Make Cash from share market : शेयर मार्केट में पैसा बनाना उतना भी आसान काम नहीं है, जितना कि बाहर से दिखता है. परंतु ऐसा भी नहीं है कि पैसा कमाया ही नहीं जा सकता. पैसा कमाने के लिए एक निवेशक के पास शेयर बाजार की चाल की समझ होनी ही चाहिए. इसी समझ के सहारे निवेश और कमाई के मौके खोजे जा सकते हैं. निवेश करने के लिए दो तरह के तरीके इस्तेमाल होते हैं. पहला- फंडामेंटल एनालिसिस, और दूसरा- टेक्निकल एनालिसिस. शेयर मार्केट नॉलेज की इस सीरीज में हम निवेश के इन दोनों तरीकों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. पिछले आर्टिकल्स की लिस्ट और लिंक इस आर्टिकल के अंत में दिए गए हैं, ताकि आप बाकी चीजों को भी आसानी से समझ सकें. आज हम बात कर रहे हैं ऐसे हथौड़े (Hammer) की, जो निवेश करने का एक अवसर देता है.
हैमर कैंडलस्टिक (Hammer Candlestick) पैटर्न केवल एक कैंडल से देखा जाता है. इस कैंडल का ओपनिंग प्राइस (Open) और क्लोजिंग प्राइस (Shut) आसपास होता है, मगर शैडो (Shadow) काफी लंबी होती है. देखने में यह कैंडल एक हथौड़े की तरह नजर आती है. दिखने में यह अंग्रेजी के शब्द T जैसा भी होता है. इस तरह की कैंडल अगर कहीं नजर आए तो उस शेयर पर नजर रखनी चाहिए. नीचे दी गई तस्वीर में आप देख सकते हैं.
कैसे काम करता है हैमर पैटर्न
हैमर पैटर्न तभी काम करता है, जब यह एक लम्बी गिरावट के बाद बना हो. यदि यह चार्ट के बीच में कहीं बनता है या टॉप पर दिखता है तो यह कारगर नहीं होता. ऐसे हैमर पैटर्न को इग्नोर कर देना ही बेहतर होता है. गिरते हुए शेयर में यदि हैमर बनेगा तो वह ज्यादा कारगर हो सकता है. इसके पीछे का लॉजिक समझ लेना चाहिए.
शेयर के लगातार गिरने का अर्थ है कि बेयर्स (Bears) की पकड़ मजबूत है, और वे शेयर का भाव नीचे ले जाने में लगातार कामयाब हो रहे हैं. फिर एक दिन भाव काफी ज्यादा गिर जाता, लेकिन दिन के अंत तक क्लोजिंग का भाव ओपनिंग के पास आकर बंद होता है. कई बात को भाव ओपनिंग से ऊपर बंद होता है. इसका अर्थ है कि बेयर्स और ज्यादा भाव गिराने में कामयाब तो हुए, मगर नीचे से बुल्स (Bulls) की एंट्री हुई और वे भाव को ओपनिंग के आसपास ले जाकर बंद कराने में सफल हुए. यहां बुल्स की पावर साफ नजर आने लगती है. और जहां-जहां बुल्स की एंट्री होती है, शेयर का भाव बढ़ता ही है.
कहां करनी चाहिए एंट्री
Investopedia के मुताबिक, अकेला हैमर देखकर एंट्री नहीं करनी चाहिए. एंट्री के लिए आपको अगले दिन की कैंडल भी देखनी चाहिए. अगले दिन की कैंडल का भाव यदि हैमर से ऊपर बंद होता है तो वहां पर शेयर खरीदना चाहिए. दूसरी कैंडल में भाव हरे में बंद होने को हैमर कन्फर्मेशन कहा जाता है. कन्फर्मेशन कैंडल के बाद शेयर में बाउंस बैक करने की क्षमता देखी जाती है.

ग्रासिम इंडस्ट्रीज़ के चार्ट में आप हैमर कैंडल का उदाहरण देख सकते है.
कुछ लोग हैमर को देखकर ही एंट्री कर लेते हैं, जोकि काफी गलत प्रैक्टिस है और बिलकुल भी प्रैक्टिकल नहीं है. हो सकता है कि हैमर बनने के बाद फिर से बेयर्स हावी हो जाएं और प्राइस को और नीचे ले जाएं. इसलिए हैमर के बाद एक अच्छी ग्रीन कैंडल का इंतजार करना चाहिए, जिससे ये साबित हो कि सच में बुल्स बाजार में आए हैं और वे भाव को ऊपर ले जा सकने में सक्षम हैं.
स्टॉपलॉस के बिना तो सोचिए भी मत
संभावित नुकसान को सीमित करने के लिए स्टॉपलॉस (Stoploss) बना है. हैमर और कन्फर्मेशन कैंडल के हिसाब से एंट्री करने वालों को हैमर कैंडल के लो (Low) से थोड़ा-सा नीचे स्टॉपलॉस रखना चाहिए. एंट्री करने के बाद यदि फिर से बेयर्स हावी होते हैं तो शेयर काफी ज्यादा नीचे गिर सकता है. हो सकता है कि हैमर कैंडल केवल ट्रैप के नजरिए से बनाई गई हो. ऐसे में स्टॉपलॉस के बिना शेयर खरीद लेने में कोई समझदारी नहीं है.
हैमर कैंडल को देखकर निवेश करने वालों के लिए सबसे बड़ी दिक्कत स्टॉपलॉस होती है. चूंकि हैमर कैंडल का लो काफी नीचे होता है, तो स्टॉपलॉस प्राइस काफी नीचे का बनता है. आमतौर पर इतना बड़ा स्टॉपलॉस नहीं रखा जाता. यदि स्टॉपलॉस लेवल काफी बड़ा है तो एक निवेशक अपनी रिस्क लेने की क्षमता के हिसाब से भी स्टॉपलॉस सेट कर सकता है.
पिछले आर्टिकल्स का लिंक –
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FIRST PUBLISHED : March 8, 2024, 13:13 IST