Saturday, July 5, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
HomeBreaking NewsPawan Kumar Of Raghunathpur Got 239th Rank In Upsc Civil Services Examination...

Pawan Kumar Of Raghunathpur Got 239th Rank In Upsc Civil Services Examination 2024 – Amar Ujala Hindi News Live


बारिश में टपकते छप्पर के घर में पढ़ते समय भी पवन कुमार का हौसला नहीं टूटा। उनकी आंखों में परिवार के हालातों को सुधारने और देश के लिए कुछ कर गुजरने का सपना था। उनके इस सपने को साकार करने के लिए पूरा परिवार जुट गया। मां ने अपने गहने बेच दिए तो पिता और छोटी तीनों बहनें दूसरों के खेतों में मजूदरी करने लगे, जिससे पवन की पढ़ाई में कोई दिक्कत न आए। पवन ने भी कड़े संघर्ष के बाद माता-पिता और बहनों ने के सपने को साकार कर दिया। उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा-2024 में 239वीं रैंक प्राप्त की है। उनकी इस उपलब्धी को हर कोई सराह रहा है।




ऊंचागांव ब्लॉक के गांव रघुनाथपुर निवासी यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा-2024 में 239वीं प्राप्त करने वाले पवन कुमार की कहानी थोड़ी अलग है। पवन के पिता मुकेश कुमार ने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि उनके पास केवल चार बीघा जमीन है और रहने के लिए पक्का घर भी नहीं है। वह छप्पर के घर में रहते हैं। ईंटों का एक कमरा है, जिसमें कड़ी लगी हुई है। बरसात के दिनों में छप्पर और कमरा दोनों टपकते हैं। इन्हीं में रहकर पवन ने पढ़ाई की है। वह बताते हैं कि जब-जब बारिश में घर टपकता तो इससे पवन का हौसला टूटा नहीं बल्कि मजबूत हुआ। वह कहता था पापा बस मुझे कुछ समय दे दो, सब कुछ बदल दूंगा।

पिता का कहना है कि 2017 में पवन के इंटरमीडिएट पास करने के बाद वह उन्हें नौकरी पर भेजना चाहते थे और सेना की तैयारी करने के लिए कहा। लेकिन पवन ने कुछ और ही सोच रखा था। इंटरमीडिएट पास पिता ने भी बेटे का हौसला बढ़ाया और कहा अब तुम जो चाहते हो करो, पूरा परिवार तुम्हारी मदद करेगा। आंखों में आंसू लिए पिता ने कहा कि बेटे ने जो कहा कर दिखाया। उन्होंने कहा कि मंगलवार को बेटे के पास का रिजल्ट आया और बुधवार की सुबह भी मेरा पूरा परिवार खेतों में मजदूरी करने के लिए गया। क्योंकि पवन को पढ़ाने के लिए जो पैसा हमने ब्याज पर लिया है, उसे चुकाना है।


मां ने पवन की पढ़ाई के लिए बेच दिए गहने, चार प्रतिशत ब्याज पर लेते थे पैसे

पवन के परिवार में पिता मुकेश कुमार के अलावा उनकी मां सुमन देवी, बहन गोल्डी, सृष्टि और सोनिका हैं। गोल्डी ने बीए पास किया है और सृष्टि बीए की परीक्षा दे रही है। जबकि तीसरे नंबर की बहन सोनिका इंटरमीडिएट की छात्रा है। पिता ने बताया कि पवन ने इलाहाबाद से बीए की परीक्षा पास करने के बाद कहा कि वह अब सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करेगा। उसके बाद उनकी मां ने गहने बेच दिए। पवन के पास मोबाइल तक नहीं था। उसे 3200 रुपये का सेकेंड हैंड मोबाइल खरीदकर दिया। जरुरत पड़ने पर चार प्रतिशत की ब्याज पर रुपये लिए, जिससे पवन की पढ़ाई में दिक्कत न आए। कहा कि इसके लिए परिवार के पांचों सदस्यों ने खेतों में मजदूरी की। ब्याज के काफी रुपये अभी भी उधार हैं।


छप्पर के घर पर लगाई अपात्र की रिपोर्ट, सिलिंडर भरने के लिए नहीं हैं रुपये

पवन के पिता ने बताया कि छप्पर के घर में रहते हैं। गांव के कुछ लोगों ने कहा कि प्रधानमंत्री आवासीय योजना के तहत मकान बनवाने के लिए आवेदन कर दो। हिम्मत करके आवेदन कर दिया, लेकिन ग्राम सचिव और गांव के कुछ लोगों ने गड़बड़ी कर दी। छप्पर के घर को अपात्र बता दिया। कहा कि आपका मकान नहीं बन सकता है। आपके घर में एक कमरा बना हुआ है। वह सपना भी टूट गया। माली हालत इतनी खराब है कि घर में गैस सिलिंडर है, लेकिन उसे भरवाने के लिए रुपये नहीं हैं। पवन की मां सुमन चूल्हे पर ही रोटी बनाती हैं। घर में हैंडपंप तक खराब पड़ा हुआ है। उसे ठीक कराने के लिए पैसे नहीं हैं, सरकारी स्कूल के नल से पानी भरकर लाते हैं। भगवान शिव के आशीर्वाद से आज मन बहुत खुश है। उनकी पूजा, पवन और पूरे परिवार के मेहनत सफल हो गई।


पवन का युवाओं को संदेश…हौसला और मेहनत के दम पर मिलती है कामयाबी

पवन कुमार का युवाओं के लिए संदेश है कि अगर हौसला, आत्मविश्वास मजबूत हो और कुछ करने की सच्ची लगन हो तो सफलता अवश्य मिलती है। लक्ष्य निर्धारित कर उस पर डटे रहे। अगर कभी असफलता का भी सामना करना पड़े तो निराश नहीं होना है। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डटे रहो। तैयारी करने से पहले यह समझे कि यूपीएससी उनसे क्या चाहती है। उन्होंने जब पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी तो उन्होंने यही देखा। दूसरी बार में उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और लगन के साथ पढ़ाई की। तीसरी बार में सफलता मिली। वह पहले दो प्रयास में असफल रहने के बाद भी निराश नहीं हुए। पहले प्री, फिर मेन्स और फिर इंटरव्यू तीनों परीक्षा पास की। इंटरव्यू को उन्होंने निजी टेस्ट बताते हुए कहा कि इसमें आत्मविश्वास का अहम रोल होता है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं ही आठ से 10 घंटे तक पढ़ाई करते थे। प्री परीक्षा पास करने के बाद, मेन्स एग्जाम के लिए केवल दो महीने दृष्टि आइएएस कोचिंग सेंटर मुखर्जी नगर में पढ़ाई की। उन्होंने कहा कि सबसे पहले आइएएस बनने की प्रेरणा पंचगाई जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाचार्य मनोज सोलंकी, शिक्षक संजय सोलंकी और मामा सोनू सोलंकी ने दी। इसके बाद माता-पिता, तीनों बहनों का सहयोग रहा।




Source link

khabareaaptak.in
khabareaaptak.inhttps://khabareaaptak.in
Welcome to "khabareaaptak" – your go-to destination for the latest news and updates from around the world. We are committed to bringing you timely and accurate information across various categories, including politics, sports, entertainment, technology, and more.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments