पिछले कई महीनों से नगर परिषद में भ्रष्टाचार की लगातार शिकायत आ रही हैं। इसको देखते हुए नगर परिषद दौसा की सचिव मोनिका सोनी ने बड़ा एक्शन लेते हुए जांच कमेटी का गठन किया है।
इसके चलते स्वायत्त शासन विभाग राजस्थान के द्वारा जिन ठेकेदार फर्म के खिलाफ शिकायत प्राप्त हुई थी उनके बैंक अकाउंट जांच पूरी होने तक सीज कर दिए गए हैं।

नगर परिषद सचिव मोनिका सोनी।
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दौसा नगर परिषद सचिव मोनिका सोनी ने बताया कि पिछले कई दिनों से लगातार नगर परिषद के कार्यों में हुई धांधली और भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थीं। नगर परिषद को मिली शिकायत की माने तो दौसा नगर परिषद के ही कई पार्षदों द्वारा स्वयं या पिता/भाई द्वारा संचालित फर्मों के माध्यम से विभिन्न विकास कार्यों के ठेके प्राप्त कर अनियमितता, भ्रष्टाचार, धांधली की बात सामने निकलकर आई। शिकायत पर अब स्वायत्त शासन विभाग राजस्थान सरकार का डंडा चला है, जिसके चलते जिन फर्मों की शिकायतें नगर परिषद में धांधली के नाम पर प्राप्त हुई थीं उन फार्मों के बैंक अकाउंट जांच पूरी होने तक फ्रीज कर दिए गए हैं।
भ्रष्टाचार और धांधली के मामले में अब स्वायत्त शासन विभाग राजस्थान सरकार एक्टिव मोड में आ गया है। राजस्थान सरकार स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक और संयुक्त सचिव सुरेश कुमार ओला ने आदेश जारी कर जांच का गठन किया है।
जांच दल में उप निदेशक (क्षेत्रीय), स्थानीय निकाय विभाग, जयपुर, ओमप्रकाश शर्मा सहायक लेखाधिकारी प्रथम निदेशालय, किशोर कुमार सहायक लेखाधिकारी प्रथम उप निदेशक (क्षेत्रीय), स्थानीय निकाय विभाग, जयपुर, धर्मेन्द्र चौधरी सहायक अभियन्ता, निदेशालय को लगाया गया है।
जांच दल को प्रकरण की विस्तृत जांचकर अपनी रिपोर्ट के साथ अभिशंशा 07 दिनों में देने के आदेश भी जारी किए गए हैं। बताया जा रहा है कि गणपति एंटरप्राईजेज, नीलकंठ एंटरप्राइजेज, निर्माण कं. कंपनी, एच. के. क. कंपनी, भौमाराम बंशीवाल, सीमा क. कंपनी, शील्ड क. कंपनी को जांच के दायरे में लिया गया है। जानकारी के अनुसार उक्त फर्मों को खाते भी सीज किए गए हैं। जांच में क्लीन चिट नहीं मिलने तक इन फर्मों के खातों से लेनदेन भी बंद किया गया है।
उधर, कार्रवाई नगर परिषद सचिव मोनिका सोनी को पार्षदों की फर्मों द्वारा निविदा के नाम पर विकास कार्यों में हुए भारी भ्रष्टाचार, अनियमितताएं, धांधली, मनमर्जी कर राजकीय कोष और राजस्व को नुकसान पहुंचाने वाली फर्मों की शिकायत की गई। अब देखने वाली बात ये होगी कि जिन फर्मों की शिकायतें प्राप्त हुई हैं, उनमें कितना और किस तरह का भ्रष्टाचार सामने आएगा।