मोहन ढाकले/ बुरहानपुर. अक्सर पेड़ पौधे लगाने के लिए सबसे अधिक आवश्यकता पानी की होती है. यदि समय पर पेड़ पौधों को पानी दिया जाए तो वे बड़े होते हैं और उन पर फल फूल लगना शुरू हो जाते हैं. मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में रहने वाली महिलाओं ने एक ऐसी तकनीक से औषधीय पौधे लगाए हैं कि इन महिलाओं को घर का पानी खर्च नहीं करना पड़ रहा है. महिलाएं नाले के पानी से औषधीय पौधे संचित कर रही है.
यहां 10 वर्ष से महिलाएं औषधीय पौधे लगा रही हैं, जहां पर आधा दर्जन प्रजाति के पौधे लगे हुए हैं. इस गार्डन से कॉलोनी में रहने वाली सभी महिलाएं इस औषधीय पौधों से फल फूल और पत्तियां ले जाकर अपने घर में इस्तेमाल करती हैं. इसका कोई शुल्क नहीं देना होता है.
पान, मेहंदी सहित आधा दर्जन वैरायटी के औषधीय पौधे
Local 18 की टीम को वत्सला वाटिका की प्रतिभा शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि पहले कॉलोनी में गार्डन नहीं था. हमारे द्वारा गार्डन बनाया गया. पानी देने के लिए काफी परेशानी होती थी. पानी समय पर नहीं दे पाते थे, लेकिन अब हमने एक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया. घरों से निकलने वाले वेस्ट पानी को शुद्ध कर हम इन औषधीय पौधों में डालते हैं. यहां पर आधा दर्जन प्रजाति के औषधीय पौधे लगाए गए हैं. इन पौधों से निकलने वाली सामग्री हम सभी महिलाएं अपने घर में यूज करती हैं. सुबह के समय 7 बजे से 9 तक और शाम 5 बजे से 6 बजे तक महिलाएं गार्डन में साफ सफाई के लिए समय भी देती हैं. एक दर्जन से अधिक महिलाएं जुड़ी हुई हैं, जो यह कार्य निरंतर पिछले 10 वर्षों से कर रही हैं.
गार्डन में लगे हैं यह पौधे
गार्डन में आधा दर्जन प्रजाति के पौधे लगे हैं, जिसमें मेहंदी, पान, एलोवेरा, तुलसी, नींबू के पौधे लगाए गए हैं. इस गार्डन में करीब 50 से अधिक औषधीय पौधे हैं. इन पौधों में घरों से पूजन सामग्री में निकलने वाले फूल फल के पत्ते से तैयार खाद बनाकर डाली जाती है.
ऐसे बनाया देसी ट्रीटमेंट प्लांट
कॉलोनी की महिलाओं का कहना है कि हमारी नारायण नगर कॉलोनी में करीब दो दर्जन से अधिक मकान हैं. इन मकानों से निकलने वाला वेस्टेज पानी नाले के थ्रू बाहर चला जाता था, लेकिन हमने
ऐसा देसी ट्रीटमेंट प्लांट बनाया. हमने गार्डन में एक बड़ा सा गड्ढा खोदा जिसमें हमने पानी को साफ करने के लिए गिट्टी, चूरी कोयला, नमक और फिटकरी डाली और नालियों से आने वाला पानी उसमें जमा करना शुरू किया और मोटर लगाकर अब हम यह पानी औषधीय पौधों को दे रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 18, 2024, 10:45 IST