Covaxine Aspect Results in Girls: भारत वायोटेक द्वारा विकसित कोरोना के खिलाफ कोवेक्सिन के गंभीर साइड इफेक्ट्स सामने आ रहे हैं. बीएचयू की नई स्टडी में दावा किया गया है कि जिन लोगों ने कोवेक्सिन वैक्सीन लगाई है, उनमें 30 प्रतिशत को किसी न किसी तरह के साइड इफेक्ट्स देखे गए. वहीं महिलाओं में इस कारण पीरियड्स संबंधी बड़ी दिक्कतें भी देखी जा रही हैं. ज्यादातर कोवेक्सिन लगाने वालों को सांसों से संबंधित समस्याओं का सामना कर पड़ रहा है. बीएचयू के डॉ. संखा सुभ्रा चक्रवर्ती के नेतृत्व में कोवेक्सिन के साइड इफेक्ट्स को लेकर पिछले एक साल तक स्टडी की गई. 926 लोगों पर अध्ययन किया गया जिनमें 50 प्रतिशत लोगों ने सांसों से संबंधित किसी न किसी तरह की समस्याओं का जिक्र किया. गौरतलब है कि कोरोना महामारी के विकराल समय में बेहद तेजी से वैक्सीन बनाने की जरूरत थी. इस क्रम में पहले कोविशील्ड वैक्सीन आई, इसके बाद स्वदेशी तकनीक पर आधारित कोवेक्सिन लोगों को दी गई.
हर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स
न्यूज 18 से खास बातचीत में आईसीएमआर के पूर्व डीजी डॉ. एन. के गांगुली ने बताया कि चाहे कोई भी वैक्सीन क्यों न हो, सबमें कुछ न कुछ साइड इफेक्ट्स होते ही हैं. उन्होंने कहा कि जब कोरोना महामारी के दौर से पूरी दुनिया गुजर रही थी, तब पहली जरूरत वैक्सीन की थी. हमें इसमें सफलता मिली. इस वैक्सीन से लाखों लोगों की जान बचाई गई. इसके जो अब साइड इफेक्ट्स देखे जा रहे हैं, वे बहुत मामूली हैं. उन्होंने कहा कि बेशक कुछ लोगों के खून में थक्का बनने लगा हो या कुछ महिलाओं के पीरियड्स संबंधी बड़ी दिक्कतें हुई हों, लेकिन ऐसा बहुत कम लोगों के साथ हो रहा है.
इसलिए इससे बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. ये साइड्स इफेक्ट्स भी बहुत दिनों के बाद फॉलो अप में देखे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीएचयू की तरह आईसीएमआर ने बहुत पहले ही फॉलो अप किया था. उस फोलो अप में भी स्किन एलर्जी हो रही थी जबकि कुछ को रेस्पिरेट्री इनफेक्शन भी था. स्किन एलर्जी भी कॉमन फैक्टर है. युवाओं में महिलाओं में भी यह देखा गया है कि इसका असर पड़ा है. इसके बावजूद लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. डॉ. एन के गांगुली ने बताया कि हमें यह समझने की जरूरत है जो वैक्सीन अब आ रही हैं, वह रिफाइंड है. उन्होंने कहा कि चाहे वह पोलियो की वैक्सीन ही क्यों न हो, हर वैक्सीन में कुछ न कुछ साइड इफेक्ट्स जरूर है.
घबराने की जरूरत नहीं
डॉ. एन के गांगुली ने कहा कि कोवेक्सिन लेने वालों में सांसों से संबंधित जो परेशानियां हो रही हैं, उनमें हमें यह भी देखना होगा कि इसके कारण सिर्फ कोवेक्सिन ही हैं या और भी कुछ. क्योंकि ऐसी समस्याएं लाइफस्टाइल से संबंधित भी हो सकती है. उन्होंने कहा कि शुरुआत में फोलो-अप नहीं लिया जाता, इसलिए कंपनियों का दावा कुछ और होता है लेकिन फोलो अप के बाद सबकुछ पता चलता है. फोलो-अप में कई नई चीजें भी पता चलती है. हालांकि अच्छी बात यह है कि फोलो अप में भी साइड इफेक्ट्स के बहुत कम प्रतिशत हैं. इसलिए घबराने की कोई जरूरत नहीं है.
इस तरह की हो रही हैं दिक्कतें
इस स्टडी के मुताबिक एक प्रतिशत लोगों में स्ट्रोक और गुलैन बैरे सिंड्रोम भी देखा गया. इसके अलावा स्किन से संबंधित बीमारियां, नसों से संबंधित परेशानियां और सामान्य डिसॉर्डर जैसी परेशानियां किशोर उम्र वाले लोगों में भी देखा गया. इन सबके अलावा 5.8 प्रतिशत लोगों में मसल्स से संबंधित परेशानियां भी देखी गई. अध्ययन में पाया गया कि 4.6 प्रतिशत कोवेक्सिन लेने वाली महिलाओं में पीरियड्स से संबंधित गंभीर दिक्कतें सामने आई. वहीं थायराइड और आंखों की परेशानियां भी कोवेक्सिन के साइड इफेक्ट्स में सामने आई.
Tags: Covaxin, Well being, Well being ideas, Way of life
FIRST PUBLISHED : Could 17, 2024, 15:18 IST