Saturday, July 5, 2025
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Khabron Ke Khiladi: Who Will Profit And Who Will Undergo From First Part Of Voting In Loksabha Election 2024 – Amar Ujala Hindi Information Reside


Khabron Ke Khiladi: Who will benefit and who will suffer from first phase of voting in loksabha election 2024

खबरों के खिलाड़ी।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


लोकसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शुक्रवार को पहले चरण का मतदान सम्पन्न हो गया। इस दौरान कुछ राज्यों में पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले मतदान का प्रतिशत कुछ कम रहा। मतदान का यह प्रतिशत किसे फायदा पहुंचाएगा या किसे नुकसान होगा, इसे लेकर इस हफ्ते के खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री, अवधेश कुमार, राखी बक्शी और अनुराग वर्मा मौजूद रहे। 

विनोद अग्निहोत्री: यह विषय मंथन का है कि हिन्दी पट्टी जो राजनीतिक रूप से मुखर मानी जाती है। उसके बाद भी इस पट्टी में वोटिंग का प्रतिशत क्यों कम हुआ। यह राजनीतिक दलों के लिए चिंता का विषय है। 2014 में जब चुनाव हो रहा था तब यूपीए सरकार को लेकर बहुत नाराजगी थी। वहीं, 2019 में पुलवामा हमले के बाद के गुस्से के बाद बालाकोट स्ट्राइक का जो उत्साह था, 1970 के युद्ध के बाद हुए 1971 के चुनाव में भी उस तरह का उत्साह देखा गया था। इस बार ऐसा कोई आक्रामक मुद्दा नहीं दिख रहा है। यह बात दोनों पक्षों पर लागू होती है।

 

पूर्वोत्तर की बात करें तो वहां आबादी कम है। अब जिस बूथ पर सौ वोटर हैं वहां, अस्सी लोगों ने वोट डाल दिया तो अस्सी प्रतिशत वोटिंग हो गई। वहीं, जहां ज्यादा आबादी है वहां के हजार लोगों के बूथ पर सात सौ लोग भी वोट डालेंगे तो मतदान प्रतिशत 70 का ही रहेगा। दूसरा पूर्वोत्तर में उम्मीदवारों का पर्सनल कनेक्ट ज्यादा होता है। इसका कारण भी आबादी है। 

अनुराग वर्मा: मतदान प्रतिशत गिरना जीत या हार से ज्यादा लोगों की मतदान के प्रति उदासीनता के कारण है। यह चिंता का विषय है। इसके साथ ही शुक्रवार के दिन मतदान होने पर लोगों को वोट डालने की जगह वीकेंड मनाने की तरफ रुझान भी बहुत चिंता का विषय है। सात चरणों में चुनाव होने की वजह शायद जो जोश होता है वो अभी नहीं दिखा। हो सकता है आगे के चरणों में वह उत्साह दिखाई दे। 

 

राखी बख्शी: मौसम गर्म हो गया है, लेकिन लोगों में चुनाव को लेकर वो गर्मी नहीं दिखाई दे रही है। हम सभी को सोचना पड़ेगा कि यह क्यों हो रहा है। पहाड़ी इलाकों में बारिश हो रही थी। इसके बाद भी उन इलाकों में अच्छी वोटिंग हुई है। उधमपुर में लोगों में काफी उत्साह दिखाई दिया। मुझे लगता है कि लोग अब अपना एक प्रतिनिधि चाहते हैं। शायद इस वजह से कई जगहों पर स्थानीय मुद्दे हावी दिखाई देते हैं। विकास का नरेटिव एक बहुत बड़ा मुद्दा है। बहुत से लोगों को यह लगता है कि विकास हुआ है। तमाम जगह पर लोग उम्मीदवारों को देखकर वोट करते दिखाई दिए। 

 

अवधेश कुमार: राष्ट्रीय स्तर पर अगर आप यह बात कहते हैं तो यह विश्लेषण ठीक है। लेकिन, स्थानीय स्तर पर अलग-अलग क्षेत्र में अलग तरह से मतदान हुआ। कुल मिलाकर देखें तो पिछली बार के मुकाबले एक डेढ़ फीसदी कम मतदान हुआ है। इसलिए यह कहना कि बहुत कम मतदान हुआ है तो यह गलत होगा।

मतदान प्रतिशत की बात करें तो अलग-अलग जगह अलग माहौल रहा। जैसे पश्चिम बंगाल में दोनों पक्षों ने जमकर मतदान किया। हराने वाली जो शक्तियां हैं वो वोट डालने नहीं निकलेंगी यह मैं नहीं मानता हूं। ये जरूर हो सकता है कि जो जिताने के वोट देने जाने वाला है वो एक बार रुक जाए लेकिन, जो किसी को हराने के वोट देना चाहता है वो वोट देने नहीं जाएगा ऐसा नहीं होगा। उम्मीदवारों के चयन को लेकर भाजपा समेत सभी दलों में असंतोष है। सपा को कई जगह उम्मीदवार बदलने पड़े, यह इसी वजह से हुआ है।



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