Sunday, March 16, 2025
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Kisan Andolan: Farmers In Chandigarh, Will March For Meeting At present – Amar Ujala Hindi Information Dwell


Kisan Andolan: farmers in Chandigarh, will march for assembly today

चंडीगढ़ में किसानों का धरना।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरने के 200 दिन पूरे होने के बाद अब किसानों ने चंडीगढ़ में पक्का मोर्चा लगाकर धरना शुरू कर दिया है। किसानों को प्रशासन से चार दिन की अनुमति मिली है, लेकिन भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) और पंजाब खेत मजदूर यूनियन की अगुवाई में किसान वे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में तीन महीने का राशन लेकर सेक्टर-34 के मेला ग्राउंड पहुंच चुके हैं।

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किसान नेताओं ने एलान किया है कि सोमवार को वे विधानसभा की तरफ कूच करेंगे और मुख्यमंत्री व विपक्ष के नेताओं को मांग पत्र सौंपेंगे। किसान मुख्य रूप से कृषि नीति लाने के साथ ही कर्जा माफी, आत्महत्या पीड़ित परिवारों को मुआवजा व एमएसपी पर फसलों की खरीद की मुख्य मांग कर रहे हैं।

यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर 4 सितंबर तक सरकार ने उनकी मांगों के संबंध में फैसला नहीं लिया, तो चंडीगढ़ में ही अनिश्चितकाल के लिए धरना शुरू कर देंगे। यूनियन ने कहा कि पांच सितंबर को बैठक के बाद ही अगली रणनीति को लेकर घोषणा की जाएगी। वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सोमवार को सेक्टर-34 में सुबह 11:30 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक महापंचायत करने का एलान किया है। एसकेएम प्रदेश में कृषि सुधारों पर काम करने और पानी के संकट जुड़े मसलों का समाधान करने की मांग कर रहा है।

गौरतलब है कि बीते रविवार को ट्रैक्टर-ट्रॉली व अन्य साजो सामान के साथ हजारों किसान चंडीगढ़ पहुंचे। उन्होंने पंजाब व केंद्र सरकार सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी की। बीकेयू एकता उगराहां के महासचिव सुखदेव सिंह, जोरा सिंह नसराली, सचिव लक्ष्मण सिंह, झंडा सिंह, सूबे सिंह, रूप सिंह ने कहा कि चंडीगढ़ में प्रदर्शन के लिए जगह देने को प्रशासन तैयार नहीं हो रहा था।

सेक्टर-34 में प्रदर्शन के लिए जगह लेकर उन्होंने बड़ी जीत प्राप्त की है। उन्होंने अपनी मांगों के संबंध में कहा कि एग्रीकल्चर सेक्टर में विदेशी कंपनियों व कॉरपोरेट की एंट्री बिल्कुल बंद होनी चाहिए, क्योंकि इसका सीधे तौर पर नुकसान किसानों को झेलना पड़ रहा है।

पंजाब में किसानों व मजदूरों के कर्जे माफ किए जाने चाहिए, क्योंकि कर्ज के कारण आए दिन किसान आत्महत्या कर रहे हैं। इसके अलावा आत्महत्या पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा व सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। उन्होंने फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने व नदियों और नहरों में प्रदूषित पानी के प्रवाह को रोकने की मांग की। इन सभी मुद्दों के लिए कृषि नीति लाने पर जोर दिया।

किसानों व पुलिस की बैठक रही बेनतीजा

किसानों और यूटी व पंजाब पुलिस अधिकारियों की रविवार को एक बैठक हुई। बैठक में पुलिस ने किसानों से विधानसभा मार्च रद्द करने की अपील की, लेकिन इसके लिए नहीं माने। यही कारण है कि बैठक बिना नतीजे ही समाप्त हो गई। यूनियन ने कहा कि चंडीगढ़ उनकी राजधानी है और विधानसभा तक मार्च करना उनका अधिकार है। किसान यूनियन से बैठक में महासचिव लक्ष्मण सिंह, झंडा सिंह, सिंगारा सिंह मान और चंडीगढ़ के आईजी, एसएसपी समेत पंजाब के अधिकारी भी मौजूद थे।

किसानों की ये हैं मांगें

  • सभी फसलें एमएसपी पर खरीदी जाएं।
  • किसानों के कर्ज माफ किए जाएं व आत्महत्या पीड़ित परिवाराें को मुआवजा दिया जाए।
  • दिल्ली आंदोलन की बची मांगों को लागू किया जाए।
  • भारत माला परियोजना के तहत सड़कों के निर्माण के दौरान वाटर क्रॉसिंग के पास खंभों पर सड़कें बनाई जाएं।
  • भारत-पाकिस्तान व्यापार के लिए अटारी-वाघा और हुसैनीवाला, सुलेमान सीमा को खोला जाए।
  • कृत्रिम खाद, कीटनाशक व बीज पर रोक लगाई जाए, बाढ़ से फसल क्षति का मुआवजा दिया जाए।



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