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Sudarshan Plant Advantages: हम जिस चमत्कारी पौधे की बात कर रहे हैं, उसका नाम सुदर्शन है. इसका उपयोग सिर्फ औषधीय गुणों तक सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य में इसके रेशे से कपड़ा निर्माण की संभावनाएं भी नजर आ रही हैं. य…और पढ़ें

सुदर्शन पौधे की तस्वीर
हाइलाइट्स
- सुदर्शन पौधा औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है.
- भविष्य में सुदर्शन से कपड़ा निर्माण संभव.
- सुदर्शन पौधे से भोजपत्र भी बनता है.
शशांक शेखर/जहानाबाद. प्रकृति में कई औषधीय पौधे मौजूद हैं, जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद साबित होते हैं. आयुर्वेद में ऐसे कई पौधों का उल्लेख मिलता है, जो गंभीर बीमारियों से निजात दिलाने में सहायक होते हैं. इनमें से एक खास पौधा सुदर्शन है, जो न केवल अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके रेशों का उपयोग भविष्य में कपड़ा निर्माण में भी किया जा सकता है. यह पौधा जितना आकर्षक दिखता है, उतना ही प्रभावी भी होता है, और इसका उपयोग अब केवल बीमारियों तक सीमित नहीं रह गया है.
कैसे करें इसकी खेती
मगही पान अनुसंधान केंद्र, इस्लामपुर के तकनीशियन अवधेश प्रसाद चौरसिया, जो पौधे की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखते हैं, ने बताया कि सुदर्शन पौधे से ही भोजपत्र बनता है, जिस पर रामायण लिखी गई थी. इस पौधे में तंतु की प्रचुरता होती है, जिससे भविष्य में तसर वस्त्र और धागे का निर्माण संभव हो सकता है. अगर आप इसकी खेती करना चाहते हैं, तो इसके कंद का उपयोग कर सकते हैं. बीज के मुकाबले कंद अधिक सफल होता है और तेजी से विकसित होता है. इसे आसानी से किसी भी उपयुक्त स्थान पर लगाया जा सकता है.
इन बातों का रखें खास ध्यान
अवधेश प्रसाद चौरसिया ने बताया कि सुदर्शन पौधे की रोपाई के दौरान कम से कम 60 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए, ताकि पौधे को पर्याप्त स्थान और पोषण मिल सके. इसकी खेती के लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं है, यानी इसे सालभर कभी भी लगाया जा सकता है. हालांकि, ध्यान देना जरूरी है कि जहां पौधा लगाया जाए, वहां पानी का ठहराव न हो, क्योंकि अत्यधिक नमी से पौधे की जड़ें खराब हो सकती हैं.
इन रोगों में करता है बेहतर काम
अवधेश प्रसाद के अनुसार, सुदर्शन एक बहुपयोगी औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग कई स्वास्थ्य समस्याओं में किया जा सकता है. कान के दर्द में इसके रस को हल्का गर्म कर डालने से राहत मिलती है. यह जख्म और चर्म रोग में भी फायदेमंद साबित होता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार लगाने के बाद चार साल तक यह पौधा आसानी से टिक सकता है. इसके कंद से भोजपत्र तैयार होता है, जिसका ऐतिहासिक महत्व है. इसकी पत्तियां 12 से 14 सेंटीमीटर लंबी होती हैं, और कंद से कागज जैसी पतली परतें निकलती हैं, जिससे भविष्य में इसे कई उपयोगों के लिए विकसित किया जा सकता है.