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पुणे4 घंटे पहले
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ससून अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ तावरे, चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ श्रीहरि हलनोर और स्टाफ अतुल घाटकांबले को आरोपी का ब्लड सैंपल बदलने के आरोप में 27 मई को गिरफ्तार किया था।
पुणे पोर्श हादसे के मामले में पुलिस ने कोर्ट में बताया है कि नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल को किसी महिला के सैंपल से बदला गया था, ताकि ये दिखाया जा सके कि घटना के वक्त वह नशे में नहीं था।
पुलिस का कहना है कि अभी उस महिला की पहचान होनी बाकी है, जिसका ब्लड सैंपल लिया गया, हालांकि एक सरकारी सूत्र ने बताया कि यह महिला और कोई नहीं, आरोपी की मां ही है।
पुलिस ने पुणे कोर्ट से मांग की थी कि ब्लड सैंपल बदलने वाले दोनों डॉक्टरों और अस्पताल के कर्मचारी की कस्टडी बढ़ाई जाए। इसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए तीनों की कस्टडी 5 जून तक बढ़ा दी।
इससे पहले, आरोपी डॉक्टरों में शामिल डॉ. हलनोर ने पूछताछ में बताया कि ब्लड सैंपल बदलने के लिए आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और उनके बीच 50 लाख रुपए की डील हुई थी।
विशाल अग्रवाल ने डॉ. अजय तावरे से संपर्क किया था। हादसे के बाद दोनों के बीच 15 बार वॉट्सऐप पर बातचीत हुई। लेनदेन की पूरी बात वॉट्सऐप कॉल पर ही की गई। तावरे के कहने पर विशाल अग्रवाल ने पहली किस्त के 3 लाख रुपए दिए थे।
पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 18-19 मई की रात 17 साल 8 महीने के एक लड़के ने IT सेक्टर में काम करने वाले बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई। घटना के समय आरोपी नशे में था। वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कार चला रहा था।

डॉक्टर अजय तावरे और श्रीहरि हलनोर 30 मई तक पुलिस हिरासत में हैं।
डॉ हलनोर को ढाई लाख रुपए मिले
डील के 50 लाख रुपए में से ढाई लाख रुपए मुझे और 50 हजार रुपए स्टाफ अतुल घाटकांले को मिले। इस मामले में एक पूर्व पुलिस अधिकारी के भी शामिल होने की चर्चा है। उसने भी आरोपी को बचाने की कोशिश की।
डॉ. तावरे ससून अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट का प्रमुख और डॉ. हलनोर चीफ मेडिकल ऑफिसर था। दोनों को बुधवार (29 मई) को सस्पेंड कर दिया गया। अस्पताल के डीन डॉ विनायक काले को छुट्टी पर भेज दिया गया है।
तीन सदस्यीय कमेटी ने ब्लड सैंपल में हेरफेर की जांच की
डॉ. तावरे ससून और डॉ. हलनोर को अस्पताल के एक स्टाफ अतुल घाटकांले के साथ 27 मई को गिरफ्तार किया गया था। तीनों 30 मई तक पुलिस हिरासत में हैं। तीनों ने नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल को डस्टबिन में फेंककर किसी और के ब्लड सैंपल के आधार पर मेडिकल रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें शराब का अंश नहीं था।
मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर हसन मुश्रीफ ने बुधवार 29 मई को बताया कि नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल में हेरफेर की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी है, जिसके आधार पर डॉक्टरों को सस्पेंड किया गया है।
जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की डीन डॉ. पल्लवी सपले कमेटी की अध्यक्षता कर रही थीं। उनके अलावा ग्रांट मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. गजानन चव्हाण और छत्रपति संभाजी नगर सरकारी मेडिकल कॉलेज के स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर डॉ. सुधीर चौधरी इसके सदस्य थे।
मंत्री मुश्रीफ ने माना- NCP विधायक ने डॉ तावरे की सिफारिश की थी
NCP (अजित गुट) के नेता मुश्रीफ ने यह भी माना है कि पार्टी विधायक सुनील टिंगरे के रिकमंडेशन लेटर के आधार पर डॉ तावरे की नियुक्ति की गई थी। मुश्रीफ ने कहा, ‘सुनील टिंगरे ने डॉ तावरे की नियुक्ति की सिफारिश की थी और मैंने इसकी मंजूरी दी। मुझे तावरे के पिछले आरोपों के बारे में नहीं पता था। जब सिफारिश की गई थी, तो डीन को उसके बारे में बताना चाहिए था।’
हालांकि, डीन डॉ विनायक काले ने दावा किया कि मंत्री मुश्रीफ के आदेश पर ही डॉ तावरे को मेडिकल सुपरिनटैंडैंट का एडिशनल चार्ज दिया गया था। उन्होंने बस मंत्री के आदेश का पालन किया।

ये तस्वीर एक पब के CCTV फुटेज की है। हादसे से पहले नाबालिग ने अपने दोस्तों के साथ शराब पी और कार लेकर निकल गया।
ब्लड सैंपल बदलने का आइडिया डॉ तावरे का था
पुलिस ने मंगलवार 28 मई को बताया था कि आरोपी का ब्लड सैंपल बदलने का आइडिया डॉ. तावरे का था। ब्लड सैंपल बदले जा सकते हैं, यह कोई और नहीं सोच सकता था। यह डॉ तावरे का ही तावरे ने आरोपी का ब्लड सैंपल बदलवा दिया, ताकि जांच में शराब पीने की बात सामने न आए।
जुवेनाइल बोर्ड मेंबर्स के खिलाफ जांच के आदेश
महाराष्ट्र सरकार ने नाबालिग आरोपी को जमानत देने वाले जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के तीन सदस्यों के खिलाफ भी जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए 5 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई है, जो यह जांच करेगी कि बोर्ड मेंबर्स ने जमानत देते समय तय नियमों का पालन किया या नहीं। समिति को एक हफ्ते में रिपोर्ट देनी होगी।
बोर्ड ने आरोपी को निबंध लिखने को कहा था

एक्सीडेंट के बाद पुणे पुलिस ने आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया था। बोर्ड ने आरोपी को 7 मामूली शर्तों पर जमानत दे दी थी। बोर्ड ने आरोपी को सड़क दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखने और शराब छोड़ने के लिए काउंसिलिंग लेने को कहा था। बोर्ड के फैसले के खिलाफ पुणे पुलिस सेशन कोर्ट पहुंची।
पुलिस का कहना था नाबालिग आरोपी पर बालिग की तरह कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि उसका अपराध गंभीर है। सेशन कोर्ट ने पुलिस को बोर्ड में रिव्यू पिटिशन देने को कहा। 22 मई को जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग को फिर से तलब किया और उसे 5 जून तक के लिए बाल सुधार गृह भेज दिया।
इस मामले में नाबालिग के पिता, दादा, नाबालिग आरोपी की मेडिकल जांच करने वाले डॉक्टर्स और उसे शराब परोसने वाले दो पब के मालिक-मैनेजर सहित 10 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया है। नाबालिग के पिता को 21 मई और दादा को 25 मई को गिरफ्तार किया था।

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