क्रिकेट की बात हो और मुंबई की चर्चा न हो, ऐसा हो नहीं सकता. टी20 वर्ल्ड कप चैंपियन टीम इस वक्त मुंबई में है और लाखों की भीड़ के बीच जीत का जश्न मना रही है. इससे पहले वह गुरुवार सुबह ही विशेष विमान से स्वदेश लौटी. फिर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की. अब वह क्रिकेट के दीवानों के बीच जश्न मानने मुंबई पहुंच गई है.
मुंबई में ऐतिहासिक वानखेड़े स्टेडियम से मरीन ड्राइव के रास्ते नरीमन प्वाइंट तक खुली बस में विक्ट्री परेड निकाली गई. इस दौरान पब्लिक पूरी तरह पागल हो चुकी थी. अपने चहेते क्रिकेटर्स की एक झलक पाने के लिए इस कदर भीड़ उमड़ी कि उसकी तुलना दुनिया के किसी अन्य खेल इंवेंट से करना मुश्किल था. हां, निश्चित तौर पर यूरोप और अमेरिका में फुटबॉल को लेकर वहां की जनता पागल रहती है, लेकिन भारत की इस भीड़ को देखकर उनका वह पागलपन भी बौना लगता है.
जश्न मुंबई में क्यों
खैर, हम बात कर रहे हैं आखिर इस जश्न के लिए मुंबई को क्यों चुना गया? वैसे तो इसका कोई सीधा जवाब नहीं है लेकिन हम कह सकते हैं कि इस वक्त मुंबई की भीड़ को देखर ऐसा लगता है कि देश के किसी अन्य शहर में ऐसी ही दीवानगी दिखती… ऐसा भरोसे के साथ नहीं कहा जा सकता.
देश में क्रिकेट के जन्म की बात करें तो इसकी शुरुआत कोलकाता से हुई. कोलकात में विश्व प्रसिद्ध इडेन गार्डन स्टेडियम है. इसकी स्थापना 1864 में हुई थी. दरअसल, उस वक्त से लेकर 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक कोलकाता ब्रिटिश राज का केंद्र रहा. यहीं से क्रिकेट का भी पूरे देश में विस्तार हुआ. हालांकि, बंगाल क्रिकेट संघ की स्थापना 1928 में हुई. लेकिन, इससे पहले 1792 में कोलकाता क्रिकेट क्लब की स्थापना हुई थी. यह दुनिया का दूसरा सबसे पुराना क्रिकेट क्लब था. फिर 10 दिसंबर 1927 में बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल ऑफ इंडिया (BCCI) की स्थापना हुई. इसके बाद से कोलकाता लंबे समय तक देश में क्रिकेट का केंद्र रहा.
फिर आजादी और कोलकाता की चमक फीकी पड़ने के साथ क्रिकेट का मक्का मुंबई बनने लगा. 1970 के दशक में वानखेड़े स्टेडियम अस्तित्व में आया. यहीं पर आज बीसीसीआई का हेडक्वाटर्स है. लेकिन, इससे पहले इसके आसपास कई अन्य ग्राउंड थे जहां इंटरनेशनल क्रिकेट खेले जाते थे. बीसीसीआई का हेडक्वाटर्स बनने के बाद दुनिया के क्रिकेट मैप पर मुंबई की आज एक खास पहचान है.
मुंबई देश की आर्थिक राजधानी भी है. शरद पवार के बीसीसीआई प्रेसिडेंट रहने के वक्त इसको अलग पहचान मिली. ऐसे में आधुनिक समय में क्रिकेट का मक्का कोलकाता या मद्रास (चेन्नई) नहीं मुंबई है. यहां 1983 और 2011 की विश्वविजेता टीमों का भी स्वागत हुआ था. अन्य खेले के विजेताओं का भी मुंबई में स्वागत होता रहा है. दरअसल, मुंबई की तासीर दिल्ली-कोलकाता से बिल्कुल अलग है.
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FIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 18:34 IST