Saturday, March 15, 2025
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China Influencing Bangladesh On Maldives Word Secret Submarine Base Information And Updates – Amar Ujala Hindi Information Dwell


China influencing Bangladesh on Maldives note secret Submarine Base news and updates

हिंद महासागर में चीनी युद्धपोत
– फोटो : PTI

विस्तार


बांग्लादेश में इन दिनों ‘इंडिया आउट’ कैंपेन चर्चा में है। कहने के लिए तो इस कैंपेन के पीछे बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का हाथ बताया जा रहा है। लेकिन असल में इस कैंपेन के पीछे चीन का शातिर दिमाग है, जो मालदीव में भी भारत के खिलाफ इस तरह की साजिश को अंजाम दे चुका है। चीन की नजर न केवल बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर है, बल्कि वह बांग्लादेश के बंदरगाहों का इस्तेमाल भी भारत के खिलाफ करना चाहता है। 

बांग्लादेश में चल रहा भारत विरोधी ‘इंडिया आउट’ कैंपेन सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। इसमें भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया जा रहा है। वहीं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पूर्ण तरीके से भारत के साथ खड़ी नजर आ रही हैं। लंबे समय तक इंडिया आउट कैंपेन पर चुप्पी साधने के बाद उन्होंने सोमवार को भारत के उत्पादों का बहिष्कार करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि विपक्षी दल के नेता पहले अपनी पत्नियों की भारतीय साड़ियों को जलाएं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा, “भारत से आने वाले गरम मसाले, प्याज, लहसुन, अदरक, जैसे उत्पाद भी बीएनपी नेताओं की रसोई में नहीं दिखने चाहिए।” शेख हसीना की ये टिप्पणी बीएनपी के वरिष्ठ नेता रुहुल कबीर रिजवी के सड़क पर अपना कश्मीरी शॉल जलाने और बांग्लादेश के लोगों से भारतीय उत्पादों के खिलाफ विरोध करने का आग्रह करने के बाद आई है।

कौन है बांग्लादेश में ‘इंडिया आउट’ अभियान के पीछे चेहरा?

2024 की शुरुआत में, शेख हसीना के नेतृत्व में अवामी लीग ने रिकॉर्ड सीटों के साथ आम चुनाव जीता और 5वीं बार उनकी प्रधानमंत्री पद पर ताजपोशी हुई। इस चुनाव में अवामी लीग 299 सीटों में से 216 सीटों के साथ विजयी हुई। जेएनयू के दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के अध्यक्ष प्रोफेसर संजय भारद्वाज के मुताबिक बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) हाल ही में हुए चुनावों के परिणामों में मिली असफलता से सदमे में है। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में पहले तीन प्रमुख राजनीतिक दल होते थे, जिसमें अवामी लीग, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात-ए-इस्लामी प्रमुख थे। लेकिन बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण रद्द करते हुए फैसला सुनाया कि पार्टी राष्ट्रीय चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य बताया। 

वहीं बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी यानी बीएमपी की बात करें, तो खालिदा जिया 90 साल की हो चुकी हैं। वहीं उनका बेटा तारिक रहमान एक मामले में निर्वासित है और लंदन में रह रहा है। प्रोफेसर संजय भारद्वाज ने बताया कि बांग्लादेश में भारत विरोधी अभियान का प्रमुख चेहरा तारिक रहमान है, जिसे तारिक जिया के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बताया कि बीएनपी ने इन चुनावों का बहिष्कार किया था, जिससे लोगों में बीएनपी के प्रति भरोसा टूट गया। वहीं तारीक बांग्लादेश की राजनीति में खोई जमीन वापस पाने के लिए मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की तर्ज पर भारत विरोधी कैंपेन चला रहे हैं। उनका कहना है कि बीएनपी बांग्लदेश की विकास दर को अस्थिर करना चाहती है, इसलिए इस कैंपेन को हवा दे रही है।   

वहीं, रक्षा विशेषज्ञ रिजवान का कहना है कि जानकारों के मुताबिक तारिक रहमान सिर्फ चेहरा हैं, जिनका इस्तेमाल चीन बांग्लादेश में भारत विरोधी अभियान को बढ़ावा देकर भारत को आर्थिक रूप से चोट पहुंचाने के लिए कर रहा है। चीन ने मालदीव में भी ठीक इसी तरह भारतीय विरोधी भावनाएं भड़काने के लिए वहां के स्थानीय नेताओं का इस्तेमाल किया था।  

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में एमेरिटस प्रोफेसर एसडी मुनि का कहना है कि बांग्लादेश में हाल ही में चुनाव खत्म हुए हैं और बीएनपी पार्टी ने इन चुनावों का बहिष्कार किया, बीएनपी ने बांग्लादेश में चुनाव को धोखा बताया था और अवामी लीग की जीत को एक साजिश करार दिया था। बीएनपी का आरोप था कि अवामी लीग की इस जीत के पीछे कहीं न कहीं भारत का समर्थन मिला है। प्रोफेसर मुनि ने बताया कि इसलिए बीएनपी भारत से चिढ़ी हुई है और भारत के खिलाफ इस तरह के कैंपेन चला रही है। उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं इस कैंपेन का फायदा चीन उठा रहा है।  

कैसे जुड़ा बांग्लादेश का चीन से कनेक्शन?

1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद चीन ने अगले पांच तक भारत विरोध के चलते बांग्लादेश को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता नहीं दी थी। खालिदा जिया के पति जिया उर रहमान जब राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने चीन के साथ संबंध बहाली की दिशा में काम किया और बांग्लादेश के बाजार चीन के लिए खोले। वहीं जिया उर रहमान के नक्शे कदम पर तारिक रहमान हैं जो फिलहाल निर्वासन में हैं। वहीं चीन की चिंता बॉर्डर रोड इनिशिएटिव (BRI) तो है ही, साथ ही बांग्लादेश के साथ व्यापार भी मुख्य वजह है। साल 2022 में बांग्लादेश और चीन के बीच व्यापार 25 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि 2022 में ही भारत के साथ व्यापार 16.16 बिलियन का रहा, जो लगातार बढ़ रहा है। चीन की चिंता की वजह यह भी है क्योंकि बांग्लादेश की निर्भरता भारत के ऊपर लगातार बढ़ रही है। प्रोफेसर संजय भारद्वाज का कहना है कि बांग्लादेश जरूरी सामान के लिए पूरी तरह से भारत पर ही निर्भर है। इसकी वजह बताते हुए वह कहते हैं कि चीन से सामान आयात करना भारत से महंगा पड़ता है, क्योंकि भारत की सीमा बांग्लादेश से लगी हुई हैं, इसलिए भारत से सामान मंगवाना सस्ता पड़ता है। 

प्रोफेसर एसडी मुनि के मुताबिक, चीन बांग्लादेश में शिपिंग, रेलवे, हाईवे, पावर प्रोजेक्ट जैसे क्षेत्रों में भारी निवेश कर रहा है। चीन ने कथित तौर पर बांग्लादेश में लगभग 27 परियोजनाओं के लिए 20 अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण भी दिया है। वहीं चीन के सहयोग से पद्म ब्रिज रेल लिंक भी बन रही है। उन्होंने कहा कि चीन एक तरफ तो शेख हसीना सरकार के साथ संबंध भी प्रगाढ़ कर रहा है, तो वहीं भारत विरोधी ‘इंडिया आउट’ कैंपेन से फायदा भी उठा रहा है। 

बांग्लादेश के बंदरगाहों पर है चीन की नजर

चीन, पाकिस्तान के ग्वादर और श्रीलंका के हबनटोटा बंदरगाहों की तरह बांग्लादेश के बंदरगाहों पर भी अपना कब्जा जमाना चाहता है। हाल ही में चीन ने वहां के पायरा बंदरगाह को विकसित करने के लिए अनुबंध किया है। चीन की चाल है कि बांग्लादेश को पहले कर्ज के जाल में फंसाया जाए और श्रीलंका के हबनटोटा बंदरगाह की तरह उसे लीज पर ले लिया जाए। इससे पहले चीन ने म्यांमार के पश्चिमी तट पर क्याउकफ्यू बंदरगाह के निर्माण का भी ठेका लिया है। ये दोनों ही बंदरगाह भारत के पूर्वी तटों के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं। क्योंकि चीन की कोशिश बंदरगाहों के जरिए भारत को घेरने की है। चीन इन बंदरगाहों को बाद में मिलिट्री फैसिलिटी में बदल सकता है, ताकि यहां उसके सर्विलांस जहाज और पनडुब्बियां रुक सकें।

बांग्लादेश में बना रहा खुफिया पनडुब्बी बेस

हाल ही में डेमियन साइमन ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि चीन बांग्लादेश में एक खुफिया पनडुब्बी बेस बना रहा है। सैटेलाइट तस्वीरों में खुलासा हुआ है कि चीन ने पनडुब्बियों के रखरखाव के लिए एक बेस का निर्माण किया है। बीएनएस शेख हसीना नाम से एक पनडुब्बी बेस को चीन की मदद से तैयार किया गया है, जो संभवतया भारतीय नौसेना की जासूसी के लिए बनाया गया है। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि सबमरीन बेस की लंबाई 135 मीटर और चौड़ाई लगभग 30 मीटर है, जिसे पनडुब्बी की मरम्मत के नाम पर बनाया गया है। यह पनडुब्बी बेस लगभग 1.21 अरब डॉलर की लागत से पेकुआ, कॉक्स बाजार में बनाया जा रहा है। 1.75 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस बेस को 2020 में बनाना शुरू किया गया था और आधिकारिक तौर पर मार्च 2023 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने चीनी प्रतिनिधियों की उपस्थिति में इसका उद्घाटन किया था। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि चीनी पनडुब्बियां अब मैंटेनेंस और रणनीति उद्देश्यों के लिए बांग्लादेश बेस का उपयोग करेंगी। वहीं बीएनएस शेख हसीना बेस पर एक साथ छह पनडुब्बी और लड़ाकू जहाजों खड़े किए जा सकते हैं। बांग्लादेश में चीनी जहाजों और पनडुब्बियों की डॉकिंग संभावित रूप से बंगाल की खाड़ी में भारत की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है।

 






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