नई दिल्ली. बीएस (Bharat Stage) नॉर्म्स भारत में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन मानकों (Emission Customary) को तय करते हैं. इन मानकों को सरकारी एजेंसियां कई मानदंडों को ध्यान में रखते हुए तय करती हैं. ये नॉर्म्स बताते हैं कि एक वाहन से होने वाला प्रदूषण एक तय स्तर से अधिक नहीं होना चाहिए. भारत में चलने वाले बीएस नॉर्म्स यूरोपीय उत्सर्जन मानकों (Euro norms) पर आधारित हैं और इन्हें समय-समय पर अपडेट किया जाता है ताकि वायु प्रदूषण को कम किया जा सके.
आपको बता दें कि सबसे पहले एमिशन नार्म BS1 को 2000 में लागू किया गया था. इसके 5 साल बाद 2005 में BS2 और 2010 में BS3 को लागू किया गया. कई बड़े बदलावों के साथ BS4 का नियम 2017 में बना. वहीं मौजूदा समय में BS6 एमिशन नार्म्स चल रहे हैं जिन्हें 1 अप्रैल 2020 से लागू किया गया था. आपको बता दें कि बीएस5 को स्किप कर दिया गया था.
BS6 के बाद BS7 नॉर्म्स की तैयारी
BS6 नॉर्म्स में वाहनों से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), हाइड्रोकार्बन (HC), पार्टिकुलेट मैटर (PM), और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) के स्तर को पहले से कहीं अधिक सख्त किया गया था. इस नॉर्म में डीजल वाहनों के लिए पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन 80% और NOx का उत्सर्जन 70% तक कम किया गया.
BS7 नॉर्म्स की संभावना पर बात करें, तो अभी तक सरकार द्वारा इसे लागू करने के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. हालांकि, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बढ़ते कदमों को देखते हुए भविष्य में बीएस7 नॉर्म्स की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
बीएस नॉर्म्स का उद्देश्य
बीएस नॉर्म्स का मुख्य उद्देश्य वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करना और वातावरण में हानिकारक गैसों के उत्सर्जन को कम करना है. ये नॉर्म्स सुनिश्चित करते हैं कि वाहन निर्माता समय के साथ अपने इंजनों को अधिक कुशल और पर्यावरण के अनुकूल बनाएं.
Tags: Auto Information, Automotive Bike Information
FIRST PUBLISHED : August 25, 2024, 07:00 IST