Sunday, July 6, 2025
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Electrical Automobile Issues : क्या वजह है कि EV लेकर फंस जाते हैं लोग? क्या आती हैं दिक्कतें


हाइलाइट्स

पर्याप्‍त मात्रा में चार्जिंग स्‍टेशन न होना एक बड़ी समस्‍या है. ईवी में आग लगने का काफी ज्‍यादा खतरा रहता है. ईवी में लगने वाली बैटरियां काफी महंगी आती हैं.

नई दिल्‍ली. दुनियाभर में इलेक्ट्रिक व्‍हीकल का जादू पिछले कुछ वर्षों में खूब सिर चढकर बोला. लेकिन, अब लगता है यह ‘बुखार’ उतरने लगा है. बहुत से ईवी मालिक अब अपने इस फैसले पर पछता रहे हैं और वे वापस डीजल या पेट्रोल वाहन खरीदने के इच्‍छुक हैं. पेट्रोल या डीजल दुपहिया और चार पहिया वाहनों की तुलना में ईवी व्‍हीकल कम खर्चीले जरूर हैं, लेकिन कुछ ऐसी दिक्‍कतें हैं, जिनकी वजह से इसे खरीदने वाला खुद को ‘फंसा’ हुआ मानता है. हाल ही में कार ऐप ‘पार्क प्‍लस’ द्वारा किए गए सर्वे में तो सामने आया कि भारत में ईवी खरीदने वाले 51 फीसदी लोग वापस आईसीई (Inner Combustion Engine) वाला वाहन खरीदना चाहते हैं. यानी इन्‍हें लगता है कि डीजल, पेट्रोल या सीएनजी से चलने वाली गाड़ी ही सही है.

ईवी के साथ दिक्‍कत एक नहीं, बल्कि अनेक है. चार्जिंग, मैंटेनेंस से लेकर सुरक्षा तक, कुछ ऐसी चीजें हैं जिनसे रोजाना ईवी मालिक को दो-चार होना पड़ता है. नतीजन जब वह इन समस्‍याओं का सामना करते हुए आईईसी वाहन की तुलना ईवी से करता है तो पाता है कि फिलहाल भारत में ईवी वाहन, खासकर इलेक्ट्रिक कार खरीदना कतई फायदे का सौदा नहीं है. ईवी को लेकर जो सबसे प्रमुख दिक्‍कतें हैं, आज हम उन्‍हीं की चर्चा करेंगे.

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चार्जिंग बड़ी चुनौती
भारत में अभी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या कम है. महानगरों में तो फिर भी जैसे-तैसे काम चल जाता है, लेकिन छोटे शहरों और हाईवे-एक्‍सप्रेसवे पर चार्जिंग पॉइंट ढूंढना मुश्किल काम है. नतीजन इलेक्ट्रिक कारों से लंबी दूरी की यात्रा करना मुश्किल होता है. ऐसे में बंदा खुद को ईवी खरीदकर फंसा हुआ पाता है.

बैटरी कर देती है सारा हिसाब बराबर
इलेक्ट्रिक वाहन को चलाना सस्‍ता पड़ता है. प्रति किलोमीटर इसका खर्च डीजल और पेट्रोल वाहन से बहुत कम आता है. सीएनजी कार से भी ईवी कार माइलेज के मामले में सस्‍ती पड़ती है. लेकिन, ईवी में लगने वाली बैटरी काफी महंगी आती है. ऐसे में गारंटी पीरियड के बाद बैटरी बदलवाने में खूब पैसा खर्च होता है. ऐसे में जो पैसा इसे चलाकर डीजल या पेट्रोल कार के मुकाबले बचता है, वह बैटरी खरीदने में लग जाता है. यानी हिसाब बराबर.

मौसम का असर
ईवी पर मौसम का बहुत असर होता है. गर्म मौसम में बैटरी फटने का डर रहता है तो ज्‍यादा ठंड मौसम में इसकी बैटरी कम रेंज देती है. यानी एक बार चार्ज करने पर कम चलती है. भारत में गर्मियों में तो आए दिन ईवी में आग लगने की घटनाएं सामने आती ही रहती है.

रखरखाव में दिक्‍कत
पार्क प्‍लस के सर्वे में शामिल कुछ ईवी मालिकों का कहना था कि उनकी ईवी कारें एक “ब्लैक बॉक्स” की तरह हैं, जिसे वे समझ नहीं पाए. इनका रखरखाव एक बड़ी समस्‍या है. छोटी-मोटी समस्याओं का हल स्‍थानीय मैकेनिक नहीं कर सकते और गाड़ी को कंपनी के अधिकृत डीलर के पास ही ले जाना पड़ता है. अभी हर जगह डीलर भी नहीं है. ऐसे में इसका रखरखाव करना काफी दुष्‍कर कार्य है.

रीसेल में दिक्‍कत
भारत में अभी इलेक्ट्रिक वाहन, खासकर कार का रीसेल बाजार डेवलप नहीं हुआ है. पुरानी ईवी बेचना पेट्रोल या डीजल गाड़ी की तुलना में मुश्किल होता है. रीसेल वैल्‍यू भी काफी कम है. गाड़ी के मूल्‍य निर्धारण का कोई तार्किक तरीका भी अभी तक बना ही नहीं है. यही वजह है कि ईवी को अगर बेचना पड़े तो इसका बहुत कम मूल्‍य मिलता है.

Tags: Auto Information, Electrical Automobile, Electrical automobile



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