Sunday, March 16, 2025
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Holi-Lodge-is-the-center-of-Himachal’s-politics – News18 हिंदी

पंकज सिंगटा/शिमला. होली लॉज हिमाचल की राजनिति का केंद्र बिंदु है. होली लॉज के जिक्र के बिना हिमाचल की राजनीति का जिक्र अधूरा है. यह भवन हिमाचल प्रदेश के 6 बार के मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के परिवार का निवास है. शिमला के सभी प्राचीन भवनों की तरह इस भवन का भी अपना इतिहास है. यह भवन एक समय में आज के ऑकलैंड हाउस स्कूल का भवन हुआ करता था. 1866 में होल्ली लॉज की ईमारत में पंजाब गर्ल स्कुल की शुरुआत हुई थी. जो आज ऑकलैंड स्कुल के नाम से जाना जाता है. 1930 में वीरभद्र सिंह के पिता व् बुशहर रियासत के राजा पदम् देव द्वारा इस भवन को ख़रीदा गया था.

लोकल 18 से बातचीत में हिमाचल प्रदेश सुचना एवं जनसम्पर्क विभाग से बतौर वरिष्ठ संपादक सेवानिवृत हुए विनोद भारद्वाज ने बताया कि होली लॉज उन गिने चुने भवनों में से एक है. जिन्हे शिमला के शुरुआती दौर में बनाया गया था. मेजर जीबी गौड़ के स्वामित्व में बने होल्ली लॉज सहित अन्य भवनों को उनके द्वारा किराये पर दिया जाता था. सभी भवनों का मिला कर एक वर्ष का 38 हज़ार रुपए किराया आता था, जिसमे होली लॉज से 1800 रुपए किराया वसूल किया जाता था.

सोफिया ऐनी द्वारा शुरू किया गया स्कुल
होली लॉज को मेजर जीबी गौड़ द्वारा कलकत्ता के बिशप जॉर्ज को किराये पर दिया गया था. बिशप वही व्यक्ति है, जिनके द्वारा 1858 में शिमला के मशूहर बिशप कॉटन स्कुल की शुरुआत की गयी थी. बिशप जॉर्ज की धर्मपत्नी सोफ़िया ऐनी द्वारा होल्ली लॉज में 1866 में लड़कियों के लिए एक स्कुल शुरू किया गया. जिसका नाम पंजाब गर्ल्स स्कुल रखा गया. यह स्कुल 32 छात्राओं के साथ शुरू हुआ. 2 वर्षों तक होली लॉज की ईमारत में स्कुल चलने के बाद इसे ऑकलैंड टनल के नज़दीक स्थानांतरित कर दिया गया. यह स्कुल आज ऑकलैंड हाउस स्कुल के नाम से मशूहर है.शिमला के नामी स्कूलों में से एक है.

कैसे वीरभद्र परिवार का हुआ होली लॉज
होली लॉज लेफ्टिनेंट गवर्नर सर मोर्टन का भी आवास रहा है. 1906 में लेफ्टिनेंट गवर्नर सर मोर्टन की मृत्यु के बाद यह भवन एक बार फिर किराये पर चढ़ गया. इसके बाद 1930 में बुशहर रियासत के राजा व् वीरभद्र सिंह के पिता पदम् देव द्वारा होल्ली लॉज को खरीद लिया गया. 1930 के बाद से ही वीरभद्र सिंह का परिवार यहां रहने लगा. इसके बाद 1962 में वीरभद्र सिंह पहली बार हिमाचल से लोकसभा सदस्य चुने गए. 1983 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद से ही यह भवन हिमाचल की राजनीति का केंद्र बिंदु बन गया.

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