
एफएसएसएआई
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केंद्र ने बहुराष्ट्रीय एफएमसीजी कंपनी, नेस्ले के खिलाफ भारत में शिशु खाद्य उत्पादों में चीनी मिलाने से जुड़ी रिपोर्ट्स पर संज्ञान लिया है। स्विस जांच संगठन पब्लिक आई ने बताया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा शिशु खाद्य उत्पादों में अतिरिक्त चीनी पर प्रतिबंध लगाने के कड़े दिशानिर्देशों के बावजूद, कंपनी भारत में सेरेलक जैसे उत्पादों में चीनी मिलाती है।
सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भारत का खाद्य नियामक एफएसएसएआई पब्लिक आई की रिपोर्ट की जांच कर रहा है और इसे वैज्ञानिक पैनल के सामने रखा जाएगा। उधर, नेस्ले ने एएनआई के सवालों का जवाब देते हुए कहा, “हम बच्चों के लिए अपने उत्पादों की पोषण गुणवत्ता बनाए रखते हैं और हमेशा उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग करने को प्राथमिकता देते हैं।
पिछले पांच वर्षों में, नेस्ले इंडिया ने हमारे शिशु अनाज पोर्टफोलियो (दूध अनाज आधारित पूरक भोजन) में वैरिएंट के आधार पर चीनी की अतिरिक्त मात्रा को 30% तक कम किया है। हम नियमित रूप से अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करते हैं और गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वाद से समझौता किए बिना अतिरिक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए अपने उत्पादों को नया बनाना और उनमें सुधार करना जारी रखते हैं।
हलांकि रिपोर्ट दावा किया गया है कि कंपनी ने भारत के अलावे कई एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों में अपने खाद्य उत्पादों में शहद और चीनी मिलाकर WHO की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है।
रिपोर्ट में कहका गया है कि भारत में बिकले वाले 15 सेरेलैक उत्पादों की जांच से पता चलता है कि उनकी प्रत्येक खुराक में 2.7 ग्राम चीनी है। चीनी की मात्रा का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि एक शुगर क्यूब करीब 4 ग्राम चीनी का होता है। रिपोर्ट के अनुसार उत्पादों में चीनी की मौजूदगी की जानकारी कंपनी ने लेबलिंग पर भी पारदर्शी तरीके से नहीं दी।
रिपोर्ट में दावा किया है कि नेस्ले गरीब देशों में तो WHO दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करता है पर विकसित देशों के मामले ऐसा नहीं है। जांच में पता चला कि जर्मनी और ब्रिटेन में बिकने वाले शिशु दुग्ध उत्पादों में चीनी की मात्रा शून्य थी। इसके मुकाबले गरीब देशों इथोपिया और थाईलैंड में बिकने वाले उत्पादों में चीनी की मात्रा प्रति खुराक क्रमशः 5 और 4 ग्राम रही।
विश्व स्वाथ्य संगठन के एक ताजा अध्ययन के अनुसार 11 प्रतिशत भारतीय मधुमेह से पीड़ित हैं और 35.5 प्रतिशत उच्च रक्तचाप से जूझ रहे हैं। WHO ने चेताया है कि कम और मध्यम आय वाले देशों में मोटापा महामारी के अनुपात में बढ़ गया है। इससे इन देशों में हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह का खतरा बढ़ रहा है।
चीनी की अधिक मात्रा वाले अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का अधिक इस्तेमाल मोटापा बढ़ने का एक प्रमुख कारण माना जाता है। पब्लिक आई की रिपोर्ट के अनुसार एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों में बिकने वाले नैस्ले के 115 उत्पादों की जांच की गई इनमें 108 में चीनी की अधिक मात्रा मिली।