Monday, July 7, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
HomeBusinessElection Freebies; RBI Ex-Governor D Subbarao | PM Modi Govt | पूर्व...

Election Freebies; RBI Ex-Governor D Subbarao | PM Modi Govt | पूर्व RBI गवर्नर बोले- फ्रीबीज पर श्वेत पत्र लाए सरकार: इसके फायदे और नुकसान लोगों को बताए, समाप्त करने पर भी चर्चा की जरूरत


नई दिल्ली2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
RBI के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव - Dainik Bhaskar

RBI के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव

पॉलिटिकल पार्टिज की ओर से ऑफर की जाने वाली फ्रीबीज यानी मुफ्त के उपहारों पर सरकार को श्वेत पत्र लाने की जरूरत है। यह बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कही है।

पीटीआई-भाषा के साथ एक इंटरव्यू में पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लीडरशिप में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को इन मुफ्त उपहारों के फायदे और नुकसान के बारे में जागरूक करे।

उन्होंने कहा कि फ्रीबीज पर एक व्यापक डीस्कशन की जरूरत है कि कैसे राजनीतिक दलों को ऐसा करने से रोका जाए।’ फ्रीबीज को आम बोलचाल की भाषा में ‘रेवड़ी’ और इसे देने के चलन को ‘रेवड़ी कल्चर’ कहा जा है।

जरूरतमंद लोगों के लिए जरूरी
उन्होंने कहा कि भारत जैसे गरीब देश में यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह समाज के सबसे कमजोर तबके के लोगों को कुछ मुफ्त सुविधाएं दे। साथ ही, यह भी देखे कि इन फ्री सुविधाओं की जरूरत कब तक है।

2008 से 2013 तक RBI के 22वें गवर्नर थे सुब्बाराव
दुव्वुरी सुब्बाराव 1972 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के IAS ऑफिसर हैं। 5 सितंबर 2008 से 4 सितंबर 2013 तक RBI के 22वें गवर्नर थे। RBI से हटने के बाद, वह पहले नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर और बाद में पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में एक विजिटिंग फेलो रहे।

औपचारिक सरकारी दस्तावेज होता है श्वेत पत्र
श्वेत पत्र यानी वाइट पेपर एक रिपोर्ट, गाइड, रिसर्च बेस्ड पेपर या औपचारिक सरकारी दस्तावेज होता है। यह किसी विषय या समस्या के समाधान, नीति प्रस्तावों के बारे में एक्सपर्ट के एनालिसिस के आधार पर पेश किया जाता है। ये सफेद कवर में बंधा होता है। यही कारण है कि इसे श्वेत पत्र कहा जाता है।

आमतौर पर राजनीति में इसका उपयोग सरकारें ऐतिहासिक रूप से नई पॉलिसी या कानून को पेश करने के लिए करती हैं। इसका उपयोग गवर्नमेंट इनिशिएटिव, किसी स्कीम या पॉलिसी पर जनता की राय जानने के लिए किया जाता है।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने भी उठाया था सवाल
पिछले साल 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करते समय मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने फ्रीबीज स्कीम पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कहा था, ‘पता नहीं क्यों, सभी सरकारों को 5 साल याद नहीं आती, आखिरी महीने या 15 दिन में ही सभी घोषणाएं करने की याद आती है, लेकिन ये राज्य सरकारों का अधिकार है।’

PM भी मानते हैं- रेवड़ी कल्चर को हटाना है
करीब दो साल पहले PM नरेंद्र मोदी ने कहा था ‘हमें देश की रेवड़ी कल्चर को हटाना है। रेवड़ी बांटने वाले कभी विकास के कार्यों जैसे रोड नेटवर्क, रेल नेटवर्क का निर्माण नहीं करा सकते। ये अस्पताल, स्कूल और गरीबों को घर नहीं बनवा सकते।’ PM मोदी ने युवाओं से इस पर विशेष रूप से काम करने की बात कही और कहा कि ये रेवड़ी कल्चर आने वाली पीढ़ियों के लिए घातक साबित होगा।’

मुफ्त बिजली को फ्री रेवड़ी कहना गलत- अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था, ‘अगर राजनेताओं को हर महीने 3,000 से 4,000 यूनिट तक बिजली फ्री मिल सकती है तो आम जनता को भी मुफ्त बिजली मिलनी चाहिए। इसे फ्री रेवडी कहना गलत होगा। उन्होंने कहा कि एक तरफ जनता महंगाई की मार महसूस कर रही है, जबकि पॉलिटिशियन सबसे कम प्रभावित हैं।

फ्रीबीज पर एक्सपर्ट …

2022 के शुरुआत में भारत में कोयले की कमी और बिजली संकट के पर कई एक्सपर्ट्स और इकोनॉमिस्ट ने फ्रीबीज पर अपने विचार दिए थे

  • मद्रास स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के डायरेक्टर के.आर. शनमुगम कहते हैं, राजनीतिक दल चुनावी वादों के रूप में फ्रीबीज/सब्सिडी की घोषणा कर सकते हैं, लेकिन ऐसे चुनावी वादे तभी लागू किए जाने चाहिए जब राज्य के बजट में रेवेन्यू सरप्लस हो। हालांकि, जमीनी स्तर पर जो हो रहा है वह यह है कि राज्य सरकारें इन फ्रीबीज को लागू करने के लिए उधार लेती हैं, जो बदले में उनके कर्ज के बोझ को बढ़ाती हैं।
  • शनमुगम ने कहा, ‘सब्सिडी दो तरह की होती है- गुड और बैड। गुड सब्सिडी दूसरे सेक्टर्स को प्रभावित नहीं करतीं, जबकि बैड सब्सिडी का अन्य सेक्टर्स पर निगेटिव असर पड़ता है।’ उन्होंने कहा कि फ्री इलेक्ट्रिसिटी कीमतों को प्रभावित करती है इसलिए ये बैड सब्सिडी है। ऐसा इसलिए क्योंकि बिजली एक स्केअर्स कमोडिटी है और इसे मुफ्त देने से उपयोग में बढ़ोतरी होती है जो बदले में अन्य सेक्टर्स में कीमतों को प्रभावित करती है।
  • अर्थशास्त्री गौरी रामचंद्रन ने कहा, ‘श्रीलंका की अर्थव्यवस्था और राजनीतिक दलों के चुनावी वादों से फ्रीबीज और सब्सिडी का मुद्दा सामने आया है।’ उनके अनुसार, फ्रीबीज वास्तव में फ्री नहीं हैं, बल्कि अन्य टैक्सपेयर्स पर बोझ हैं। उन्होंने कहा कि ‘सब्सिडी से कैलकुलेटेड मैनर में डील करना चाहिए। इसमें राजकोषीय घाटे और मैक्रोइकोनॉमिक एक्टिविटी का ध्यान रखा जाना चाहिए।’

खबरें और भी हैं…



Supply hyperlink

khabareaaptak.in
khabareaaptak.inhttps://khabareaaptak.in
Welcome to "khabareaaptak" – your go-to destination for the latest news and updates from around the world. We are committed to bringing you timely and accurate information across various categories, including politics, sports, entertainment, technology, and more.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments