नई दिल्ली. ऑटो-स्वीप फैसिलिटी (Auto Sweep Facility) एक बैंकिंग सुविधा है जो आपके सेविंग्स अकाउंट और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के फायदे एक साथ देती है. इसमें आप सेविंग्स अकाउंट में जो एक्सट्रा पैसा रखते हैं, उसे बैंक अपने आप एक FD में बदल देता है, जिससे आपको FD जैसा ब्याज मिलता है. इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर आप उसे बिना FD तोड़े आसानी से निकाल भी सकते हैं, जैसे सेविंग्स अकाउंट से पैसे निकालते हैं. आप अपने बैंक जाकर अपने सेविंग अकाउंट में स्वीप-इन-एफडी का ऑप्शन चुन सकते हैं.
इस स्कीम की खास बातें:
ब्याज दर-
ऑटो स्वीप अकाउंट में जो अतिरिक्त रकम FD में बदली जाती है, उस पर FD की तरह ब्याज मिलता है (जैसे 6%–7% तक, बैंक के हिसाब से). सेविंग्स अकाउंट की तुलना में यह ब्याज ज्यादा होता है.
लिक्विडिटी-
अगर आपको पैसे की जरूरत होती है तो आप किसी भी समय पैसे निकाल सकते हैं. जितनी रकम की जरूरत होती है, उतनी FD से अपने आप टूट जाती है.
थ्रेसहोल्ड लिमिट-
बैंक एक थ्रेसहोल्ड लिमिट तय करता है (जैसे ₹25,000). इससे ऊपर का पैसा अपने आप FD में बदल जाता है. बैंक अकाउंट होल्डर को जरूरत के हिसाब से इसे कस्टमाइज करने का विकल्प भी देता है.
टेन्योर-
स्वीप-इन एफडी की अवधि बैंक के नियमों और ग्राहक की पसंद पर निर्भर करती है. स्वीप-इन एफडी आमतौर पर 1 से 5 साल के लिए होती है.
मान लीजिए आपके सेविंग्स अकाउंट में 50,000 रुपये हैं और थ्रेशोल्ड लिमिट 25,000 रुपये है. बचे 25,000 रुपये एफडी में ट्रांसफर हो जाएंगे, जिस पर 6-7 फीसदी तक ब्याज कमा सकते हैं. अगर आप 40,000 रुपये निकालना चाहते हैं, तो 25,000 रुपये सेविंग्स से और 15,000 रुपये एफडी से स्वीप-इन होगा.