
इतिहास और बदलाव….
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नई दिल्ली संसदीय सीट सांसदों के सियासी कॅरिअर में रोशनी भरती है। लुटियन की दिल्ली को फतह कर लेना सियासी सिकंदर बनने की गारंटी है। चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री से लेकर दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक बनने में कामयाब रहे हैं। देश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट में राष्ट्रपति भवन भी आता है।
यहां संसद समेत नॉर्थ व साउथ ब्लॉक और सुप्रीम कोर्ट भी है। इस सीट का नतीजा तय करने में सरकारी कर्मचारियों की अहम भूमिका रहती है। 1952 से अब तक हुए 17 चुनावों में दस नेता सांसद बनने में कामयाब रहे हैं। नई दिल्ली की पहली सांसद सुचेता कृपलानी देश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी नई दिल्ली सीट का प्रतिनिधित्व किया है। इसके अलावा इस सीट का प्रतिनिधित्व करने वाली दूसरी नामचीन सियासी शख्सियतों में लाल कृष्ण आडवाणी, केसी पंत, जगमोहन रहे हैं। अलग-अलग समय में तीनों केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। नई दिल्ली सीट से सांसद अजय माकन और मीनाक्षी लेखी भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाने में कामयाब रही हैं। जनसंघ अध्यक्ष बलराज मधोक भी यहां से सांसद बने।
नई दिल्ली की समस्याएं
इस सीट में सबसे अहम मुद्दा महिलाओं की सुरक्षा है। रात के समय अधिकतर सड़कें अंधरे में डूब जाती हैं। पॉश इलाकों से लेकर इसके अंतर्गत आने वाले नारायणा, टोडापुर, चिराग दिल्ली, जमरुदपुर, पिलंजी, शाहपुर जट, मुनिरका, कोटला मुबारकपुर जैसे गांवों में पार्किंग की बड़ी समस्या है। साथ ही, जेजे कॉलोनी में पानी की समस्या आम है। यहां रहने वाले लोग पीने के पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर हैं। यहां विदेशी डेलिगेशन भी आते रहते हैं। इसके बावजूद यहां प्रदूषण ज्यादा रहता है, जबकि यह अरावली क्षेत्र है। सर्दियों में यह क्षेत्र गैस चैंबर बन जाता है।
- इसी तरह व्यापारिक नजर से यहां कनॉट प्लेस, खान मार्केट, सरोजिनी नगर व जनपथ मार्केट जैसे मशहूर बाजार हैं, लेकिन यहां छोटे व्यापारियों के परिसर सील होने के कारण हालत खराब है।
इस बार उम्मीदवार
- आप ने विधायक सोमनाथ भारती को उम्मीदवार बनाया है। वे पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वर्ष 2013 से लगातार मालवीय नगर से विधायक का चुनाव जीत रहे हैं। वर्ष 2013 में 49 दिन की आप की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। मौजूदा समय में दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष हैं।
- भाजपा ने दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज पर दांव लगाया है। बांसुरी पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। करीब एक साल पहले राजनीति में कदम रखने वाली बांसुरी को सर्वप्रथम प्रदेश भाजपा के विधि प्रकोष्ठ में सह-संयोजक की जिम्मेदारी दी गई थी।
कब कौन बना सांसद
- 1952: सुचेता कृपलानी-किसान मजदूर प्रजा पार्टी
- 1957: सुचेता कृपलानी-कांग्रेस
- 1962: एमसी खन्ना-कांग्रेस
- 1967: एमएल सोढ़ी-भारतीय जनसंघ
- 1971: मुकुल बनर्जी-कांग्रेस
- 1977: अटल बिहारी वाजपेयी -भारतीय लोकदल (जनसंघ)
- 1980: अटल बिहारी वाजपेयी -जनता नेशनल पार्टी (जेएनपी)
- 1984: कृष्ण चंद पंत-कांग्रेस
- 1989: लाल कृष्ण आडवाणी-भाजपा
- 1991: लाल कृष्ण आडवाणी-भाजपा
- 1996: जगमोहन-भाजपा
- 1998: जगमोहन-भाजपा
- 1999: जगमोहन-भाजपा
- 2004: अजय माकन-कांग्रेस
- 2009: अजय माकन-कांग्रेस
- 2014: मीनाक्षी लेखी-भाजपा
- 2019: मीनाक्षी लेखी-भाजपा