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यूपी के मुरादाबाद में गवर्नमेंट आईटीआई के बच्चों ने एक ऐसी इलेक्ट्रिक स्कूटी तैयार की है जिसकी मदद से आप अपने रोजमर्रा के काम को आसानी से कर सकेंगे और यह स्कूटी बहुत ही कम कीमत में उन्होंने तैयार की है.

बच्चों ने बनाई अनोखी इलेक्ट्रिक स्कूटी।
हाइलाइट्स
- आईटीआई के बच्चों ने बनाई इलेक्ट्रिक स्कूटी.
- कम कीमत में रोजमर्रा के काम करेगी आसान.
- स्कूटी बनाने में लगे 3 महीने और 27-28 हजार रुपए.
जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे बच्चे भी टेक्नोलॉजी के अनुसार खुद को हाईटेक बना रहे हैं. यूपी के मुरादाबाद में गवर्नमेंट आईटीआई के बच्चों ने एक बहुत ही शानदार आविष्कार किया है. उन्होंने इलेक्ट्रिक स्कूटी तैयार की है, जिसकी मदद से आप अपने रोजमर्रा के काम को आसानी से कर सकेंगे और यह स्कूटी बहुत ही कम कीमत में उन्होंने तैयार की है. बहुत जल्द ही इसे अपडेट कर वह मार्केट में उतारने का काम करेंगे. बच्चों द्वारा तैयार की गई इस स्कूटी को जो भी देख रहा है वह बच्चों की तारीफ कर रहा है और इस बाइक को चलकर इसका अच्छा फीडबैक दे रहा है.
छोटी-छोटी चीजों से मिलकर बनी है इलेक्ट्रिक स्कूटी
गवर्नमेंट आईटीआई कॉलेज में फोरमैन के पद पर तैनात राजेश कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि हमारे कॉलेज के बच्चों ने एक इलेक्ट्रिक स्कुटी बनाई है. इन बच्चों की इच्छा थी कि हम कुछ ऐसा प्रोजेक्ट बनाएं जिससे महानगर स्तर पर अच्छी पब्लिसिटी मिल सके. बच्चों ने छोटी-छोटी चीज मार्केट से खरीद कर इलेक्ट्रिक स्कूटी तैयार की है. इस स्कूटी को बनाने में करीब साढ़े 3 महीने का टाइम लगा है. इसके साथ ही इसके अंदर 27 से 28 हजार रुपए का खर्चा इसे बनाने में आया है.
3 महीने में तैयार हुई इलेक्ट्रिक स्कूटी
गवर्नमेंट आईटीआई कॉलेज के मैकेनिक मोटर व्हीकल ट्रेड के द्वितीय वर्ष के छात्र अरशद ने बताया हमने यह इलेक्ट्रिक स्कूटी का मॉडल बनाया है, जिसे बनाने में 3 महीने से अधिक का समय लगा है. इसमें चार 12-12 वोल्ट की बैटरी लगाई गई है. इसमें एक कनवर्टर है, एक कंट्रोलर है, हब मोटर 48 वोल्ट की लगाई गई है. इसके साथ ही एक एमसीबी लगाई गई है. अगर इसका कोई फ़्यूज खराब हो जाता है, तो वह ऑटोमेटिक बंद हो जाएगी, ताकि किसी अन्य चीज को नुकसान न पहुंच पाए.
कितना है एवरेज
उन्होंने कहा कि यह इलेक्ट्रिक स्कूटी रोजमर्रा की चीजों में आसानी से इस्तेमाल की जा सकती है. इसका 20 किलोमीटर का बैकअप एक बार चार्ज करने के बाद मिलेगा. उन्होंने कहा कि अगर लिथियम की बैटरी हमें मिल जाती है, तो इसका बैकअप और ज्यादा बढ़ जाता है, लेकिन यूपीएस की बैटरी की वजह से इसका बैकअप थोड़ा कम है.