Saturday, March 15, 2025
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Essentially the most toxic King Cobra will not be present in MP since 200 years | एमपी के जंगलों में लाएंगे किंग कोबरा: 2 साल में सांप के काटने से 5 हजार मौत, 231 करोड़ मुआवजा; ‘किंग’ की खुराक यही जहरीले सांप – Madhya Pradesh Information


किंग कोबरा सांपों की सबसे जहरीली प्रजाति होती है। अब इसे मध्यप्रदेश के जंगलों में लाने की तैयारी है। इसकी वजह है कि किंग कोबरा दूसरे जहरीले सांपों को खाता है। दरअसल, मप्र में सांप के काटने से हर साल करीब 3 हजार लोगों की मौत हो जाती है। सरकार एक साल म

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द रॉयल सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन जनरल की 6 अगस्त 2024 को पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 से 2022 के बीच यानी दो साल में मध्यप्रदेश सरकार ने सांप के काटने पर 231 करोड़ रुपए का मुआवजा बांटा था। इन दो साल में 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।

ऐसे में सरकार का मानना है कि किंग कोबरा के आने से पर्यावरणीय संतुलन बनने के साथ सर्पदंश की घटनाओं में कमी आएगी। पिछले दिनों IFS सर्विस मीट में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वन अधिकारियों को कहा था कि किंग कोबरा एमपी में लाने की दिशा में वे स्टडी करें। इससे पहले वे राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की मीटिंग में भी ये बात कह चुके हैं।

वन अमले ने किंग कोबरा को एमपी में लाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। दैनिक भास्कर ने अधिकारियों और एक्सपर्ट से बात की। ये समझा कि किंग कोबरा को लाने की क्या प्रोसेस की जा रही है, वहीं एक्सपर्ट से जाना कि किंग कोबरा आने से क्या सर्पदंश की घटनाओं में कमी आ पाएगी…पढ़िए रिपोर्ट

जानिए, सीएम ने वन महकमे के अफसरों से क्या कहा मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 10 जनवरी को आईएफएस सर्विस मीट की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘अब टाइगर के साथ किंग कोबरा की जरूरत है। 2003 से 2021 की तुलना में एमपी का जंगल 1 हजार 63 वर्ग किमी बढ़ा है। भोपाल देश की ऐसी राजधानी है, जहां दिन में सड़कों पर आदमी चलते हैं और रात में टाइगर।

टाइगर जब निकलता है तो सभी को पता चल जाता है। ऐसी स्थिति किंग कोबरा के साथ भी होती है। जब वह जमीन पर आता है तो बाकी सांप अपने बिलों से निकलकर भागते हैं।’

सरकार क्यों लाना चाहती है किंग कोबरा इसका जवाब भी मुख्यमंत्री ने आईएफएस सर्विस मीट में दिया था। सीएम ने कहा था कि किंग कोबरा, जो पहले मध्यप्रदेश के जंगलों में पाया जाता था, अब राज्य से गायब हो चुका है। इसके जंगलों में वापस लौटने से न केवल पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी बल्कि दूसरे सांपों की बढ़ती तादाद को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।

डिंडौरी में एक साल में सांपों से हो रही 200 मौत सीएम डॉ. मोहन यादव ने अपने बयान में डिंडोरी जिले का जिक्र करते हुए कहा- पिछली सरकार में जब मैं डिंडोरी जिले का प्रभारी मंत्री था तो पता चला कि यहां एक साल में 200 लोग सर्पदंश से मर जाते हैं। सरकार को सबसे ज्यादा क्षति सर्पदंश के बाद देने वाले मुआवजे से होती है।

एक व्यक्ति को 4 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है। ऐसा केवल इसलिए क्योंकि वहां किंग कोबरा ने अपनी जगह छोड़ दी है। हो सकता है कि ये अतिशयोक्ति हो, लेकिन आप (IFS अफसर) इसका अध्ययन करेंगे तो सच सामने ला सकते हैं। यही निदान हमें लाना है।

किंग कोबरा की वापसी से न केवल सांपों की संख्या में संतुलन आएगा बल्कि यह पूरी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी लाभकारी होगा। जैसे टाइगर की वापसी से बाकी जानवरों की संख्या में संतुलन बनता है, वैसे ही किंग कोबरा भी अपनी मौजूदगी से जंगल के अन्य सांपों की संख्या नियंत्रित करेगा, जिससे सर्पदंश की घटनाओं में कमी आएगी।

डब्ल्यूआईआई से करवा रहे सर्वे सीएम के निर्देश के बाद वन अमले ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) सुभरंजन सेन कहते हैं कि डब्ल्यूआईआई (वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) को सर्वे के लिए कहा है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद स्थिति साफ होगी कि मप्र के जंगल में किंग कोबरा को लाया जा सकता है या नहीं।

हालांकि, सेन का कहना है कि मप्र में सांपों की अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं लेकिन उनकी सही संख्या बताना संभव नहीं है। सांपों की गणना का कोई सिस्टम नहीं है।

अब जानिए, क्या कहते हैं एक्सपर्ट…

ईको सिस्टम और जंगल की क्वालिटी सुधरेगी वन विहार के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सुदेश वाघमारे कहते हैं कि हजारों साल पहले जब मध्यप्रदेश का तापमान कम रहा होगा, तब किंग कोबरा यहां पाया जाता होगा। एक तरह से वो मध्यप्रदेश का वन्य प्राणी हो गया। किंग कोबरा को सर्वाइव करने के लिए ठंडा मौसम जरूरी है।

ये माना जा सकता है कि तापमान बढ़ता गया तो किंग कोबरा विलुप्त होता गया। ऐसे में अब किंग कोबरा को एमपी में फिर से लाया जा सकता है। इको सिस्टम में किसी भी चीज को जोड़ेंगे तो उससे वह इंप्रूव होता है। जंगल की क्वालिटी सुधरती है।

2014 में किंग कोबरा छत्तीसगढ़ के कोरबा में मिला जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक प्रत्यूष महापात्र कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के कोरबा के जंगलों में साल 2014 में किंग कोबरा की मौजूदगी दर्ज की गई थी। मध्यप्रदेश सरकार को ऐसे जंगल, जो छत्तीसगढ़ की बॉर्डर से लगते हैं वहां पर प्रॉपर रिसर्च कराना चाहिए कि क्या प्राकृतिक तौर पर किंग कोबरा उस जगह है?

अगर वहां किंग कोबरा मिल जाते हैं तो किंग कोबरा को बाहर से लाकर बसाने का अतिरिक्त भार राज्य सरकार पर नहीं आएगा। अगर प्राकृतिक तौर पर किंग कोबरा मध्यप्रदेश के जंगल में मिलते हैं तो ये बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।

वे कहते हैं कि जब भी किंग कोबरा को मध्यप्रदेश के जंगलों में छोड़ा जाएगा तो उसे विदेशी प्राणी की तरह ही ट्रीट किया जाएगा।

किंग कोबरा को लाने से पहले रिसर्च की जरूरत सतपुड़ा बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन सोसाइटी के आदिल खान कहते हैं कि किंग कोबरा को एमपी में बसाने से पहले रिसर्च की जरूरत है। किंग कोबरा ऐसे जंगलों में मिलते हैं, जहां नमी होती है। ये मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्र में उत्तराखंड, नेपाल, उत्तर प्रदेश के शिवालिक और तराई क्षेत्रों में पाया जाता है।

इसके अलावा दक्षिण भारत में पूर्वी और पश्चिमी घाट क्षेत्र में भी उसकी उपस्थिति मिलती है। पूर्वी घाट में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, दक्षिण- पश्चिम बंगाल और बिहार के कुछ हिस्सों में भी यह मिलता है। पश्चिमी घाट क्षेत्र में केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात में भी पाए जाते हैं।

सर्पदंश के मामलों में कमी को लेकर कोई स्टडी नहीं वन विहार के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सुदेश वाघमारे कहते हैं किंग कोबरा को लाने से सर्पदंश में कमी आएगी, ऐसी कोई स्टडी नहीं की गई है। लेकिन ये सही है कि जहां किंग कोबरा रहते हैं, वहां दूसरे जहरीले सांपों की संख्या नियंत्रित रहती है। किंग कोबरा दूसरे सांपों को ही खाता है।

उनसे पूछा कि जिस राज्य में किंग कोबरा है, क्या वहां सर्पदंश के मामले में कमी आई है तो बोले- मेरे नॉलेज में ऐसी कोई स्टडी नहीं की गई है।



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