पंकज सिंगटा/शिमला. शिमला के कुफरी और फागू में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) द्वारा आलू की 4 किस्मों के बीजों का उत्पादन किया जाता है. बीजों के उत्पादन पर वर्ष 2018 से एक रोग सिस्ट निमेटोड़ के कारण कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा रोक लगा दी गई थी. इस रोग के कारण हिमाचल सहित अन्य पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में भी आलू के बीजों के उत्पादन पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन अब सीपीआरआई द्वारा इसका उपचार खोज लिया गया है और अब इन बीजों का उत्पादन फिर से शुरू हो पाएगा.
केंद्रित आलू अनुसंधान संस्थान के निदेशक बृजेश सिंह ने बताया कि 2018 से कुफरी और फागू के फार्म्स में आलू में एक सिस्ट निमेटोड का पता चला था, जो एक क्वारनटाइन पैस्ट है. इसके बाद सरकार द्वारा आलू के बीज के उत्पादन और सप्लाई पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन अब सीपीआरआई द्वारा शोध के बाद निमेटोड का तोड़ निकाल लिया गया है. इस उपचार में हमे 6 मार्च को सफलता मिली है, आलू के बीजों का उत्पादन इसी वर्ष से एक बार फिर शुरू हो पाएगा.
कौन-कौन सी किस्मों का होता है उत्पादन
सीपीआरआई की ओर से फागू और कुफरी के फार्म्स में आलू के 4 बीजों, कुफरी हिमालिनी, कुफरी गिरधारी, कुफरी ज्योति और कुफरी करन का उत्पादन किया जाता है. इन किस्मों को अलग तकनीक से उगाया जाता है, जिसे एयरोपोनिक्स कहा जाता है. इसमें निस्ट के रूप में पानी और न्यूट्रिशन दिया जाता है, जिससे पैदावार कई गुना बढ़ जाती है. अमूमन यदि आलू को उगाया जाए तो उसमें 1 बिज से 6 या 8 आलू निकलते हैं, लेकिन एरोपोनिक्स तकनीक से 1 बिज पर करीब 50 आलू की पैदावार हो सकती है और कुछ किस्मों में 70 से 90 तक भी हो सकती है. इससे पहले चरण में ही उत्पादन में कई गुना बढ़ोतरी हो जाती है और आगे की जेनरेशन को बनाने में सुविधा मिलती है.
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FIRST PUBLISHED : March 23, 2024, 12:44 IST