Sunday, July 6, 2025
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Hc Restrains Lokpal From Taking Steps Until Might 10 On Cbi Report On Jmm Properties Linked To Soren – Amar Ujala Hindi Information Dwell


HC restrains Lokpal from taking steps till May 10 on CBI report on JMM properties linked to Soren

Delhi Excessive Courtroom
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


दिल्ली उच्च न्यायालय ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष शिबू सोरेन से जुड़ी दो संपत्तियों की जांच पर भारत के लोकपाल को 10 मई तक कोई भी कदम उठाने पर रोक लगाई है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने लोकपाल के समक्ष शिकायत दायर करने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को झामुमो की याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिका में लोकपाल के चार मार्च के आदेश को चुनौती दी गई है। लोकपाल ने अपने आदेश में झामुमो के स्वामित्व वाली दो संपत्तियों की जांच करने के लिए सीबीआई को निर्देश दिया था।

10 मई को होगी मामले की अगली सुनवाई

दिल्ली उच्च न्यायालय में 10 मई को आगे की सुनवाई होगी। उच्च न्यायालय ने कहा कि सीबीआई को अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में लोकपाल को देने की अनुमति है। हालांकि, सुनवाई की अगली तारीख यानी 10 मई तक लोकपाल द्वारा कोई और कदम नहीं उठाया जाएगा। 

 

कोर्ट में वकीलों ने दिए ये तर्क

उधर दिल्ली हाईकोर्ट में झामुमो की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अरुणाभ चौधरी पेश हुए। उन्होंने कहा कि दोनों संपत्तियां राजनीतिक दल की हैं, सोरेन की नहीं। यह भी तर्क दिया गया कि चार मार्च का आदेश लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम के तहत भारत के लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से परे था। कपिल सिब्बल ने कहा कि कानून के तहत जांच केवल एक व्यक्ति के खिलाफ ही शुरू की जा सकती है, किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं। उन्होंने आगे कहा कि सीबीआई अपनी पिछली रिपोर्ट में पहले ही इस निष्कर्ष पर पहुंच चुकी है कि संपत्तियां झामुमो की हैं, इसलिए लोकपाल का आदेश जांच के दायरे से बाहर चला जाता है। बता दें कि लोकपाल ने निशिकांत दुबे की शिकायत पर सीबीआई को झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन से जुड़ी कथित बेनामी संपत्तियों की छह महीने के भीतर जांच करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा झामुमो से संबंधित दो संपत्तियों की जांच करने का भी निर्देश दिया गया है।

झामुमो द्वारा दायर याचिका में क्या कहा गया?

दिल्ली उच्च न्यायालय में झामुमो द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि लोकपाल का आदेश प्रथम दृष्टया कानून की दृष्टि से खराब और अधिकार क्षेत्र के बिना है। दावा किया गया कि यह आदेश झामुमो की जानकारी के बिना पारित किया गया था। याचिका में कहा गया है कि आदेश पारित करने से पहले झामुमो को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था और पार्टी को सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया था।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लगाए थे ये आरोप

इससे पहले लोकपाल को दी गई अपनी शिकायत में निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है। आगे कहा गया है कि भ्रष्ट तरीकों को अपनाकर अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की गई। भाजपा नेता ने दावा किया कि सोरेन ने ये संपत्ति अपने, अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों, सहयोगियों और कंपनियों के नाम की हैं। इस बारे में लोकपाल ने सीबीआई से मासिक रिपोर्ट भेजकर अपनी जांच की प्रगति के बारे में जानकारी देने को भी कहा है।

लोकपाल ने यह भी कहा है कि विचाराधीन दो संपत्तियां झामुमो के नाम पर हैं, जो राज्यसभा सांसद सोरेन द्वारा स्थापित एक राजनीतिक दल है और 2014 में उनके माध्यम से खरीदी गई थी। आगे कहा गया था कि जेएमएम को शिबू सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो भारी राजनीतिक प्रभाव रखते हैं। आदेश में आगे कहा गया था कि झामुमो के नाम पर संपत्तियों की जांच की जानी चाहिए।



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