
एलजी के खिलाफ नारेबाजी….
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महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग ने दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) में काम कर रहे 52 संविदा कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त कर दिया है। इन कर्मचारियों के संबंध में जांच के लिए साल 2017 में तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने एक समिति का गठन किया गया था। समिति की रिपोर्ट पर इन सभी कर्मचारियों को पद से हटाया गया है। इसे लेकर अतिरिक्त निदेशक डॉ. नवलेंद्र कुमार सिंह ने एक आदेश जारी किया है।
इस आदेश में कहा गया है कि इन कर्मचारियों को डीसीडब्ल्यू एक्ट के नियमों के तहत नियुक्त नहीं किया गया था। डब्ल्यूसीडी विभाग के उप निदेशक के मुताबिक दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग ने जून, 2017 में एक समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर डीसीडब्ल्यू के 52 नियुक्त संविदा कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त कर दिया है।
इस समिति का गठन फरवरी, 2017 में तत्कालीन उपराज्यपाल अनिल बैजल ने किया था। समिति ने डीसीडब्ल्यू में अनियमित और अवैध रूप से बनाए गए पदों और उन पर संविदा नियुक्तियों की शिकायतों की जांच की थी। तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति में प्रमुख वित्त सचिव, डब्ल्यूसीडी सचिव और एलएडब्ल्यू सचिव ने जांच के बाद नियुक्तियों और उनके लिए अपनाई गई प्रक्रियाओं को अवैध पाया।
जांच में इन नियुक्तियों को शुरू से ही अमान्य माना गया था। समिति ने सिफारिश की कि स्वीकृत पदों के बिना यहां पर उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना मौजूदा संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। इसे आगे जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती। लेकिन दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने समिति की सिफारिशों को अवैध रूप से जारी रखा। हाल ही में उनके दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने इन नियुक्तियों को समाप्त करने का कदम उठाया।
दिल्ली की महिलाओं के लिए काम रही थी टीम : स्वाति मालीवाल
राज्यसभा सांसद व दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्रवाई को अवैध बताया है। साथ ही इसके खिलाफ कानूनी सलाह के बाद कार्रवाई करने की बात की है। बृहस्पतिवार को मालीवाल ने कहा कि दिल्ली महिला आयोग ने पिछले आठ सालों में एक लाख 70 हजार से ज्यादा मामलों की सुनवाई की। महिलाओं की समस्याओं से जुड़ी 181 पर 40 लाख से ज्यादा कॉल को सुना गया। रेप पीड़ित, एसिड पीड़ित व अन्य की भलाई के लिए काम किया।
महिला पंचायत के माध्यम से 50 हजार महिलाओं की बात सुनी। दो लाख केस को सुलझाया। कोर्ट में दो लाख केस को सुलझाने में मदद की। महिलाओं की भलाई के लिए 500 सिफारिश भेजी। यह सब काम अकेले नहीं किया जा सकता। दिल्ली महिला आयोग में 90 कर्मचारी काम करते हैं। इनमें से केवल आठ ही स्थायी है जबकि अन्य सभी अनुबंध पर है। अनुबंध पर काम कर रही इन कर्मचारियों में एसिड पीड़ित सहित दूसरी अन्य महिलाएं हैं। यह महिलाएं जानती हैं कि महिलाओं का दर्द क्या होता है और यह उन्हीं के लिए बेहतर ढंग से काम करती है। लेकिन इन सभी अनुबंध कर्मचारियों को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने एक झटके में बाहर निकाल दिया।
दिल्ली महिला आयोग में रोज सैकड़ों महिलाएं अपना दर्द लेकर आती हैं। आठ कर्मचारियों के सहारे आयोग का काम नहीं हो सकता। आयोग में काम करने के लिए लंबे समय से मांग की जा रही है। लेकिन अभी तक मांग पूरी नहीं की गई। स्वाति मालीवाल ने कहा कि दिल्ली में रोजाना छह दुष्कर्म के मामले सामने आते हैं। इन सभी महिलाओं के हितों में महिला आयोग काम करती हैं। लेकिन एलजी इसे बंद करना चाहते हैं। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि मैंने बृजभूषण, मणिपुर पर सवाल उठाए थे। इसी के कारण यह कार्रवाई की जा रही है। यदि भाजपा को लगता है कि मैं गलत हूं तो मुझे गिरफ्तार कर सकते है।