पंकज सिंगटा/शिमला. शिमला में ब्रिटिशकाल से लेकर अब तक बहुत कुछ बदल गया है. 25 से 30 हजार लोगों के लिए बसाए गए इस शहर की आबादी इन दिनों ढाई लाख से ज्यादा है. लिहाजा कभी अपनी साफ-सफाई और बेहतरीन आबो-हवा के लिए जाना जाने वाला शिमला अब थोड़ा व्यस्त दिखने लगा है. हालांकि आज भी इस शहर के ऊपर ब्रिटिशकाल की छाप देखी जा सकती है. यहां आने वाले पर्यटक पुराने समय की यादें ताजा करने भी शिमला आते हैं.
लोकल 18 से बातचीत में 86 वर्षीय बुजुर्ग विजय कुमार ने बताया कि पुराना शिमला, मौजूदा शहर के मुकाबले ज्यादा बेहतर था. इसका कारण यह है कि पुराना शिमला अधिक साफ-सुथरा रहा करता था. विजय कुमार बताते हैं कि उन दिनों ड्राई टॉयलेट्स हुआ करते थे, सड़कें बहुत साफ हुआ करती थी. जनसंख्या बहुत कम थी, जिस कारण गंदगी भी बहुत कम होती थी. अब जनसंख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है. शिमला को जहां करीब 25 से 30 हजार लोगों के लिए बसाया गया था, वहां अब ढाई लाख की आबादी हो चुकी है.
सामाजिक संबंध और रिश्तों पर असर
लोकल18 से बातचीत में विजय कुमार बताते हैं कि शहरीकरण के प्रभाव में पहाड़ के इस शहर का सामाजिक ताना-बाना भी बदला है. लोग पहले जहां एक-दूसरे के मदद को तत्पर रहते थे, वहीं अब लोग अपने काम से काम रखते हैं. समाज में स्वार्थी तत्व बढ़ गए हैं. सिर्फ अपने लाभ की ओर ध्यान रहता है. विजय कुमार कहते हैं कि मोबाइल के आने से पारिवारिक और सामाजिक ताने-बाने को ज्यादा नुकसान पहुंचा है. समाज में आपसी भाईचारे में कमी आई है. सामूहिक परिवार की अवधारणा टूट रही है. बुजुर्गों का मान कम हो रहा है. पुराने शिमला में ऐसी बातें देखने को नहीं मिलती थीं.
FIRST PUBLISHED : Could 7, 2024, 16:32 IST