Saturday, July 5, 2025
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Global Future Will Not Be Driven By Big Tech But By India’s Dpi: Kant – Amar Ujala Hindi News Live


Global future will not be driven by big tech but by India's DPI: Kant

अमिताभ कांत
– फोटो : amarujala.com

विस्तार


दुनिया का भविष्य बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों से नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर विकसित डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी संरचना (DPI) प्लेटफॉर्म्स से संचालित होगा। गुरुवार को यह दावा जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने किया। ‘वी मेड इन इंडिया’ कार्यक्रम में कांत ने कहा कि भारत अपनी डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) को दुनिया के बाकी हिस्सों में पहुंचाएगा और कई देश इसके लिए पहले से ही तैयारी कर रहे हैं।

डीपीआई के अंतर्गत आधार के माध्यम से डिजिटल पहचान, UPI के जरिए वास्तविक समय पर भुगतान और खाता एग्रीगेटर जैसी अन्य सेवाएं शामिल हैं। पिछले साल G-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान भारत ने इस बारे में क्षमता का दुनिया के सामने प्रदर्शन किया था। कांत ने कहा कि भारत ने अपनी रणनीतियों के माध्यम से जो प्रगति की है, उसे देखते हुए जी-20 के दौरान दुनिया ने डीपीआई की परिभाषा और ढांचे को स्वीकार किया था।

उन्होंने कहा, “जी-20 के दौरान, दुनिया ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रा की परिभाषा को स्वीकार किया, दुनिया ने डीपीआई के ढांचे को स्वीकार किया और हमारे आकलन के अनुसार, भविष्य बड़ी तकनीक द्वारा संचालित नहीं होगा, यह डीपीआई द्वारा संचालित होगा।” ‘बिग टेक’ आम तौर पर एप्पल, गूगल की पैतृक कंपनी अल्फाबेट, अमेजन और मेटा जैसी दिग्गज टेक कंपनियों को कहा जाता है। 

भारत का डीपीआई उद्यमियों के लिए नए अवसर पैदा करेगा: कांत

कांत ने कहा कि भारत का डीपीआई पूरी दुनिया में स्थानांतरित होगा और यह देश के उद्यमियों के लिए बहुत सारे अवसर पैदा करेगा, जिसका लाभ उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘डीपीआई बाकी दुनिया का पर्याय बन जाएगा।’ उन्होंने कहा कि यह 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में बड़ा योगदान देगा। दूसरी ओर, पूर्व नौकरशाह ने बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों से देश के ‘स्टार्टअप आंदोलन’ में निवेश करने का आग्रह किया, उन्होंने इस दौरान बताया कि सिलिकॉन वैली इकोसिस्टम, जो बड़ी टेक कंपनियों का घर है, ऐसे ही धैर्यवान निवेशकों द्वारा उठाए गए दांव से बना है। 

भारत के स्टार्टअप मूवमेंट में निवेश से बढ़ेगा भारत: जी 20 शेरपा 

कांत ने कहा कि वर्तमान में घरेलू स्टार्टअप के लिए तीन-चौथाई से अधिक फंडिंग अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से आ रही है, जबकि इसके केवल एक चौथाई घरेलू स्रोतों से आता है, इनमें बहुत अधिक नेट वर्थ वाले लोग (HNI) भी शामिल हैं।उन्होंने कहा, ‘हमें भारतीय बीमा कंपनियों की जरूरत है, हमें भारतीय पेंशन फंड की जरूरत है, हमें भारतीय एचएनआई (हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स) की जरूरत है, ताकि वे जोखिम उठा सकें और भारत के स्टार्टअप मूवमेंट में निवेश किया जा सके और इसी तरह भारत आगे बढ़ेगा। कांत ने भारत में डीप टेक सेक्टर के लिए फंड ऑफ फंड्स की आवश्यकता पर भी बात की, जो वेंचर कैपिटल फंड्स को भविष्य में बहुत प्रासंगिकता के साथ इस क्षेत्र में लगे स्टार्टअप में दांव लगाने में मदद करेगा।

स्टार्टअप्स कॉरपोरेट प्रशासन और एक मजबूत कार्य संस्कृति पर ध्यान केंद्रित करें

स्टार्टअप जगत में बायजू जैसे झटकों पर बोलते हुए कांत ने कहा कि स्टार्टअप्स को भी कॉरपोरेट प्रशासन और एक मजबूत कार्य संस्कृति के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने आगे बढ़ने के लिए स्व-नियमन (Self Regulation) सबसे अच्छा समाधान बताया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार स्टार्टअप्स को विनियमित करने लगेगी तो यह उनके नवाचार को “मार” देगी। उन्होंने कहा कि इनोवेशन हमेशा सरकार से आगे रहता है। टैक्स, रेगुलेटरी सिस्टम जैसी सरकारी मशीनरी हमेशा इनोवेशन के पीछे रहेगी। वे कभी भी नवाचार के मामले में आगे नहीं बढ़ सकते। इसलिए अगर सरकार स्टार्टअप्स के नियमन में शामिल होने लगी तो हम इनोवेशन को खत्म कर देंगे।

ऐसे समय जब भारत अपनी वृद्धि को गति देने के लिए सेवा क्षेत्र पर ध्यान देने की मांग कर रहा है, कांत ने विनिर्माण पर भी ध्यान देने की वकालत करते हुए कहा कि इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार का सबसे उल्लेखनीय काम मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है।



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