Sunday, July 20, 2025
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Crpf Battalion ‘general Duty’ Is Being Permanently Converted Into Rapid Action Force – Amar Ujala Hindi News Live


CRPF battalion 'General Duty' is being permanently converted into Rapid Action Force

सीआरपीएफ।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ की असम में तैनात एक बटालियन ‘जनरल ड्यूटी’ को स्थायी तौर से रेपिड एक्शन फोर्स ‘आरएएफ’ में तब्दील किया जा रहा है। ‘कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी’ ने गृह मंत्रालय के इस निर्णय पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी है। सामान्य बटालियन को ‘आरएएफ’ में तब्दील करने पर 275 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस अदला-बदली में जो भी मौजूदा पद खत्म होंगे या नए पद सृजित होंगे, वह जानकारी वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद साझा की जाएगी।

कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने दी है मंजूरी

विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, असम से लगती दूसरे राज्यों की सीमाओं पर कई बार दंगे हो चुके हैं। असम, मिजोरम और असम, मेघायल सीमा पर हुए दंगों में अनेक लोगों की जान गई है। राज्य में किसी भी तरह के दंगे को रोकने के लिए अब वहां पर स्थायी तौर से आरएएफ की बटालियन तैयार की जाएगी। इसके लिए वहां पर पहले से तैनात सीआरपीएफ की ‘जनरल ड्यूटी बटालियन’ को आरएएफ में तब्दील किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय के माध्यम से यह प्रस्ताव कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ‘सीसीएस’ के पास भेजा गया था। वहां से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है।

तैयार करना होगा हथियार, गोला बारूद व स्टोर

आरएएफ की स्थायी बटालियन तैयार करने में 275 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसका मसौदा वित्त मंत्रालय के पास भेजा गया है। जानकारी के अनुसार, आरएएफ बटालियन को हथियार, गोला बारूद, स्टोर, वाहन और दंगारोधी उपकरण, आदि मुहैया कराए जाएंगे। आरएएफ की एक बटालियन में 1284 पद स्वीकृत होते हैं। दूसरी तरफ सामान्य बटालियन में 1150 पद रहते हैं। वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलते ही बटालियन के कुछ पदों को लेकर निर्णय लिया जाएगा। संभव है कि इसमें कुछ पद खत्म हों और कई नए पद सृजित किए जाएं।

विदेश में भी है ‘आरएएफ’ का नाम

केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ की ही एक इकाई ‘आरएएफ’ यानी रेपिड एक्शन फोर्स के तौर पर होती है। इस बल की खूबी ये है कि इसने देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी कानून व्यवस्था बनाए रखने में अपना योगदान दिया है। आरएएफ ने हैती में संयुक्त राष्ट्र मिशन के अंतर्गत अमेरिकी सैन्य टुकड़ी के साथ मिलकर 504 सैन्य पुलिस बटालियन (ड्रैगन फाइटर) के एक दस्ते के रूप में वहां मुश्किल परिस्थितियों में चुनाव संपन्न कराए थे। मौजूदा समय में आरएएफ की 15 बटालियन हैं। इस बल की खासियत ये है कि यहां पर अन्य बटालियनों के मुकाबले अफसर दो-तीन गुणा ज्यादा होते हैं।

‘फैमिलीराइजेशन’ में पारंगत है ‘आरएएफ’

आरएएफ को अपना एक अलग ध्वज प्रदान किया गया है। यह एक स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग वाली फोर्स है। ड्यूटी चाहे कानून व्यवस्था बनाए रखने की हो या दंगा व उपद्रव पर काबू करना, इसमें आरएएफ ने खुद को साबित कर दिखाया है। अगर कोई संवेदनशील मामला है, तो वहां इस बल की भूमिका और ज्यादा अहम बन जाती है। ऐसे क्षेत्रों में आरएएफ लोकल पुलिस के साथ मिलकर एक्सरसाइज करती है। दंगा व उपद्रव करने वाले आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के अलावा आम लोगों में भरोसा जताने के लिए भी इस बल के दस्ते बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हैं। इसके लिए आरएएफ दस्ते को ‘फैमिलीराइजेशन’ में पारंगत बनाया जाता है।

आरएएफ की एक बटालियन में आठ ‘सीओ’

आरएएफ की अहम भूमिका का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विभिन्न राज्यों में ‘डीएम’ को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी आपात स्थिति में बिना केंद्र की मंजूरी के तीन दिन के लिए आरएएफ की तैनाती का आदेश जारी कर सकता है। इसकी एक बटालियन में 1300 से अधिक जवान होते हैं। आरएएफ में अन्य बलों या उनकी इकाइयों के मुकाबले, अफसरों की संख्या ज्यादा रहती है। सीआरपीएफ की अन्य बटालियन में जहां तीन कमांडिंग अफसर ‘सीओ’ होते हैं, वहीं आरएएफ में आठ ‘सीओ’ रहते हैं। यह बल संवेदनशील विषयों पर नियमित वर्कशॉप करता है। दंगा या उपद्रव वाले संभावित स्थानों पर विशेष एक्सरसाइज की जाती है। इसके जवान, वरुण वाटर गन, रॉयट ड्रिल, रॉयट गीयर व दूसरे उपकरणों से लैस रहते हैं। इस बल में सब इंस्पेक्टर भी अन्य बलों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा होते हैं।

प्रारंभ में दस बटालियनों से हुई शुरुआत

आरएएफ का तात्पर्य द्रुत कार्य बल से हैं। यह एक विशिष्ट बल है। प्रारंभ में 10 बटालियनों के साथ इसे 7 अक्तूबर,1992 में खड़ा किया गया था। साल 2018 के दौरान आरएएफ में 5 नई बटालियन शामिल की गई। दंगे जैसी स्थितियों से निपटने, समाज के विभिन्न वर्गो में परस्पर आत्मविश्वास का माहौल पैदा करने व आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी में योगदान, ये आरएएफ का मुख्य कार्य है। सीआरपीएफ और आरएएफ यूनिटों से 120 पुरुष कार्मिकों की एक सैनिक टुकड़ी का गठन कर उसे 103 बटालियन नई दिल्ली में प्रशिक्षण दिया गया। इस सैन्य टुकड़ी को 31 मार्च 1993 को हैती के लिए रवाना किया गया। इस सैन्य टुकड़ी को उस दौरान कम्पनी का नाम दिया गया, जिसने हैती में संयुक्त राष्ट्र मिशन के अंतर्गत अमेरिकी सैन्य टुकड़ी के साथ मिलकर 504 सैन्य पुलिस बटालियन (ड्रैगन फाइटर) के एक दस्ते के रूप में वहां चुनावों के दौरान विभिन्न ड्यूटियों का निर्वहन किया था।

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में बल की महिलाएं भी शामिल

संयुक्त राष्ट्र के विशेष अनुरोध एवं भारत सरकार/गृह मंत्रालय के निर्देश पर सीआरपीएफ ‘महिला पुलिस इकाई’ (एफएफपीयु) को फरवरी 2007 के दौरान संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के रूप में संघर्ष से जुझ रहे अफ्रीकन राष्ट्र लाइबेरिया में तैनात किया गया। वहां 23 राष्ट्रों की तैनाती में केवल भारत ही ऐसा राष्ट्र था, जिसके पास एक विशिष्ट महिला सैन्य टुकड़ी थी। प्रत्येक सैन्य टुकड़ी की तैनाती की अवधि एक वर्ष है। पूरी तरह से गठित महिला पुलिस इकाई (एफएफपीयु) को विदेश मंत्रालय, लाइबेरिया के राष्ट्रपति के मुख्यालय का सुरक्षा कवच, यूएनपीओएल व एलएनपी (लाइबेरिया राष्ट्रीय पुलिस) के साथ मोबाइल संयुक्त कार्य बल गश्त (जेटीएफपी) एवं किसी भी आपात स्थिति के दौरान जवाबी कार्रवाई करना, जैसी जिम्मेदारी सौंपी गई है। अपराध पर अंकुश, लाइबेरिया राष्ट्रीय पुलिस के साथ पैदल गश्त, हिंसा की आशंका वाले क्षेत्रों में डकैती विरोधी गश्त, घेराबंदी और तलाशी सहित विशेष अभियान एवं यूएनएमआईएल कर्मचारियों और परिसंपत्तियों का संरक्षण, ये सब भी आरएएफ की ड्यूटी का हिस्सा है।  






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