Wednesday, June 25, 2025
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मुंह और आंत के बैक्टीरिया से बढ़ सकती है पार्किंसंस की गंभीरता: अध्ययन


अक्सर एक्सपर्ट कहते हैं कि मुंह और आंतों के बैक्टीरिया सेहत के लिए अच्छे और जरूरी होते हैं, लेकिन कई बार ये किसी बीमारी के होने पर उसके लक्षणों को बढ़ा भी सकते हैं. खासकर, बैड बैक्टीरिया की बात की जाए तो हाल ही में हुई एक स्टडी में ये खुलासा किया गया है कि मुंह और आंतों में मौजूद बैक्टीरिया पार्किंसंस डिजीज में कई मायनों में हानिकारक साबित हो सकते हैं.

इस न्यू स्टडी के अनुसार, मुंह और आंत में मौजूद बैक्टीरिया पार्किंसंस रोग में याददाश्त और सोचने-समझने की क्षमता कम होने की समस्या को और गंभीर बना सकते हैं. किंग्स कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध में पाया गया है कि आंत के बैक्टीरिया में बदलाव इस बीमारी के लक्षणों को और बिगाड़ सकते हैं.

पार्किंसंस डिजीज को शुरुआत में पहचानना मुश्किल

पार्किंसंस की वर्तमान में अपने शुरुआती चरणों में पहचान करना बहुत मुश्किल है. माइक्रोबायोम में ये बदलाव बीमारी के शुरुआती संकेतों के रूप में काम कर सकते हैं, जिससे डॉक्टर्स को समय रहते इसका पता लगाने और इलाज करने में मदद मिल सकती है.

किंग्स कॉलेज के शोधकर्ता डॉ. सईद शोए का कहना है कि मुंह और आंत के बैक्टीरिया मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियों को प्रभावित करते हैं. इनमें होने वाला असंतुलन सूजन और प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकता है, जो मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाता है.

‘गट माइक्रोब्स’ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में 228 लोगों के लार और मल के नमूनों का विश्लेषण किया गया. इनमें पार्किंसंस के मरीजों के दो समूह थे. एक में हल्की कॉग्निटिव समस्याएं देखी गईं और दूसरे में डिमेंशिया की समस्या थी.

जब इनकी तुलना स्वस्थ लोगों से की गई तो रिजल्ट में पाया गया कि जिन लोगों में कॉग्निटिव समस्याएं थीं, उनकी आंत में हानिकारक बैक्टीरिया अधिक थे, जो संभवतः मुंह से आंत में पहुंचे थे. इसे ‘ओरल-गट ट्रांसलोकेशन’ कहते हैं, जहां मुंह के बैक्टीरिया आंत में जाकर सूजन और विषाक्त पदार्थ पैदा करते हैं, जो मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

शोध सहयोगी डॉ. फ्रेडरिक क्लासेन का कहना है कि फिलहाल ये हमें नहीं पता कि ये बैक्टीरिया कॉग्निटिव गिरावट का कारण हैं या बीमारी के कारण बढ़ते हैं, लेकिन वे लक्षणों को और खराब करते हैं.



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