Saturday, March 15, 2025
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System that may ship images and movies even with out web: | इंटरनेट के बिना फोटो-वीडियो भेजने वाली डिवाइस: भोपाल के युवा का स्टार्टअप, सेना कर रही इस्तेमाल; अब ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में होगा डिस्प्ले – Madhya Pradesh Information


ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए 25 से ज्यादा स्टार्टअप ने भी अपना रजिस्ट्रेशन कराया है।

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ये कहना है स्टारब्रू टेकसिस्टम स्टार्टअप के फाउंडर आशुतोष राय का। भोपाल के स्मार्ट सिटी दफ्तर में बने बी-नेक्स्ट इनक्यूबेशन सेंटर में उनकी छोटी सी लैब है। आशुतोष कहते हैं कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिए हमें अपने प्रोडक्ट को डिस्प्ले करने और नए इन्वेस्टर्स से मिलने का मौका मिलेगा।

दरअसल, इनक्यूबेशन सेंटर में नए स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जाता है। यहां 25 से ज्यादा स्टार्टअप काम करते हैं। इन सभी ने 24-25 फरवरी को भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें से कुछ को अपने प्रोडक्ट डिस्प्ले करने का भी मौका मिलेगा। भास्कर ने ऐसे ही तीन स्टार्टअप के फाउंडर से बात कर जाना कि उन्होंने कैसे अपने स्टार्टअप शुरू किए और इन्वेस्टर्स समिट से उन्हें क्या उम्मीद हैं…

स्टार्टअप नंबर-1

आइडिया कैसे आया? आशुतोष कहते हैं- मैं 7 साल से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेक्टर में काम कर रहा था। ये 2015-16 की बात है। एक आर्मी यूनिट में हम लोगों को ऐसे डिवाइस को इंस्टॉल करने के लिए कहा गया, जिससे वॉलीबॉल खेलने के दौरान बॉल के बास्केट में गिरने के साथ ही ऑटोमैटिक स्कोर अपडेट हो जाए। हमने वो कर दिखाया। यह सेंसर बेस्ड था।

इसी के बाद आर्मी ऑफिसर्स ने बताया कि हम बिना इंटरनेट, सैटेलाइट के फोटो-वीडियो सिक्योर मीडियम से शेयर नहीं कर पाते हैं। यहीं से ‘स्मार्ट संचार’ की शुरुआत हुई।

फंड कैसे जुटाया? आशुतोष बताते हैं कि नौकरी के दौरान 30-35 लाख रुपए की सेविंग थी। दोस्तों से 6 लाख उधार लेकर 40 लाख इन्वेस्ट किया। मैंने बिहार के रहने वाले अपने दोस्त नवीन से बात की। सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर, पीसीबी डिजाइनिंग, मैकेनिकल फैब्रिकेशन के लिए अलग-अलग टीमें बनाई।

ज्यादा रेंट नहीं दे सकता था तो भोपाल के इनक्यूबेशन सेंटर में ऑफिस और लैब सेटअप किया। मेंटर योगेश खाकरे ने फाइनेंशियल और बिजनेस ग्रोथ को लेकर गाइड किया।

'स्मार्ट संचार' डिवाइस की मदद से बिना इंटरनेट के वीडियो-फोटो अपलोड किए जा सकते हैं।

‘स्मार्ट संचार’ डिवाइस की मदद से बिना इंटरनेट के वीडियो-फोटो अपलोड किए जा सकते हैं।

ट्रेनिंग कैसे की? आशुतोष के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स से बीटेक करने की वजह से कोई दूसरी ट्रेनिंग नहीं लेनी पड़ी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेक्टर के एक्सपीरियंस से टेक्नोलॉजी को समझने में मदद मिली। तीन साल की रिसर्च के दौरान टीम के साथ अलग-अलग आर्मी कैंप और लोकेशन पर जाकर सर्वे किया। अलग-अलग मौसम में बॉर्डर एरिया पर डिवाइस काम करने में सक्षम हो, इस पर काम करना शुरू किया।

मार्केटिंग स्ट्रैटजी उन्होंने बताया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में लगने वाले डिफेंस एक्सपो में जाकर डिवाइस का प्रेजेंटेशन देता हूं। डिफेंस मिनिस्ट्री से जब अवॉर्ड मिला तो सेना भी भरोसा करने लगी। स्टार्टअप को पेटेंट करवाया। एक आर्मी यूनिट में डिवाइस इंस्टॉल किया, तो दूसरी यूनिट भी जुड़ती चली गई। अब तक सियाचीन, लद्दाख, जैसलमेर, LOC, LAC समेत अलग-अलग जगहों पर 150 से ज्यादा डिवाइस इंस्टॉल हो चुके हैं।

इन्वेस्टर्स समिट से उम्मीदें आशुतोष कहते हैं कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में नए इन्वेस्टर्स से मिलने का मौका मिल सकता है, उन्हें हम अपने प्रोडक्ट्स दिखाएंगे। इस इवेंट से हमें स्ट्रेटजिकली ग्रोथ मिल सकती है। डिफेंस की परमिशन के बिना इसे पब्लिक प्लेस पर शोकेस करना अलाउड नहीं है, लेकिन मौका मिला तो जरूर करेंगे।

उन्होंने कहा- स्टार्टअप अभी माइक्रो इंडस्ट्रीज की कैटेगरी में ही आते हैं। हम आगे बढ़ने का स्कोप देख रहे हैं। यदि कोई इंडस्ट्री एमपी डिफेंस सेगमेंट में इन्वेस्टमेंट करती है तो शायद हम पहली छोटी इंडस्ट्री होंगे, जो उनकी जरूरतों को पूरा कर सकती है।

स्टार्टअप नंबर- 2

आइडिया कैसे आया? अरुणा कहती हैं- इससे पहले मैं एक एजुकेटर रही हूं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) के प्रोजेक्ट के लिए 13 कंट्रीज के साथ मिलकर काम किया है। इस दौरान मैंने देखा कि स्कूलों में बच्चों को सिर्फ थ्योरी पढ़ाई जा रही है। प्रैक्टिकल नॉलेज बिल्कुल जीरो है।

मैं अपर मिडिल क्लास फैमिली से आती हूं। मेरे पापा एडिशनल एसपी और मम्मी स्टेटिस्टिक ऑफिसर रही हैं। भाई भी सरकारी बैंक में मैनेजर है। मेरी खुद भी अधिकारी पद की नौकरी लग चुकी थी। मगर मुझे एहसास हुआ कि भारत में बच्चों को प्रैक्टिकल नॉलेज देने के लिए काम करना होगा।

फंड कैसे जुटाया? अरुणा बताती हैं कि 2019 में जब स्टार्टअप शुरू किया, तब मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस नहीं था। बच्चों के स्किल डेवलपमेंट पर फोकस था। जब मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू की तो बहुत ज्यादा इन्वेस्टमेंट की जरूरत थी। बैंक से कॉन्टेक्ट किया तो मुझे लोन ही नहीं मिला।

हमारी सोसाइटी यह भरोसा नहीं कर पाती कि एक महिला बिजनेस शुरू कर सकती है। कई जगह से रिजेक्शन मिला। लेकिन लोन के लिए जो जरूरी क्राइटेरिया होता है, वह पूरा किया और बैंक से लोन मिला। अभी तक हमने कोई भी गर्वमेंट फंडिंग नहीं ली है। सब कुछ पर्सनल लोन और पर्सनल फाइनेंस किया है।

अरुणा बच्चों को फन एक्टिविटी के साथ पढ़ाई में मदद करने वाले टॉयज बना रही हैं।

अरुणा बच्चों को फन एक्टिविटी के साथ पढ़ाई में मदद करने वाले टॉयज बना रही हैं।

ट्रेनिंग कैसे की? अरुणा ने कहा- हमारी टीम में ज्यादातर लोग इलेक्ट्राॅनिक और मैकेनिकल इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से हैं। प्रोडक्ट डिजाइन करने के लिए डिजाइनर हैं। ये सभी प्रोफेशनल हैं। इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट भी हम लोग खुद ही बनाते हैं। मैं पहले से एजुकेटर रही हूं तो पता है कि बच्चों को किस तरह के खिलौने पसंद आएंगे।

मार्केटिंग स्ट्रैटजी उन्होंने कहा- भारत 98% इलेक्ट्रॉनिक टाॅयज इम्पोर्ट करता है। हमारा उद्देश्य भारत में खिलौनों के इम्पोर्ट को घटाना है। हम केंद्र और राज्य सरकार के 50 से ज्यादा इंस्टिट्यूशन्स को खिलौने सप्लाई कर चुके हैं। हमारे प्रोडक्ट ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड्स पर सेल होते हैं। अमेजॉन, फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म पर भी सप्लाई करते हैं।

छोटे बच्चों के लिए पजल, ड्राइंग और 13 साल से बड़े बच्चों के लिए साइंस किट, इलेक्ट्राॅनिक्स किट अवेलेबल हैं।

इन्वेस्टर्स समिट से उम्मीदें अरुणा सिंह को उम्मीद है कि उन्हें अपने प्रोडक्ट को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में शोकेस करने का मौका मिलेगा। अपनी कंपनी के लिए इन्वेस्टमेंट पिच कर सकेंगी।

बजट 2025 में टॉय मैन्युफैक्चरिंग में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पॉलिसी बनी है, इसका लाभ मिलेगा। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स से बात करने का मौका मिलेगा। टॉय मैन्युफैक्चरिंग में और क्या इनोवेटिव कर सकती हैं, यह सीखने को मिलेगा।

स्टार्टअप नंबर-3

आइडिया कैसे आया? हर्षवर्धन मिश्रा ने बताया- हमारी कंपनी हाउसहोल्ड सर्विस मेंटेनेस का काम करती है। इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर या किसी भी तरह के मैनपावर की आवश्यकता है तो हम उसे 30 मिनट में पूरा करते हैं। इस कंपनी को 2017 में शुरू किया था।

दरअसल, 2016 में मुझे घर पर प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन की अर्जेंट नीड हुई। 2-3 घंटे तक कई दुकानों पर घूमने के बाद ही इलेक्ट्रीशियन और प्लंबर मिले। तब मुझे लगा कि यह बहुत बड़ी समस्या है। इसे दूर करने के लिए मैंने काम करना शुरू किया। 2017 से पहले एशियन पेंट में काम करता था।

फंड कैसे जुटाया? मैंने नौकरी छोड़कर स्टार्टअप शुरू किया, तब मेरे पास 350 रुपए बचे थे। दोस्तों से उधार लेकर एक हजार रुपए में पंपलेट छपवाए। खुद डोर-टू-डोर गया। प्लंबर और इलेक्ट्रीशियन का सर्वे किया। 20 प्रतिशत प्रॉफिट मार्जिन पर लोगों को अपने साथ जोड़ा।

इसके बाद काम आने लगा। दो साल तक अपने नंबर पर ही ऑर्डर लेकर ट्रांसफर करते रहे। इसके बाद जो आमदनी हुई, उससे सॉल्यूशन एप गो ईजी बनवाया।

हर्षवर्धन एक ही प्लेटफॉर्म पर कई सुविधाएं लेकर आए हैं।

हर्षवर्धन एक ही प्लेटफॉर्म पर कई सुविधाएं लेकर आए हैं।

ट्रेनिंग कैसे की? हर्षवर्धन ने कहा- इसके लिए कोई खास ट्रेनिंग नहीं ली। जो समस्याएं आती गईं, उनके सॉल्यूशन के साथ आगे बढ़ते गए। जो भी ट्रेनिंग रही है, वो वर्क प्रोसेस के दौरान मिलने वाले सबक से ही आई है।

रिसर्च में समझ आया कि यूजर और प्रोवाइडर दोनों ओर से दिक्कत है। जब यूजर को जरूरत होती है, तब उसे सर्विस प्रोवाइडर नहीं मिलता है और सर्विस प्रोवाइडर को भी डेली बेसिस पर काम नहीं मिलता है। इसे सबसे अहम मानते हुए काम किया।

मार्केटिंग स्ट्रैटजी पंपलेट के जरिए डोर-टू-डोर संपर्क के अपने फंडामेंटल विचार को कंपनी ने अब भी छोड़ा नहीं है। इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मार्केटिंग और ब्रांडिंग की जा रही है। कस्टमर की माउथ पब्लिसिटी सबसे ज्यादा अहम है इसलिए कस्टमर फीडबैक और संतुष्टि पर सबसे ज्यादा फोकस है।

इन्वेस्टर्स समिट से उम्मीदें हर्षवर्धन कहते हैं- जीआईएस मेरे लिए बहुत बड़ा इवेंट है। मैंने अपनी कंपनी का रजिस्ट्रेशन कर लिया है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह लगता है कि इंडस्ट्री के लोगों से बात करने का मौका मिलेगा। हमारी प्रॉब्लम के सॉल्यूशन हम उनसे बात करके ढूंढ सकते हैं। स्टार्टअप पॉलिसी या गवर्नमेंट की दूसरी पॉलिसीज को लेकर क्वेरीज के सॉल्यूशंस पर बात हो सकती है।

हम रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ काम कर रहे हैं। उनको सर्विस प्रोवाइड कर रहे हैं तो मेरी इच्छा है कि इस समिट में मुझे अंबानी जी से इंटरेक्ट होने का मौका मिल पाए। जिसके लिए प्रेजेंटेशंस हमने रेडी कर ली हैं। मॉक पिचिंग की भी तैयारी पूरी कर ली है। कुछ वीडियोज भी बनाए हैं।

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बाइक राइडिंग के शौक से बना 20 करोड़ का स्टार्टअप

मध्यप्रदेश में 24 और 25 फरवरी को होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) में फंडिंग हासिल करने के लिए 150 स्टार्टअप ने शार्क टैंक इवेंट के लिए रजिस्ट्रेशन कराए हैं। इसी बीच मध्यप्रदेश के दो युवाओं के स्टार्टअप वंडरलूम्स को 5 फरवरी को सोनी टीवी पर प्रसारित होने वाले शार्क टैंक शो से 50 लाख रुपए की फंडिंग मिली है।​​​​​​​ पढ़ें पूरी खबर…



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