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नई दिल्ली27 मिनट पहले
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बिलेनियर-इन्वेस्टर वॉरेन बफे ने कहा कि भारतीय बाजार में कई ऐसे अवसरों की भरमार है, जिन्हें अब तक एक्सप्लोर नहीं किया गया है। साथ ही बफे ने यह भी कहा है कि इन अवसरों को भविष्य में उनके ग्रुप की होल्डिंग कंपनी बर्कशायर हैथवे एक्सप्लोर करना चाहेगी।
अमेरिका की मल्टीनेशनल कंपनी बर्कशायर हैथवे के को-फाउंडर, चेयरमैन और CEO बफे ने यह बयान शुक्रवार को बर्कशायर की एनुअल मीटिंग में दिया।
क्या बर्कशायर भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने के बारे में सोच रही है?
दरअसल, इस मीटिंग में भारतीय इक्विटी में निवेश करने वाले अमेरिका बेस्ड हेज फंड दूरदर्शी एडवाइजर्स के राजीव अग्रवाल ने 93 साल के वॉरेन बफे से सवाल किया।
राजीव ने कहा कि पिछले 5-10 साल में भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी है जो अगले कुछ साल में ही तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा।
मेरा सवाल ये है कि क्या बर्कशायर भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने के बारे में सोच रही है। इसके अलावा आप इंडियन मार्केट में निवेश करने के लिए किन बातों का ध्यान रखेंगे।
भारत में कई अनएक्सप्लोर्ड अवसर, बर्कशायर भविष्य में निवेश कर सकती है
तब बफे ने जवाब देते हुए कहा, ‘यह बहुत अच्छा सवाल है। मुझे यकीन है कि भारत जैसे देश में कई अनएक्सप्लोर्ड अवसर हैं। इनमें बर्कशायर भविष्य में निवेश कर सकती है।’
दुनिया भर में बर्कशायर की काफी इज्जत, जापान के अनुभव से हम काफी उत्साहित
मीटिंग में बफे ने कहा कि दुनिया भर में बर्कशायर की काफी इज्जत है। उन्होंने कहा कि जापान के अनुभव से हम काफी उत्साहित हैं। पिछले साल बर्कशायर ने जापान के पांच ट्रेडिंग हाउस में खरीदारी की थी। बर्कशायर ऐसी कंपनियों में स्टेक ले रही थी जो अंडरवैल्यू थीं, लेकिन उनके पास कैश सरप्लस था। वैसे बर्कशायर का बड़ा निवेश अमेरिका की कंपनियों में ही है।
बफे की एक हैरान करने वाली डील चीन की इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी BYD में स्टेक लेना भी है। बफे कंपनियों में या तो बड़ी हिस्सेदारी खरीद रहे हैं, या फिर पूरी कंपनी ही खरीद रहे हैं। वे निवेश के लिए बैंकर्स या ब्रोकर्स पर निर्भर नहीं करते हैं।
एनुअल मीटिंग से पहले बर्कशायर ने पहली तिमाही की अर्निंग रिपोर्ट जारी की
एनुअल मीटिंग से पहले बर्कशायर ने पहली तिमाही की अर्निंग रिपोर्ट जारी की थी। 31 मार्च तक कंपनी के पास कैश बढ़कर 189 बिलियन डॉलर हो गया है। वहीं एपल में कंपनी की हिस्सेदारी का साइज कम हो गया है।
बफे ने इस एनुअल मीटिंग के दौरान कई अन्य सवालों के भी जवाब दिए। इस दौरान उन्होंने बर्कशायर हैथवे के हाल ही में लिए गए कुछ प्रमुख निवेश फैसलों के बारे में बताया। वहीं बर्कशायर का एपल में अपनी हिस्सेदारी कम करना मीटिंग का एक की-टॉपिक रहा।
बफे ने क्लेरिफाई किया- एपल उनकी सबसे बड़ी होल्डिंग्स में से एक बनी रहेगी
बफे ने क्लेरिफाई किया कि इसका स्टॉक पर लॉन्ग-टर्म व्यू से कोई लेना-देना नहीं है और हालिया मंदी के बावजूद एपल शायद उनकी सबसे बड़ी होल्डिंग्स में से एक बनी रहेगी। बफे ने शेयरहोल्डर्स से यह भी कहा कि वाइस चेयरमैन ग्रेग एबेल और अजीत जैन ने उनके जाने के बाद बर्कशायर को लीड करने के लिए खुद को सही व्यक्ति साबित किया है।