पंकज सिंगटा/शिमलाः हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर में अब ट्रैकर्स केवल स्वीकृत मार्गों पर ही ट्रैकिंग कर पाएंगे. इस दौरान किसी भी प्रकार के मार्ग परिवर्तन की अनुमति नहीं मिलेगी. किन्नौर जिले में ट्रैकिंग के लिए ट्रैकिंग दलों को वन विभाग की अनुमति लेना जरुरी होगा. इसके साथ ही ट्रैकिंग दलों को जीपीएस ट्रैकर भी साथ रखना होगा. दलों की सुरक्षा के लिए उपायुक्त किन्नौर द्वारा यह फैसला लिया गया है. जिला किन्नौर जनजातीय जिला है और यहां पर्यटन सहित ट्रैकिंग की अपार सम्भावनएं हैं. किन्नौर में पर्यटकों की सुरक्षा को सुनश्चित करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा यह कदम उठाये गए हैं.
उपायुक्त किन्नौर डॉ. अमित कुमार शर्मा ने बताया कि किन्नौर जिले में ट्रैकरों की सुरक्षा के मद्देनजर ट्रैकिंग दलों को वन विभाग की स्वीकृति लेना जरूरी होगा. उन्हें जीपीएस ट्रैकर भी साथ रखना होगा. जीपीएस ट्रैकर के माध्यम से किसी भी तरह की आपातकालीन स्थिति में जिला प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई अमल में लाई जा सकेगी.
ट्रैकिंग करवाने के लिए क्या होनी चाहिए योग्यता
डॉ. अमित ने बताया कि अधिक ऊंचाई वाले ट्रैक, कठिन ट्रैक और किसी भी प्रकार के पर्वतारोहण अभियानों के लिए, राष्ट्रीय पर्वतारोहण संस्थानों की ओर से जारी बेसिक एडवांस कोर्स सर्टिफिकेट को ट्रैकिंग के उद्देश्य के लिए पर्याप्त माना जाना चाहिए. पर्वतारोहण अभियानों के लिए भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन यानि आईएमएफ की ओर से अनुमोदित पर्याप्त योग्यता होनी चाहिए. ट्रैकिंग करवाने वाला और करने वाला व्यक्ति शारीरिक रूप से भी फिट होना चाहिए.
वेबसाइट पर उपलब्ध करवानी होगी ट्रैक की सूचि
जिले में ट्रैकर्स को ट्रैकिंग करवाने, शिविर या तम्बू लगाने के लिए ऑपरेटर को वन विभाग की अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा ट्रैकिंग के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले सभी प्रकार के उपकरण, जैसे रस्सियां, स्ट्रैटेचेर आदि को एक अलग किट में रखना होगा. ऑपरेटर को सुनिश्चित करना होगा कि ट्रैकिंग केवल स्वीकृत मार्ग पर ही की जाए, किसी भी मार्ग के परिवर्तन की अनुमति नहीं दी जाएगी. ऑपरेटरों को कारोबार के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले मार्ग, ट्रैकिंग के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले ट्रैक और चोटियों की सूची अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध करनी होगी. इसमें कठिनाई के स्तर को भी दर्शाया जाना जरूरी होगा. ऐसा करने से पर्यटन विभाग के प्रतिभागियों को उस क्षेत्र की आसान समझ और पहुंच होगी.
ट्रैकिंग के दौरान ऑपरेटर को यह सुनिश्चित करना होगा कि ट्रैकिंग गतिविधि केवल अथॉरिटी द्वारा समय-समय पर बताए गए मौसम के दौरान सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले की जाए. यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सभी ट्रैकिंग समूह जियो ट्रैक किये गए हों. जिओ ट्रैकिंग से जिला प्रशासन और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ट्रैकर्स पर निगरानी रख पाएंगे. इसके साथ ही ऑपरेटर को ट्रैकिंग शुरू होने से पहले और खत्म होने के बाद, ट्रैकर्स सहित प्रमाणित गाइड और प्रशिक्षकों की सूची भी संबंधित पुलिस थाना या चौकी में जमा करवानी होगी.
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FIRST PUBLISHED : Might 10, 2024, 17:05 IST