Monday, July 7, 2025
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Supreme Court docket Refuses To Think about Itemizing Of Plea Searching for Abolition Of Collegium System – Amar Ujala Hindi Information Dwell – Sc:सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम को चुनौती देने वाली याचिका ठुकराई, Cji बोले


Supreme Court refuses to consider listing of plea seeking abolition of collegium system

Supreme Court docket
– फोटो : ANI

विस्तार


सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ याचिका को सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया। दरअसल, वकील मैथ्यूज जे नेदुमपारा ने कॉलेजियम प्रणाली खत्म करने की मांग करने वाली याचिका दायर की थी, जिस पर अदालत ने विचार करने से इनकार कर दिया। 

रजिस्ट्री ने खारिज किया

वकील मैथ्यू नेदुमपारा ने अदालत से कहा कि कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करने की मांग करने वाली उनकी रिट याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। वकील ने कहा, ‘मैंने कई बार इसका जिक्र किया है। रजिस्ट्री ने इसे खारिज कर दिया है और मेरी याचिका को सूचीबद्ध नहीं किया गया।’

अनुच्छेद 32 की याचिका  विचार योग्य नहीं

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले को सुना। वहीं सीजेआई ने कहा, ‘रजिस्ट्रार का कहना है कि संविधान पीठ द्वारा किसी बात पर फैसला सुनाए जाने के बाद अनुच्छेद 32 की याचिका  विचार योग्य नहीं है। रजिस्ट्रार के आदेश के खिलाफ अन्य उपाय हैं।’ 

वहीं, वकील ने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका चैंबर में खारिज कर दी गई। कॉलेजियम प्रणाली को खत्म करना होगा। इस पर सीजेआई ने कहा कि मुझे खेद है। 

पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 17 अक्टूबर, 2015 को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम और 99वें संवैधानिक संशोधन को रद्द कर दिया था, जिसमें उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति में राजनेताओं और नागरिक समाज को अंतिम राय देने की मांग की गई थी। यह माना गया था कि स्वतंत्र न्यायपालिका संविधान की मूल संरचना का हिस्सा थी।

फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिका भी खारिज कर दी गई। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने कॉलेजियम प्रणाली को हटाने के लिए एनजेएसी विधेयक पारित किया था, जहां न्यायाधीशों के एक समूह ने फैसला किया था कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश कौन होंगे।

क्या है राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी)?

एनजेएसी को न्यायिक नियुक्तियां करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ न्यायाधीश, केंद्रीय कानून मंत्री और सीजेआई, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता द्वारा नामित दो अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति शामिल थे। हालांकि अक्तूबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने एनजेएसी अधिनियम को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था।





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