Tuesday, July 15, 2025
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EVMs VVPAT Machines Supreme Court Hearing Update | Lok Sabha Election | VVPAT वेरिफिकेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: चुनाव आयोग से पूछा- विरोध क्यों हो रहा, प्रक्रिया बताइए; आयोग बोला- ये सिर्फ आशंकाएं


नई दिल्ली2 मिनट पहले

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इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ADR समेत अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रही है।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े पैरवी कर रहे हैं। प्रशांत भूषण एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की तरफ से पेश हुए। वहीं चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट मनिंदर सिंह मौजूद हैं।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वोटर्स को वीवीपैट स्लिप दी जानी चाहिए और वे इसे बैलट बॉक्स में डाल देंगे। वोटर्स की प्राइवेसी के चलते वोटिंग के अधिकार को किनारे नहीं किया जा सकता है।

एक अन्य वकील ने कहा- इंजीनियर्स के पास मशीनों का इनडायरेक्ट एक्सेस होता है और वे चुनाव आयोग के प्रति जिम्मेदार नहीं होते हैं। जो भी इस प्रक्रिया में शामिल हो, उसकी इलेक्शन कमीशन के प्रति जवाबदेही होनी चाहिए।

जस्टिस खन्ना ने कहा- इलेक्शन कमीशन जिम्मेदारियों से मुंह नहीं छिपा रहा है। अगर कुछ गलत होता है तो इलेक्शन कमीशन जिम्मेदार है। अगर उन्हें अपग्रेड करना है तो वे करेंगे।

जस्टिस खन्ना- चुनाव आयोग हमें पूरी प्रक्रिया बताइए, वीवीपैट की गिनती कैसे होती है, किस स्टेज पर कैंडिडेट का प्रतिनिधि, वो मैकेनिज्म क्या है, जिससे तय हो कि कोई छेड़छाड़ ना हो। ये लोग पार्लियामेंट्री कमेटी की रिपोर्ट पर भरोसा कर रहे हैं, हमें इस पर स्पष्टीकरण चाहिए। आखिर विरोध क्यों हो रहा है।

इस पर मनिंदर सिंह ने कहा कि ये केवल आशंकाएं हैं और कुछ नहीं। कोर्ट ने कहा- यह चुनावी प्रक्रिया है। इसकी पवित्रता कायम रहनी चाहिए, किसी को भी शक नहीं होना चाहिए कि ये होना चाहिए था और हुआ नहीं।

याचिकाकर्ता की मांग, 100% वेरिफिकेशन हो
VVPAT पर्चियों की 100% वेरिफिकेशन को लेकर एक्टिविस्ट अरुण कुमार अग्रवाल ने अगस्त 2023 में याचिका लगाई गई थी। याचिका में कहा गया कि वोटर्स को VVPAT की पर्ची फिजिकली वेरिफाई करने का मौका दिया जाना चाहिए। वोटर्स को खुद बैलट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए। इससे चुनाव में गड़बड़ी की आशंका खत्म हो जाएगी।

लाइव अपडेट्स

2 मिनट पहले

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कोर्ट रूम LIVE

जस्टिस खन्ना: आम आदमी कैसे पता करेगा कि वोट डाला जा चुका है?

चुनाव अधिकारी: हम इसके लिए जागरूकता अभियान चलाते हैं, डेमोन्ट्रेशन भी होता है।

जस्टिस खन्ना: हम वोटिंग के बाद एक रजिस्टर साइन करते हैं। क्या ऐसी कोई व्यवस्था है कि रजिस्टर में दिए नंबर से कितने वोट दिए गए हैं, इसका मिलान हो।

चुनाव अधिकारी: सुविधा के हिसाब से इसे किया जाता है। चुनाव अधिकारी टोटल का बटन दबा सकता है।

जस्टिस खन्ना: मान लीजिए 17ए और 17सी में कोई गड़बड़ी हो। ऐसा कितनी बार होता है।

चुनाव अधिकारी: इनबिल्ट करेक्शन होता है।

6 मिनट पहले

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कोर्ट रूम LIVE

जस्टिस खन्ना: कितने स्ट्रॉन्ग रूम रहते हैं।

चुनाव अधिकारी: लोकसभा चुनाव के लिए 8 और विधानसभा के लिए 1-2

जस्टिस खन्ना: एक मिनट में कितने वोट डाले जा सकते हैं?

चुनाव अधिकारी: आमतौर पर 4 से कम वोट।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा: केरला में मॉकपोल के दौरान EVMs में भाजपा के फेवर में ज्यादा वोट रिकॉर्ड किए जाने का आरोप लगाया गया था, उसे भी देखिए।

7 मिनट पहले

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कोर्ट रूम LIVE

चुनाव अधिकारी: मशीनों को लोकसभा क्षेत्रों में भेजा जाता है। कोई भी अवैध यूनिट नहीं जोड़ी जा सकती है। ये केवल अपनी यूनिट को पहचानती हैं।

जस्टिस खन्ना: तो मैन्युफैक्चरर ये नहीं जानता है कि कौन सा बटन किस पार्टी को दिया गया है।
चुनाव अधिकारी: हां, इसके अलावा यह भी कि कौन सी मशीन किस लोकसभा क्षेत्र में भेजी जा रही है।

जस्टिस खन्ना: तो स्टोरेज इलेक्शन प्रोसेस शुरू होने के पहले ही हो जाती है।
चुनाव अधिकारी: हां, और स्ट्रॉन्ग रूम, जहां मशीनें होती हैं, उन्हें अकेले कोई नहीं खोल सकता है। 100 फीसदी मशीनें मॉक टेस्ट पास करती हैं। कैंडिडेट्स कोई भी 5 मशीनें चुन सकता है। ये प्रक्रिया चुनाव के दिन फिर दोहराई जाती है। वीवीपैट स्लिप निकाली जाती हैं और गिनी जाती हैं और इनका मिलान होता है। हर मशीन की पेपर सील अलग होती है। मशीन जब लाई जाती है तो सील नंबर चेक किए जा सकते हैं।

13 मिनट पहले

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जस्टिस खन्ना: आपके पास कितनी वीवीपैट मशीने हैं? करीब 2 करोड़। ये ईवीएम के बराबर नहीं हैं? आप प्रोग्राम मेमोरी को दोबारा नहीं बना सकते हैं।

चुनाव अधिकारी: नहीं, ये चिप में जाती है, जिसे बदला नहीं जा सकता है।

जस्टिस खन्ना: अगर कैंडिडेट सॉफ्टवेयर मैन्युफैक्चरिंग पर सवाल उठाता है तो?

चुनाव अधिकारी: इसे पब्लिकली नहीं दिखाया जा सकता है।

14 मिनट पहले

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जस्टिस खन्ना: सॉफ्टवेयर इलेक्शन कमीशन मुहैया कराता है, क्या कोई लॉकिंग मैकेनिज्म है? लैपटॉप रिटर्निंग अफसर इस्तेमाल करता है, क्या ये सुरक्षित है? क्या लैपटॉप के इस्तेमाल पर कोई प्रतिबंध है?

चुनाव अधिकारी: नहीं, लेकिन इसे अलग रखा जाता है।

जस्टिस खन्ना: अगर SLUs सुरक्षित है तो हम जानते हैं कि कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता है। फ्लैश मेमोरी फीड करने के बाद कोई दस्तखत लिए जाते हैं?

चुनाव अधिकारी: हां लोडिंग के बाद वीवीपैट प्रिंट की कमांड देता है, हम यह निश्चित करते हैं कि सही निशान लोड किए गए हैं। रिटर्निंग अफसर और कैंडिडेट दस्तखत करते हैं।

15 मिनट पहले

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जस्टिस खन्ना: अच्छा तो चुनाव से 7 दिन पहले आप कैंडिडेट्स की मौजूदगी में इमेज वीवीपैट की फ्लैश मेमोरी में अपलोड करते हैं। एक बार अपलोड किए जाने के बाद इसे बदला नहीं जा सकता है, क्योंकि ये किसी कम्प्यूटर या लैपटॉप से नहीं जुड़ी होती है। कितनी SLUs बनाई जाती हैं।

चुनाव अधिकारी: आमतौर पर हर क्षेत्र में एक, ये नतीजे आने तक रिटर्निंग अफसर की निगरानी में रहती हैं।

जस्टिस खन्ना: छेड़छाड़ ना हो इसके लिए क्या ये सीलबंद रहती है?

चुनाव अधिकारी: अभी यह व्यवस्था नहीं है।

26 मिनट पहले

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जस्टिस खन्ना: निश्चित तौर पर प्रिंटर में कोई सॉफ्टवेयर होगा।

चुनाव अधिकारी: हर PAT में 4 मेगाबाइट की फ्लैश मेमोरी होती है, जिसमें सिम्बल स्टोर रहते हैं। रिटर्निंग अफसर इलेक्ट्रॉनिक बैलट बॉक्स तैयार करता है। इसे सिंबल लोडिंग यूनिट में अपलोड किया जाता है। ये सीरियल नंबर, कैंडिडेट का नाम और सिंबल बताता है। कुछ भी पहले से लोड नहीं होता है। इसमें डेटा नहीं है, ये इमेज फॉरमेट है।

जस्टिस खन्ना: निश्चित तौर पर इमेज भी कोई फाइल होती होगी? आप इसे लोगों को कैसे बताते हैं?

चुनाव अधिकारी: हां ये FAQs के रूप में पब्लिक प्लेटफॉर्म पर है।

27 मिनट पहले

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जस्टिस खन्ना: 3 चीजें हैं जो सभी कंट्रोल यूनिट में अपलोड होती हैं?

चुनाव अधिकारी: कंट्रोल यूनिट वीवीपैट को कमांड देती है कि बटन नंबर 3 से जुड़ी जानकारी प्रिंट कर दी जाए। स्लिप कटकर वीवीपैट से जुड़े सीलबंद बक्से में गिरती है, जो वीवीपैट से ही जुड़ा होता है। मतदाता ये स्लिप 7 सेकेंड तक देख सकता है। वीवीपैट कंट्रोल यूनिट तक सिग्नल भेजती है। वीवीपैट केवल कंट्रोल यूनिट से कम्युनिकेट करती है। सबकुछ कंट्रोल यूनिट में जमा रहता है।

27 मिनट पहले

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जस्टिस खन्ना: आप कह रहे हैं कि वीवीपैट केवल प्रिंटर है। चुनाव निशान का डेटा किस यूनिट में अपलोड होता है?

चुनाव अधिकारी: मैं इलेक्शन की प्लानिंग देखता हूं। यहां जो भी कह रहा हूं वो बिना अथॉरिटी के कह रहा हूं। बैलट यूनिट केवल ये बताती है कि बटन नंबर 3 दबाया गया है। बैलट यूनिट को कैंडिडेट का पता नहीं है। कुछ भी कंट्रोल यूनिट में लोड नहीं होता है।

36 मिनट पहले

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मनिंदर सिंह: केवल आशंकाएं हैं और कुछ नहीं।

जस्टिस दत्ता: यह चुनावी प्रक्रिया है। इसकी पवित्रता कायम रहनी चाहिए, किसी को भी शक नहीं होना चाहिए कि ये होना चाहिए था और हुआ नहीं।

48 मिनट पहले

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(इलेक्शन कमीशन की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह….इसके पहले सभी दलीलें याचिककर्ताओं की ओर से थीं)

जस्टिस खन्ना: मिस्टर सिंह (इलेक्शन कमीशन के वकील), हमें पूरी प्रक्रिया बताइए, वीवीपैट की गिनती कैसे होती है, किस स्टेज पर कैंडिडेट का प्रतिनिधि, वो मैकेनिज्म क्या है, जिससे तय हो कि कोई छेड़छाड़ ना हो। ये लोग पार्लियामेंट्री कमेटी की रिपोर्ट पर भरोसा कर रहे हैं, हमें इस पर स्पष्टीकरण चाहिए। आखिर विरोध क्यों हो रहा है।

55 मिनट पहले

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एक अन्य वकील ने कहा: इंजीनियर्स के पास मशीनों का इनडायरेक्ट एक्सेस होता है और वे चुनाव आयोग के प्रति जिम्मेदार नहीं होते हैं। जो भी इस प्रक्रिया में शामिल हो, उसकी इलेक्शन कमीशन के प्रति जवाबदेही होनी चाहिए।

जस्टिस खन्ना: इलेक्शन कमीशन जिम्मेदारियों से मुंह नहीं छिपा रहा है। अगर कुछ गलत होता है तो इलेक्शन कमीशन जिम्मेदार है। अगर उन्हें अपग्रेड करना है तो वे करेंगे।

55 मिनट पहले

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एडवोकेट हेगडे: 14 से 18 राउंड के बीच सभी वोट इलेक्ट्रॉनिकली गिने जाते हैं। यह प्रक्रिया दोपहर 2 बजे तक खत्म हो जाती है। हर टेबल पर 3 चुनाव अधिकारी होते हैं। आपके पास 250 लोग होते हैं, जो तेजी से वीवीपैट की गिनती कर सकते हैं। इसमें 13 दिन नहीं लगेंगे। गिनती तुरंत होगी, जांच में वक्त लिया जा सकता है। इसके बाद मिलान किया जा सकता है, इससे वोटिंग प्रक्रिया की विश्वसनीयता और बढ़ जाएगी। इस पर भी ध्यान दीजिए कि आज इसके लिए क्या व्यवस्था है।

56 मिनट पहले

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जस्टिस खन्ना: आप जो कह रहे हैं, उसके वास्तविक नतीजों का आपको पता होना चाहिए।

एडवोकेट पाशा: वोटर्स को वीवीपैट स्लिप दी जानी चाहिए और वे इसे बैलट बॉक्स में डाल देंगे।

जस्टिस खन्ना: इससे वोटर्स की निजता प्रभावित नहीं होगी?

एडवोकेट पाशा: यहां वोटर्स की प्राइवेसी के चलते वोटिंग के अधिकार को किनारे नहीं किया जा सकता है।

प्रशांत भूषण: अगर वो इस स्टेज पर वीवीपैट का शीशा नहीं बदल सकते हैं तो कम से कम लाइट तो पूरे टाइम जली रहने दी जाए, ताकि मैं देख सकूं कि स्लिप कटकर गिर गई है। इससे निजता भी नहीं प्रभावित होगी। ये भी एक रास्ता है।

एडवोकेट संजय हेगडे: 12 लाख स्लिप की गिनती होगी। आज भी देखा जाए तो ये गिनती कैसे होगी? ये काम हर लोकसभा क्षेत्र में साथ-साथ किया जाएगा।

05:58 AM18 अप्रैल 2024

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16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण की दलीलें और जजों को जवाब

05:58 AM18 अप्रैल 2024

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कोर्ट ने पूछा- क्या EVM में हेरफेर करने पर कड़ी सजा का कानून है

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से EVM के निर्माण से लेकर भंडारण और डेटा से छेड़छाड़ की आशंका तक हर चीज के बारे में बताने को कहा है। बेंच ने पूछा कि क्या वोटिंग के बाद गिनती में किसी गड़बड़ी के आरोपों को खत्म करने के लिए EVM की टेक्नीक जांची जा सकती है? इस पर आयोग ने कहा कि हमारा पक्ष सुने बिना ऐसे कोई संकेत कोर्ट न दे। कोर्ट ने पूछा कि क्या EVM में हेरफेर करने पर कड़ी सजा का कानून है? लोगों में डर होना चाहिए। आयोग ने बताया कि इसे लेकर कार्यालय संबंधी कानून हैं।

05:57 AM18 अप्रैल 2024

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अभी 5 EVM के वोटों का ही VVPAT पर्चियों से मिलान

इस मामले में पिछली सुनवाई 1 अप्रैल को हुई थी, तब जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था।

फिलहाल किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में 5 EVM के वोटों का ही VVPAT पर्चियों से मिलान होता है। याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने लगभग 24 लाख VVPAT खरीदने के लिए 5 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं, लेकिन केवल 20,000 VVPAT की पर्चियों का ही वोटों से वेरिफिकेशन किया जा रहा है।

भारत में VVPAT मशीन का इस्तेमाल पहली बार 2014 के आम चुनावों में किया गया था। इसे इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (BEL) ने बनाया है।

05:57 AM18 अप्रैल 2024

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क्या होती है VVPAT मशीन

यह एक वोट वेरिफिकेशन सिस्टम है, जिससे पता चलता है कि कि वोट सही तरीके से गया है या नहीं। यह EVM से कनेक्टेड होता है। जब वोटर EVM में किसी पार्टी का बटन दबाता है, तो VVPAT में उस पार्टी के नाम और सिंबल की एक पर्ची प्रिंट होती है।

यह पर्ची मशीन के ट्रांसपेरेंट विंडो पर 7 सेकेंड तक दिखती है। इसे देखकर वोटर कंफर्म कर पाता है कि EVM में उसका वोट सही गया या नहीं। 7 सेकेंड के बाद यह पर्ची VVPAT मशीन के अंदर चली जाती है।

पर्चियों का इस्तेमाल EVM के नतीजों को क्रॉस-चेक करने के लिए किया जा सकता है। हालांकि, ऐसा बहुत कम ही होता है। वोटों से छेड़छाड़ या काउंटिंग में धांधली के आरोप पर चुनाव आयोग दोनों के मिलान का निर्देश दे सकता है।

05:56 AM18 अप्रैल 2024

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पहले भी सुप्रीम कोर्ट में कई बार उठा है मुद्दा

2019 के लोकसभा चुनावों से पहले, 21 विपक्षी दलों ने EVM के वोटों से कम से कम 50 फीसदी VVPAT पर्चियों के मिलान की मांग की थी। उस समय चुनाव आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक EVM के वोटों का VVPAT पर्चियों से मिलान करता था। हालांकि, चुनाव आयोग ने तर्क दिया कि ऐसा करने पर नतीजों में पांच से छह दिन की देरी होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल, 2019 को मिलान के लिए EVM की संख्या 1 से बढ़ाकर 5 कर दी थी। इसके बाद मई 2019 कुछ टेक्नोक्रेट्स ने सभी EVM के VVPAT से वेरिफाई करने की मांग की याचिका लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

इसके अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई थी। इसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- कभी-कभी हम चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा ही संदेह करने लगते है।

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