
कांग्रेस नेता सम्राट सिंह भाजपा नेता भारती पारधी
– फोटो : सौजन्य- चुनाव आयोग हलफनामा
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मध्य प्रदेश के बालाघाट संसदीय सीट पर मतदान का महापर्व किसी जंग से कम नहीं है। यह जिला देश के 12 नक्सली जिलों में शामिल है, जहां आज भी इनका खौफ कायम है। चुनाव आयोग ने चुनाव कराने के लिए सुबह सात से लेकर शाम पांच बजे तक का समय तय किया है, जबकि यहां पर एक घंटे पहले यानी शाम चार बजे ही वोटिंग खत्म हो जाएगी। शांतिपूर्ण मतदान के लिए पूरे संसदीय सीट पर सेना और पुलिस के लगभग पांच हजार जवानों की तैनाती कर दी गई है। मतदान के दिन वायुसेना का हेलिकॉप्टर यहां निगरानी करेगा। संसदीय सीट के तहत परसवाड़ा, बैहर और लांजी विधानसभा क्षेत्र में नक्सल का प्रभाव अधिक माना जाता है। सुरक्षा के लिहाज से 70 फीसदी से अधिक बूथों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
भाजपा ने महिला पार्षद, तो कांग्रेस ने जिला पंचायत अध्यक्ष पर लगाया दांव
बालाघाट से वर्तमान सांसद का टिकट काटने की परंपरा कायम रखते हुए भाजपा ने सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन की जगह पार्षद भारती पारधी को उम्मीदवार बनाया है। ओबीसी महिला को टिकट देकर भाजपा ने बड़ा दांव चला है। वहीं, टिकट कटने से डॉ. बिसेन नाराज हैं, लेकिन जमीन पर इसका असर नहीं है। वहीं, कांग्रेस ने जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वर पर दांव लगाया है। सम्राट भी पहली बार सांसदी का चुनाव लड़ रहे। वहीं, तीन बार के विधायक व एक बार के सांसद कंकर मुंजारे बसपा से किस्मत अजमा रहे हैं।
नक्सलियों की शरणस्थली
बालाघाट संसदीय सीट नक्सलियों की शरणस्थली है। छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में घटनाओं को अंजाम देकर नक्सली छिपने के लिए बालाघाट के जंगलों में आ जाते हैं। अब भी बालाघाट में 60 से 70 नक्सली सक्रिय हैं। पिछले तीन साल में लगभग 13 हार्डकोर नक्सली मारे गए हैं। दो नक्सली इसी महीने मुठभेड़ में मारे गए हैं। नक्सल प्रभावित गांवों में भी सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंच चुकी हैं, लेकिन अब भी कई इलाके ऐसे हैं, जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं पहुंचा है। इसके कारण सोशल मीडिया की दुनिया से यहां के युवा दूर हैं।
करीब तीन लाख वोटर आदिवासी
विधानसभा में भाजपा पिछड़ी : 2023 के विधानसभा चुनाव में भी बालाघाट जिले में काफी राजनीतिक उठापटक देखी गई। बालाघाट में विधानसभा चुनाव में 6 सीटों में से चार पर कांग्रेस तो महज दो सीटों पर भाजपा जीती थी।
बेरोजगारी और विकास मुद्दा
सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बेरोजगारी और विकास है। यहां के युवाओं को रोजगार पाने के लिए महाराष्ट्र, तेलंगाना सहित दूसरे राज्यों की ओर रुख करना पड़ता है। विकास के मामले में यह क्षेत्र काफी पिछड़ा है। रेल और हवाई सुविधाएं नहीं है। आदिवासी क्षेत्र के कई गांव सड़क से जुड़ नहीं पाए।
जातिगत समीकरण
बालाघाट में एक तिहाई आबादी आदिवासियों की है। चार विधानसभा क्षेत्रों में आदिवासी वोटरों का वर्चस्व है। इसके बाद पवार समाज के मतदाताओं का प्रभाव है, जो ओबीसी समाज से आते हैं। भाजपा उम्मीदवार भारती पारधी पवार जाति का प्रतिनिधित्व करती हैं। बालाघाट संसदीय क्षेत्र में लगभग साढे़ चार लाख वोटर पवार जाति के हैं। इसी तरह आदिवासी वोटरों की संख्या लगभग 3 लाख और लोधी समाज के वोटरों की संख्या पौने दो लाख के आसपास बताई जाती है। मरार, कलार, कुनबी जाति के रुख से चुनाव पर असर पड़ता है।
पिछले दो चुनावों के हाल
2019
उम्मीदवार दल मत%
ढाल सिंह बिसेन भाजपा 50.71
मधु भगत कांग्रेस 33.08
2014
बोध सिंह भगत भाजपा 43.17
हिना लिखीराम कावड़े कांग्रेस 34.54
पति-पत्नी विवाद से चर्चा में
बसपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे कंकर मुंजारे की पत्नी बालाघाट से कांग्रेस की विधायक हैं। चुनाव शुरू होते ही कंकर ने पत्नी अनुभा मुंजारे से कहा कि 19 अप्रैल तक बहन के पास चली जाएं, क्योंकि दो विचारधारा के लोग एक छत के नीचे रहकर चुनाव प्रचार नहीं कर सकते। अनुभा ने इन्कार करते हुए कहा, कोई भी महिला पति के घर डोली पर आती है और अर्थी पर जाती है। वह पति के घर से ही कांग्रेस के लिए प्रचार करने में जुटी हैं। हालांकि, कंकर ने नाराज होकर जंगल में झोपड़ी लगा ली है। वह झोपड़ी में रहकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं।