नई दिल्ली5 मिनट पहले
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चुनाव आयोग से मिलने कई पार्टियों के नेता पहुंचे थे। इनमें कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी, सीपीआई के डी राजा, राजद के मनोज झा शामिल हुए।
विपक्षी INDIA ब्लॉक ने बिहार में बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में संशोधन को ‘वोटबंदी’ का नाम दिया है। INDIA ब्लॉक के 11 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने इसे लेकर बुधवार को चुनाव आयोग से मुलाकात की थी।
INDIA गुट चुनाव आयोग के सामने अपनी चिंताएं साझा करना चाहते थे, लेकिन इस मुलाकात से विपक्षी नेता खुश नजर नहीं आए।
CPI(ML) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा, ‘चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद हमारी चिंताएं और भी बढ़ गई हैं, क्योंकि आयोग ने हमारे किसी भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दिया।’
कांग्रेस बोली- बिहार में ‘वोटबंदी’ हमारे लोकतंत्र को खत्म कर देगी
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने X पोस्ट में लिखा- ‘आज INDIA गठबंधन के प्रतिनिधियों ने बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पर चुनाव आयोग से मुलाकात की। आयोग को यह बैठक मजबूरी में करनी पड़ी, क्योंकि पहले उन्होंने मिलने से मना कर दिया था। आयोग ने हर पार्टी से सिर्फ दो प्रतिनिधियों को ही अंदर जाने की अनुमति दी। मुझे भी करीब दो घंटे वेटिंग रूम में बैठना पड़ा।’
उन्होंने आगे लिखा- ‘पिछले 6 महीनों में चुनाव आयोग (ECI) ने जिस तरह से काम किया है, उसने हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली की बुनियाद को ही कमजोर कर दिया है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। यह विपक्ष की सुनवाई की मांग को बार-बार यूं ही नकार नहीं सकता। इसे संविधान के सिद्धांतों और प्रावधानों का पालन करना ही होगा।’
जैसे प्रधानमंत्री की नवंबर 2016 की ‘नोटबंदी’ ने हमारी अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया था, वैसे ही चुनाव आयोग की ‘वोटबंदी’- जो बिहार और अन्य राज्यों में SIR के रूप में दिख रही है- हमारे लोकतंत्र को खत्म कर देगी।

11 पार्टियों के प्रतिनिधि चुनाव आयोग से मिलने पहुंचे थे
INDIA गुट का प्रतिनिधिमंडल बुधवार को चुनाव आयोग के दिल्ली स्थित कार्यालय निर्वाचन सदन पहुंचा था। इस प्रतिनिधि मंडल में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, सीपीआई(एम), सीपीआई, सीपीआई(एमएल) लिबरेशन, एनसीपी (शरद पवार गुट) और समाजवादी पार्टी के नेता शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि चुनाव आयोग ने उन्हें बताया कि हर पार्टी से केवल दो प्रतिनिधियों को ही अंदर जाने की इजाजत दी जाएगी।
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘पहली बार हमें चुनाव आयोग में प्रवेश के लिए नियम बताए गए। पहली बार कहा गया कि सिर्फ पार्टी प्रमुख ही अंदर जा सकते हैं। ऐसे प्रतिबंधों से राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग के बीच जरूरी संवाद नहीं हो सकता। आज हर पार्टी से सिर्फ दो लोगों को अनुमति दी गई, जिसकी वजह से जयराम रमेश, पवन खेड़ा और अखिलेश सिंह जैसे नेता बाहर खड़े रह गए।’
चुनाव आयोग बोला- हमने सभी दलों की चिंताओं का समाधान किया
बैठक के बाद चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर कहा कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) संविधान और कानून के प्रावधानों के अनुसार किया जा रहा है और राजनीतिक दलों के नेताओं ने जो भी चिंताएं उठाईं, उनका हमने जवाब दिया।
चुनाव आयोग ने कहा कि SIR की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और 24.06.2025 को जारी निर्देशों के मुताबिक की जा रही है। जहां तक हर पार्टी से सिर्फ दो प्रतिनिधियों को अनुमति देने की बात है, यह अलग-अलग नजरियों को सुनने और संतुलन बनाए रखने के लिए किया ग
चुनाव आयोग की किस प्रक्रिया से शुरू हुआ विवाद…
बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने हैं। इससे पहले बिहार में चुनाव आयोग स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) कार्यक्रम चला रहा है। इसके तहत बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) हर घर में जाकर मतदाताओं का वैरिफिकेशन करेंगे। जो लोग निर्धारित फॉर्म भरकर BLO को जमा करेंगे, उन्हीं के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल किए जाएंगे। जिन लोगों का वैरिफिकेशन 25 जुलाई तक नहीं होगा, उनके नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं।
तेजस्वी ने उठाए सवाल

27 जून को पटना में महागठबंधन के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें RJD, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के नेता शामिल हुए थे।
पूर्व डिप्टी सीएम और RJD नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग से सवाल किया था- ‘चुनाव से ठीक पहले आप वोटर लिस्ट क्यों बना रहे हैं? क्या इतने कम दिनों में बिहार के सभी लोगों की वोटर लिस्ट बनेगी?’
‘बिहार में कुल 8 करोड़ लोग मतदाता हैं। सरकार के मुताबिक, राज्य के करीब 3 करोड़ लोग बिहार से पलायन कर चुके हैं। अब इनका वोटरकार्ड कैसे बनेगा ये बताएं? ये लोग वोट का अधिकार छीन रहे हैं। अगर वास्तव में सुधार करना चाहते थे तो लोकसभा चुनाव के बाद तुरंत क्यों नहीं किया?’
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तेजस्वी के विरोध के बीच 2003 की वोटर लिस्ट जारी:4.9 करोड़ वोटर्स को नहीं देने होंगे डॉक्युमेंट्स; वेरिफिकेशन की आखिरी तारीख 25 जुलाई

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव समेत महागठबंधन में शामिल अन्य दलों के विरोध के बाद चुनाव आयोग ने 2003 की मतदाता सूची अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी है। इस सूची में 4.96 करोड़ वोटर्स की डिटेल्स हैं। बिहार के इन मतदाताओं को अब वैरिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। पूरी खबर पढ़ें…