु. क्विटल) था, जो इस साल हाथियों की मौत के बाद गिरकर
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कोदो-कुटकी समेत मोटे अनाजों को श्री अन्न के रूप में प्रचारित करने के बाद मप्र में पिछले एक साल में कोदो-कुटकी उगाने वाले किसानों की संख्या और रकबा दोनों बढ़े हैं। लेकिन इस साल किसानों के लिए लागत निकालना तक मुश्किल हो गया है।
उमरिया कलेक्टर धणेंद्र जैन ने बाजार में अचानक कोदो के दाम गिर जाने को लेकर व्यापारियों और किसानों से चर्चा करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि कोदो की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रति हेक्टेयर 3900 रुपए प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।
किसान बोले… लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा
- शनिवार को कोदो बेचने बाजार में पहुंची ग्राम किरनताल की संतोषी बाई ने कहा- पिछले साल 3500 का भाव मिलने से उत्साहित थे। इसलिए इस साल ज्यादा क्षेत्रफल में कोदो बोई थी। अब इसके बारे में सोचना पड़ेगा।
- ग्राम उजान के अंकुश बोले-बांधवगढ़ में हाथियों की मौत के बाद कोदो को लेकर लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। इसका बुरा असर दाम पर पड़ा है। अब सोचने को मजबूर हैं कि कोदो बोएं या नहीं।
- धमोखर की सुभद्रा बाई बैगा ने कहा कि अचानक से 1200 रुपए तक की गिरावट आने से हमें लागत निकालना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसा लगता है कि हमें कोदो से तौबा करनी पड़ेगी।
पिछले साल से 44 हजार बढ़ा था रकबा
राज्य कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में इस साल 1.84 लाख हेक्टेयर में कोदो-कुटकी की बोवनी की गई। यह पिछले साल से 44 हजार हेक्टेयर अधिक है। कृषि विभाग के मुताबिक 2023 में कोदो-कुटकी की उत्पादन दर 971 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, जो इस साल 975 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गई है। यानी प्रति हेक्टेयर 4 किलो अधिक कोदो पैदा होने लगा है।
जिस उमरिया में हाथियों की मौत हुई है, वहां इस साल करीब 9500 हेक्टेयर में कोदो-कुटकी उगाया गया है। इससे सटे शहडोल में 13000 हेक्टेयर में कोदो-कुटकी उगाया गया है।