15 साल के इंतजार के बाद मां की गोद में सिसकती नेहा।
“मुझे मेरे मां-बाप से मिलवा दीजिए” – इन शब्दों से शुरू हुई एक परिवार बिछड़ी लड़की की वापसी की कहानी। महाराष्ट्र के वर्धा से 7 साल की उम्र में लापता हुई नेहा को 15 साल बाद परिवार दोबारा मिल गया है। सोनीपत के बालग्राम आश्रम में रह रही 22 वर्षीय नेहा ने
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नेहा कि बताया कि वह 13 साल की उम्र से इस आश्रम में रह रही थी। हर रात उसे मां की याद आती थी तो वो सोचती थी अभी भी मां मुझे कहीं ढूंढ रही होंगी।
AHTU के एएसआई राजेश कुमार जब बालग्राम पहुंचे, तब भी नेहा ने रोते हुए कहा था, “सर, इस दुनिया में मेरा कोई नहीं है। प्लीज, मेरे माता-पिता को ढूंढ दीजिए।

15 साल बाद परिवार से नेहा मिली। परिवार की फाइल फोटो।
AHTU टीम ने नेहा की काउंसलिंग की एएसआई राजेश कुमार ने नेहा को आश्वासन दिया। AHTU टीम ने नेहा की काउंसलिंग की। बचपन की धुंधली यादों को टटोलते हुए नेहा ने बताया कि उसके घर में 2 गलियां थीं। वहां की भाषा अलग थी। बुजुर्ग विशेष तरह की टोपी पहनते थे। हर छोटी जानकारी पुलिस के लिए अहम सुराग बन गई।
मां-बाप की आंखें छलक पड़ीं पुलिस ने नेहा के भाई अनिकेत का पता लगाया। वीडियो कॉल पर बेटी को देखते ही मां-बाप की आंखें छलक पड़ीं। “हां, यही है मेरी बेटी,” मां की आवाज कांप रही थी। परिवार तुरंत सोनीपत के लिए निकल पड़ा।

15 साल बाद मां-बेटी का मिलन, दोनों की आंखें नम।
कमेटी की निगरानी में औपचारिक कार्यवाही पूरी की परिवार से मिलन चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की निगरानी में औपचारिक कार्यवाही पूरी की गई। 15 साल का इंतजार खत्म हुआ। मां ने बेटी को गले लगाया तो आंखें नम थीं। एडीजीपी ममता सिंह ने इस मौके पर कहा कि माता-पिता अपने बच्चों का आधार कार्ड जरूर बनवाएं और अपडेट रखें। कोई भी लापता बच्चे की जानकारी मिले तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।