Sunday, March 16, 2025
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पर्युषण पर्व पर अन्य धर्मों के लोग भी करते है जैन साधना, जानिए क्या है इस पर्व का महत्व


रवि पायक/ पाली: पाली में जैन समाज द्वारा मनाए जा रहे पर्युषण पर्व के अवसर पर समाज में भारी उत्साह देखा जा रहा है. ऐतिहासिक नवलखा जैन मंदिर में विभिन्न अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें समाज के सदस्य पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ शामिल हो रहे हैं. इस पर्व के दौरान, जैन श्रावक-श्राविकाओं के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग भी साधु-साध्वियों की निश्रा में आठ दिन तक जैन साधना में लीन रहते हैं. वे जैन धर्म के अनुयायियों की तरह उपवास और व्रत रखते हैं और प्रतिष्ठान बंद कर धार्मिक क्रियाओं में शामिल होते हैं. पर्व के समापन पर क्षमायाचना की जाती है.

समाजबंधु धर्म आराधना में लीन
पर्युषण पर्व, जिसे ‘पर्वाधिराज’ भी कहा जाता है, इस दौरान जैन समाज के अनुयायी धर्म आराधना में पूरी तरह लीन रहते हैं. यह पर्व तप, त्याग और अहिंसा का संदेश देता है और साम्प्रदायिक सौहार्द की भावना को मजबूत करता है. समाज के सभी वर्ग इस पर्व में एक साथ आते हैं और आपसी सौहार्द और समर्पण से पर्व का महत्व बढ़ाते हैं.

प्रतिष्ठान भी रखते हैं बंद
जैन समाज के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी पर्युषण पर्व की आराधना में भाग लेते हैं. माली समाज के घमंडीराम ने बताया कि वे अपनी दुकान बंद रखकर आठ दिनों तक साधु वस्त्र धारण करते हैं और प्रतिदिन व्याख्यान सुनने के साथ प्रतिक्रमण और अन्य धार्मिक क्रियाएं करते हैं. उन्होंने कहा कि गुरु रुपमुनि की कृपा से वे इस पर्व को मना रहे हैं और कम से कम रात्रि भोजन का त्याग करते हैं.

नवकार मंत्र की आराधना
ब्राह्मण श्यामलाल शर्मा ने बताया कि वे वर्ष 1996 से पर्युषण पर्व कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बचपन में जैन समाज के साथ रहकर नवकार मंत्र सीखा और तब से यह पर्व उनकी जीवनशैली का हिस्सा बन गया है. उन्होंने बताया कि वे साधु-संतों की सेवा में लगे रहते हैं और जैन धर्म के धर्मस्थलों की यात्रा भी कर चुके हैं.

पर्युषण पर्व का महत्व
पर्युषण पर्व जैन समाज का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भाद्रपद मास में मनाया जाता है. परि का अर्थ चारों ओर से होता है और उषण का अर्थ है धर्म की आराधना. यह पर्व आत्म-चिंतन, तप और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्रदान करता है. हजारों साल पुरानी जैन परंपरा के अनुसार, यह पर्व 24 तीर्थंकरों की शिक्षाओं, विशेष रूप से भगवान महावीर की शिक्षाओं का पालन करने के लिए मनाया जाता है.

Tags: Local18, Rajasthan information



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