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नई दिल्ली41 मिनट पहले
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FSSAI ने सभी फूड कंपनियों को अपने फ्रूट जूस के लेबल और विज्ञापनों से ‘100% फ्रूट जूस’ के दावों को तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश दिया है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने सोमवार (3 जून) को बयान जारी कर इस बात की जानकारी दी।
इतना ही नहीं FSSAI ने सभी फूड कंपनियों को अपने मौजूदा प्री-प्रिंटेड पैकेजिंग मटेरियल्स को 1 सितंबर 2024 से पहले खत्म करने का भी निर्देश दिया।
फ्रूट जूस की गलत तरीके से मार्केटिंग कर रहे हैं फूड बिजनेस ऑपरेटर्स
FSSAI ने कहा, ‘हमने पाया कि कई फूड बिजनेस ऑपरेटर्स (FBOs) कई प्रकार के रीकॉन्स्टिट्यूटेड फ्रूट जूस की गलत तरीके से मार्केटिंग कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि वे ‘100% फ्रूट जूस’ हैं।’
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स रेगुलेशन में ‘100%’ दावा करने का कोई प्रावधान नहीं
FSSAI ने आगे कहा, ‘जांच के बाद फूड रेगुलेटर इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स (एडवरटाइजिंग एंड क्लेम्स) रेगुलेशन 2018 के अनुसार, ‘100%’ दावा करने का कोई प्रावधान नहीं है।’
कंपनियां पानी और फ्रूट कंसन्ट्रेट या पल्प का यूज कर फ्रूट जूस बना रही हैं
फूड रेगुलेटर ने कहा कि ऐसे दावे भ्रामक हैं। खासकर उन कंडीशंस में जब फ्रूट जूस का मेन इंग्रीडिएंट पानी है। वहीं प्राइमरी इंग्रीडिएंट फ्रूट बहुत ही लिमिटेड मात्रा में मौजूद होता है, जिसके लिए कंपनी ‘100%’ का दावा कर देती हैं। हालांकि, कंपनियां पानी और फ्रूट कंसन्ट्रेट या पल्प का यूज कर फ्रूट जूस को रीकॉन्स्टिट्यूट कर रही हैं।
फूड कंपनियां जूस की इंग्रीडिएंट लिस्ट में ‘रीकॉन्स्टिट्यूटेड’ शब्द को मेंशन करें
भारत के फूड लॉ के अनुसार, फूड कंपनियों के लिए यह अनिवार्य है कि वे कंसन्ट्रेट से रीकॉन्स्टिट्यूटेड जूस के नाम के आगे इंग्रीडिएंट लिस्ट में ‘रीकॉन्स्टिट्यूटेड’ शब्द को मेंशन करें।
इसके अलावा, अगर न्यूट्रिटिव स्वीटनर्स 15gm/kg से ज्यादा है, तो प्रोडक्ट को ‘स्वीटेंड जूस’ के रूप में लेबल किया जाना चाहिए।
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इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी ICMR ने कहा है कि पैकेज्ड फूड पर लगे लेबल के दावे भ्रामक हो सकते हैं। साथ ही हेल्थ रिसर्च बॉडी ICMR ने यह भी कहा कि कंज्यूमर्स को पैकेज्ड फूड पर दी गई जानकारी को ध्यान से पढ़ना चाहिए, ताकि उन्हें जानकारी हो और वे अपने लिए हेल्दी फूड चुन सकें। पूरी खबर पढ़ें…