
एनी राजा, राहुल गांधी, के सुरेंद्रन
– फोटो : एएनआई (फाइल)
विस्तार
मध्य प्रदेश के धार निवासी सूर्यपाल सिंह ने जब केरल स्टोरी फिल्म की पटकथा लिखी, तो शायद उन्हें अंदाज नहीं रहा होगा कि यह एक बड़ी बहस का मुद्दा बनेगी। भाजपा ने धर्मांतरण पर आधारित इस फिल्म को बाद में कर्नाटक समेत देश के कई हिस्सों में भुनाया भी। लेकिन, विश्लेषकों को जल्द ही पता चल गया कि इस तरह के नैरेटिव से मुस्लिम बहुल केरल में भगवा पार्टी की राह पहले से मुश्किल हो जाएगी। ध्रुवीकरण के चलते मुस्लिम समुदाय और एकजुट हो जाएगा और जो थोड़े बहुत वोट लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) को जाते हैं, उनमें भी अधिकतर कांग्रेस नीत युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के खाते में आ जाएंगे। वायनाड कांग्रेस की पारंपरिक सीट है। यहां मुस्लिम वोटों से बिना खास प्रयास के ही राहुल जीत सकते हैं। उन्हें हिंदू और ईसाई भी वोट डालते हैं। पिछली बार वे करीब 40% के अंतर से जीते थे।
हालांकि, चुनावों को छोड़ दें तो कुछ खास लोगों या संगठनों के अलावा, यहां भी राहुल तक पहुंच उतनी ही दुरूह है, जैसी बाकी देश में। भाषायी दिक्कतों और दूर रहने के चलते वैसे भी उनका जमीनी लोगों से जुड़ाव कम है। यही वजह है कि आम लोगों ने भारत-जोड़ो यात्रा के दौरान गांधी परिवार के इस राजकुमार को गले लगाने और माथा चूमने के मौके को जमकर भुनाया। निजी ड्राइंग रूम छोड़िए, देश के कई कोनों में इनके चेहरे बड़े-बड़े होर्डिंग्स में राहुल के साथ शोभायमान हैं। वायनाड के चप्पे-चप्पे पर भी।
अजीब बात है, पर प्राकृतिक मसालों व औषधीय पैदावार, रबर, केला, चाय-कॉफी, बांस प्लांटेशन से संपन्न वायनाड अब भी स्वास्थ्य, कनेक्टिविटी, पहाड़ी व वन क्षेत्र होने की वजह से जंगली जानवरों के हमलों जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। खासतौर पर तब, जब यह पर्यटन का बड़ा केंद्र है। हर साल लाखों पर्यटक यहां आते हैं और राहुल के चलते भी देश की निगाह इस ओर रहती है। बावजूद इसके, बढ़ते ट्रैफिक जाम से निजात के लिए कारगर कदम नहीं उठाया जा सका। लंबे समय से मेडिकल कॉलेज की मांग हो रही है, क्योंकि इमरजेंसी में यहां से बंगलूरू या मैसूरू जाना पड़ता है। आसपास घने वन क्षेत्र के कारण रात 9 से सुबह 6 के बीच हाईवे पर आवागमन बंद रहता है, जिससे स्थिति खराब हो जाती है। अभी तक इस दिशा में कोई खास काम नहीं हुआ है। हालांकि 2019-20 में एमपी लैड फंड के तहत 4.61 करोड़ विभिन्न योजनाओं में लगाए गए। 2018 और 2019 में बाढ़ राहत के तहत 18,000 किट प्रभावित लोगों को दिए गए। राहुल ख्रुद यहां आए भी। कोविड के दौरान भी लोगों का ध्यान रखा।
केरल में मुस्लिम मुख्यतया कांग्रेस के साथ जाता है। वहीं, ईसाइयों का वोट कांग्रेस और वामदलों के बीच बंटता आया है। यही वह हिस्सा है, जिस पर भाजपा लंबे समय से काम कर रही है। हालांकि मणिपुर हिंसा के बाद यहां भी गुंजाइश कम नजर आ रही है।
दूसरी ओर, भाजपा ध्रुवीकरण के लिए सभी संभव रणनीतियां अपना रही है। हाल ही में सुरेंद्रन ने दावा किया कि वे चुने जाते हैं तो वायनाड जिले के एक नगर सुल्तान बथेरी का नाम फिर गणपतिवट्टम किया जाएगा। उन्होंने कहा, टीपू सुल्तान ने हिंदुओं व ईसाइयों का संहार कर यहां जैन मंदिर को तोड़ा था। फिर गणपति के मंदिर को क्षतिग्रस्त कर अपने हथियारों के भंडारण के लिए इस्तेमाल किया। इसलिए नाम बदला जाना चाहिए। सुल्तान बथेरी के इलेक्ट्रिकल कॉन्ट्रैक्टर अथुल के मुताबिक, इस बयान को हिंदू और ईसाई समेत सारी जनता भावनाएं भड़काने वाला मान रही है। केंद्रीय कर्मी रामानुज कहते हैं कि इससे वही वोटबैंक संगठित होगा, जो पहले से भाजपा का है।
वायनाड वायल और नाडु शब्दों से मिलकर बना है। इसका अर्थ होता है धान की भूमि। 1980 में यह केरल का 12वां जिला बना, फिर परिसीमन के चलते 2009 में संसदीय सीट। इसके तहत सात विधानसभा सीटें आती हैं। कभी धान के लिए प्रसिद्ध वायनाड की दो प्रजातियों को जीआई टैग मिला है, लेकिन धीरे-धीरे किसान इसे छोड़ कर मुनाफे की खेती की ओर रुख कर रहे हैं।
संख्या गणित
मुस्लिम: लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिमों की आबादी करीब 40% बताई जाती है। लेकिन स्थानीय जानकारों का कहना है कि नई जनगणना के आंकड़ों में मामूली अंतर हो सकता है।
हिंदू: संसदीय क्षेत्र में हिंदू आबादी 35% के करीब है। इनमें 16% के करीब ओबीसी और आदिवासी हैं। ओबीसी का बड़ा वर्ग लेफ्ट को सपोर्ट करता है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ लंबे समय से यहां सक्रिय है। करीब 5000 शाखाएं केरल के विभिन्न हिस्सों में चल रही हैं। इनके प्रभाव में ओबीसी का कुछ वोट भाजपा को भी जाता है। हिंदुओं के ऊंचे तबके का वोट कांग्रेस, लेफ्ट और भाजपा में बंटा हुआ है।
ईसाई: तीसरी बड़ी संख्या ईसाइयों की करीब 25 प्रतिशत है। यह आमतौर पर लेफ्ट के समर्थक हैं। कुछ वोट कांग्रेस को भी जाते हैं।
40% मुस्लिम आबादी, 75% कारोबार पर इनकी छाप, समाज में मैत्रीपूर्ण संबंध…पर धर्मांतरण भी सच्चाई
बड़े तबके पर एलडीएफ का प्रभाव, भाजपा को सुल्तान बथेरी का नाम बदलने के दावे से ध्रुवीकरण की उम्मीद
हर जगह भारत जोड़ो यात्रा के भावनात्मक पोस्टर, राहुल को भाई, बेटा और गरीबों के हितैषी जैसा किया प्रोजेक्ट
गठबंधन दल
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और कांग्रेस जैसे दलों के गठबंधन वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी यूडीएफ। राहुल गांधी इस के उम्मीदवार हैं। अमेठी गड़बड़ाने के बाद पार्टी ने इन्हें अपनी सबसे सुरक्षित सीट पर उतारा। निश्चित जीत की आहुति देने वाले पार्टी के टी सिद्दीकि को बाद में इनाम स्वरूप केरल कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। वे कलपेट्टा से विधायक भी हैं।
भाजपा
प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन मैदान में हैं। सुरेंद्रन मूलत: कोझिकोड के हैं। मुखर वक्ता हैं, लेकिन विपक्षी इनकी इस खूबी को अहंकार या बड़बोलेपन के रूप में प्रचारित करते हैं। एलडीएफ सीपीआई की नेशनल एग्जिक्यूटिव की सदस्य और दिग्गज नेता डी राजा की धर्मपत्नी एनी राजा उम्मीदवार हैं। राहुल को इनसे टक्कर मिल रही है। हालांकि, सीपीआई और सीपीआईएम के बीच मतभेदों का असर इनके चुनाव पर भी पड़ा है।
धर्मांतरण पर रुख : वरिष्ठ मीडियाकर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि धर्म परिवर्तन को लेकर ऊपर से कुछ नजर नहीं आता। लेकिन बीते समय में जिस तरह धर्मांतरण के मामले सामने आए हैं और मुस्लिमों की संख्या बढ़ी है, भीतर-भीतर नाराजगी सुलग रही है।
वायनाड : वर्ष 2019 के नतीजे
2019
उम्मीदवार दल मत मत%
राहुल गांधी कांग्रेस 7.07 लाख 64.64
पीपी सुनीर सीपीआई 2.75 लाख 25.13
2014
उम्मीदवार दल मत मत%
एमआई शनावास कांग्रेस 3.77 लाख 41.2
सत्यन मोकेरी सीपीआई 3.56 लाख 38.9
खाड़ी देशों में काम
यहां से बड़ी संख्या में मुस्लिम खाड़ी देशों में स्थापित हैं। ठीक उसी तरह जैसे पंजाब के सिख कनाडा या यूएस में। वे वहां से खासा धन यहां भेजते हैं, जिनसे उनके रिश्तेदार यहां अच्छा कारोबार कर पा रहे हैं। इस नजरिए से देखा जाए तो करीब 75 प्रतिशत व्यापार पर उनकी पकड़ है। वायनाड चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रेसिडेंट जॉन पट्टानी का कहना है कि कारोबार जगत राहुल को वोट देता है क्योंकि वे लेफ्ट की नीतियों से खुश नहीं और भाजपा से कारोबारी सौहार्द बिगड़ता है। हालांकि, धर्मांतरण की बात उन्होंने भी दबी जुबां में स्वीकारी।