
धार भोजशाला
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हिंदू पक्ष के एक प्रतिनिधि ने दावा किया है कि धार के भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में जारी सर्वेक्षण पूरा करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को अतिरिक्त समय मिलने पर इस विवादित जगह के अहम सबूत सामने आ सकते हैं।
मध्ययुग के इस विवादित परिसर में महीने भर से ज्यादा वक्त से सर्वेक्षण कर रहे एएसआई ने यह कवायद पूरी करने के लिए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ से आठ हफ्तों की मोहलत मांगी है। एएसआई ने इस सिलसिले में दायर अर्जी में कहा है कि परिसर की संरचनाओं के उजागर भागों की प्रकृति को समझने के लिए उसे कुछ और समय की दरकार है। इस अर्जी पर 29 अप्रैल (सोमवार) को सुनवाई हो सकती है।
हालांकि उधर, मुस्लिम पक्ष की ओर से एएसआई के सर्वेक्षण के दौरान भोजशाला परिसर के एक हिस्से में फर्श की खुदाई का दावा करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सर्वेक्षण के कारण इस स्मारक की मूल संरचना में कोई भी बदलाव न हो। बता दें कि भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है। यह परिसर एएसआई द्वारा संरक्षित है।
इधर, भोजशाला मामले में हिन्दू पक्ष के अगुवाई कर रहे गोपाल शर्मा ने पीटीआई से बातचीत के दौरान कहा कि पिछले छह हफ्तों के दौरान भोजशाला परिसर में एएसआई के सर्वेक्षण की बुनियाद भर तैयार हुई है। सर्वेक्षण के लिए एएसआई को अतिरिक्त समय मिलने पर ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ (जीपीआर) और अन्य उन्नत उपकरणों के इस्तेमाल से इस परिसर की वास्तविकता बताने वाले कई महत्वपूर्ण साक्ष्य सामने आ सकते हैं।
गोपाल शर्मा ने दावा किया है कि भोजशाला के 200 मीटर के दायरे में अब भी ऐसी खंडित प्रतिमाएं और अन्य अवशेष दिखाई देते हैं जो अतीत में इस परिसर पर हुए आक्रमण की गाथा कहते हैं। वहीं धार के शहर काजी वकार सादिक ने कहा कि शीर्ष न्यायालय पहले ही दिशा-निर्देश दे चुका है कि एएसआई के सर्वेक्षण में ऐसी भौतिक खुदाई नहीं की जानी चाहिए, जिससे भोजशाला परिसर का मूल चरित्र बदल जाए, लेकिन पिछले दिनों हमने देखा कि इस परिसर के दक्षिणी भाग में स्थित फर्श पर दो-तीन फुट के गड्ढे खोद दिए गए।
शहर काजी ने कहा कि एएसआई को सर्वेक्षण के दौरान ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहिए, जिससे विवादित परिसर का मूल चरित्र बदल जाए। उन्होंने कहा कि एएसआई को पूरी निष्पक्षता से इस परिसर का सर्वेक्षण करना चाहिए। उसे इस कवायद के दौरान उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए।
बता दें कि ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की अर्जी पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को एएसआई को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो लगातार जारी है।