Sunday, July 6, 2025
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Aiims Will Maintain An Eye On The Modifications Occurring With Rising Age – Delhi Information


उम्र के आधार पर शोध के लिए बनाया पांच ग्रुप, हर ग्रुप में होंगे 40 सदस्य, तीन साल बाद मिलेगा परिणाम

10 साल से 80 की उम्र के लोगों पर शोध करने जा रहा एम्स

दिल, दिमाग, मन समेत शरीर के दूसरे अंगों की बनावट का सूक्ष्म स्तर पर होगा अध्ययन

अमर उजाला ब्यूरो

नई दिल्ली। बढ़ती उम्र के साथ शरीर में होने वाले बदलाव सहित दूसरे कारणों का पता लगाने के लिए एम्स शोध शुरू करेगा। इस शोध के लिए 10 साल से 80 साल की उम्र के लोगों का चयन किया जाएगा। शोध के दौरान इन चयनित लोगों के दिल, दिमाग, मन समेत शरीर के दूसरे अंगों की बनावट और उसमें होने वाले बदलाव का सूक्ष्म स्तर पर अध्ययन किया जाएगा। इसमें देखा जाएगा कि उम्र बढ़ने के साथ इनमें क्या बदलाव होता है। शोध के लिए कुल 200 लोगों का चयन होगा। इन 200 लोगों को उम्र के आधार पर पांच अलग-अलग ग्रुप में बांटा जाएगा। ग्रुप बनाने के दौरान एक ही परिवार के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि अध्ययन के दौरान पूरी पीढ़ी के कारकों का अध्ययन किया जा सके। यह अध्ययन तीन साल तक चलेगा। अध्ययन के बाद पता चलेगा कि बुजुर्ग होने के साथ शरीर की बनावट व दूसरे हिस्सों में क्या बदलाव आते हैं। इससे भविष्य में होने वाले रोग की पहले ही पहचान हो सकेगी। साथ ही उक्त रोग के कारणों का भी पता चल सकेगा।

विशेषज्ञ बताते हैं कि हर पीढ़ी में कोई न कोई कारण होते हैं जो उम्र बढ़ने के साथ शरीर को कमजोर बनाते हैं। साथ ही शरीर को रोगी भी बनाता है। कारण पता चलने पर उक्त कारकों को पहले ही सुधारा जा सकेगा। वृद्धावस्था चिकित्सा विभाग की डॉक्टर राशि जैन ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ पीढ़ी में होने वाली जटिलताओं को सुलझाने में मदद मिलेगी। शोध के लिए अत्याधुनिक तकनीकों और बहु-विषयक दृष्टिकोण को चुना गया है। शोध के बाद कारणों का पता चल जाएगा। भविष्य में उन कारणों के आधार पर जांच की सुविधा विकसित की जाएगी। साथ ही वैज्ञानिक और स्वास्थ्य देखभाल को भी तैयार किया जा सकेगा।

इनका होगा सूक्ष्म विश्लेषण

– आनुवंशिकी

– शारीरिक क्रिया विज्ञान

– पर्यावरणीय कारक

– शरीर के अंगों की नियमित जांच

– शरीर को बुजुर्ग बनाने वाले कारक की जांच

– उम्र के साथ ब्रेन के काम करने की क्षमता

क्या होगा फायदा

बुजुर्ग होने वाले रोग के लिए जिम्मेदार जीन की पहचान हो सकेगी। इसकी मदद से युवा उम्र में ही उसका इलाज हो सकेगा। इससे पीढ़ी में होने वाली समस्या को रोका जा सकता है।

शोध में मिलेगा अंतर

तीन साल तक चलने वाले शोध के दौरान जवान और बुजुर्ग के जीन में बदलाव को देखा जाएगा। साथ ही पता लगाया जाएगा कि किन जीन के कारण भविष्य में रोग हुए हैं और इन रोग के लिए क्या कारक जिम्मेदार हैं। इनका पता चलने के बाद युवावस्था में ही उसका इलाज किया जा सकेगा।

बनाए गए ग्रुप

– किशोर (10-19)

– माता-पिता (40-59)

– मध्यम आयु वर्ग के वयस्क (40-59)

– दादा-दादी (60-79)

– परदादा (80 से अधिक उम्र)

बॉक्स

इन पर रहेगी नजर

– संज्ञानात्मक

– कार्यात्मक

– पोषण संबंधी आकलन

– उन्नत रक्त आधारित आकलन

बॉक्स

कोई भी ले सकता है भाग

अध्ययन में भाग लेने के लिए कोई भी 9599556056, 9654936598 पर संपर्क कर सकता है। साथ ही longevityproject.aiims@gmail.com पर मेल कर सकता है।



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