कहा जाता है किसी भी व्यक्ति की सफलता के पीछे उसके गुरु का मागदर्शन होता है. वह गुरु शिक्षक हो या मां-बाप, गुरु के सानिध्य में रहकर किसी भी मंजिल को प्राप्त किया जा सकता है. ठीक ऐसा ही हुआ अनिकेत कुमार द्विवेदी के साथ. वह दिल्ली से आईएएस बनकर जब लौटा तो परिजनों के साथ ही गांव के लोग झूम उठे और उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया.
Supply hyperlink