Saturday, March 15, 2025
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Sad Played Social Engineering Strategy In Punjab, Tickets Given To Two Brahmins In First List – Amar Ujala Hindi News Live


SAD played social engineering strategy in Punjab, Tickets given to two Brahmins in first list

अनिल जोशी और एनके शर्मा
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


बैसाखी के मौके पर शिरोमणि अकाली दल ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने पंजाब के सात उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दो ब्राह्मणों को मैदान में उतारकर भाजपा को चुनौती व घेरने की योजना तैयार की है। शिअद ने सोशल इंजीनियरिंग का दांव खेला है। वहीं, सबसे दिलचस्प मुकाबले का फैसला हो गया है, जिसमें प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा शिअद के सीनियर उपप्रधान डॉ. चीमा पर भारी पड़े हैं। उनको गुरदासपुर भिजवाकर चंदूमाजरा ने आनंदपुर साहिब सीट से टिकट हासिल कर ली है।

पटियाला से शिरोमणि अकाली दल के हिंदू चेहरे एनके शर्मा, अमृतसर से पूर्व मंत्री अनिल जोशी को उतारा है। अनिल जोशी भाजपा के फायर ब्रांड नेता और पंजाब के निकायमंत्री रहे हैं। बाद में वह अकाली दल में शामिल हो गए थे। अनिल जोशी को अमृतसर से टिकट देकर सुखबीर बादल ने एक तीर से दो शिकार किए हैं। एक तो उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार तरणजीत सिंह संधू के लिए राह मुश्किल कर दी है।

वहीं, अमृतसर से अकाली दल की टिकट की आस लगाकर बैठे बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को झटका दिया है। फतेहगढ़ साहिब से विक्रमजीत सिंह खालसा, फरीदकोट से राजविंदर सिंह और संगरूर से इकबाल सिंह झूंडा को चुनाव मैदान में उतारा गया है, जो नए चेहरे हैं। इसी चक्कर में संगरूर से टिकट की राह देख रहे परमिंदर ढींडसा को झटका लगा है। ढींडसा परिवार ने कुछ दिन पहले ही शिअद में वापसी की थी।

शिरोमणि अकाली दल ने संगरूर सीट पर राजनीतिक दिग्गजों को चौंका दिया है, क्योंकि ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि टकसाली नेता सुखदेव ढींढसा के बेटे परमिंदर ढींडसा को इस सीट से उम्मीदवार बनाया जाएगा, लेकिन अब ऐसा नहीं हुआ। संगरूर से इकबाल सिंह डूंडा को इस सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। अब देखना होगा कि ढींडसा परिवार की इस पर क्या प्रतिक्रिया होती है।

झूंडा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद कही थी नेतृत्व परिवर्तन की बात

झूंडा को टिकट मिलने से सियासी पंडित हैरान हैं, क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में अकाली दल की करारी हार के बाद सुखबीर बादल ने इकबाल सिंह झूंडा के नेतृत्व में कमेटी का गठन कर जमीनी स्तर पर हार के कारण पता करने को कहा था। झूंडा कमेटी ने रिपोर्ट में कहा था कि अकाली को अपना नेतृत्व बदलना होगा और नया प्रधान लगाना होगा। ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि हरसिमरत कौर का नाम बठिंडा से पहली सूची में आ सकता है, लेकिन सुखबीर ने अपना व हरसिमरत का नाम पहली सूची में जारी नहीं किया है। इससे इस बात की चर्चा भी चल रही है कि हरसिमरत कौर का हलका इस बार बदल सकता है। इसको लेकर अकाली दल के दिग्गज वर्करों की नब्ज टटोल रहे हैं।



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