
कैप्टन, बादल और सोमप्रकाश
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पंजाब के तीन बड़े नेताओं के लिए ये लोकसभा चुनाव साख का सवाल बन गया है, क्योंकि उनकी पत्नियां इस लोकसभा चुनाव के अखाड़े में उतर गई हैं। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल बठिंडा, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर पटियाला और केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश की पत्नी अनिता सोमप्रकाश होशियारपुर से चुनाव लड़ रही हैं। तीनों नेताओं के लिए ये लोकसभा चुनाव बहुत अहम रहने वाला है, क्योंकि ये आगे उनका रजनीति भविष्य भी तय करेगा। हालांकि इस बार परस्थितियां पहले से काफी बदल गई है, इसलिए चुनाव में चुनौतियां भी कम नहीं है।
वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजे शिअद के लिए अच्छे नहीं रहे थे, क्योंकि पार्टी 20.15 प्रतिशत वोट शेयर के साथ मात्र 3 सीटों पर सिमट गई थी। इससे पहले वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में फिर भी पार्टी 25.2 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 15 सीटें जीतने में सफल रही थी। इस लोकसभा चुनाव के जरिए शिअद अपनी दोबारा खोई हुई साख तलाश करने में जुटी हुई है।
यही कारण है कि पार्टी ने पंथक व किसानी मुद्दों के साथ भी किसी भी तरह का कोई समझौता करने से इंकार कर दिया और वह भाजपा के साथ गठबंधन में भी नहीं गई। लोकसभा चुनाव में बठिंडा सीट पर हरसिमरत के सामने आम आदमी पार्टी ने कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां को चुनाव मैदान में उतारा है। खुड्डियां वहीं नेता हैं, जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में लंबी सीट से शिअद के पांच बार के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को मात दी थी।
इसके अलावा शिअद इस बार भाजपा के साथ भी गठबंधन में नहीं है। भाजपा से पूर्व आईएएस अधिकारी परमपाल कौर सिद्धू चुनाव लड़ रही हैं। वह राजनीति में नई जरुर हैं, लेकिन सिद्धृ के ससुर सिकंदर सिंह मलूका अकाली सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। पिछले चुनावों के दौरान गठबंधन में शिअद को जो भाजपा का साथ मिलता था, वह इस बार नहीं मिलेगा। इसी तरह कांग्रेस ने चार बार के विधायक जीत मोहिंदर सिंह सिद्धू को अपना प्रत्याशी बनाया है।
हरसिमरत को लोकसभा में एंट्री के लिए इन सभी चुनौतियों से गुजरना होगा। उनका ये चौथा लोकसभा चुनाव है। वर्ष 2009 में पहली बार चुनाव में उतरी थी। तब से लेकर अब तक वह जीत जरुर दर्ज कर रही हैं, लेकिन उनकी जीत का अंतर कम होता जा रहा है। वर्ष 2009 लोकसभा चुनाव में उन्होंने 1 लाख 20 हजार 948 मतों के अंतर से बठिंडा सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 2019 में जीत का अंत कम होकर 21 हजार 772 हो गया है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सुखबीर बादल खुद एरिया में सक्रिय हो गए हैं। पंजाब बचाओ यात्रा के बाद अब वह जल्द ही बड़ी रैली करने की भी तैयारी कर रहे हैं।