Monday, July 7, 2025
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पिता प्राइवेट गार्ड… बेटा बन गया इस खेल का सबसे युवा इंटरनेशनल अंपायर, आसान नहीं रहा सफर


Final Up to date:

Mushy Tennis Younger Worldwide Umpires: 26 साल के रोहन जहानाबाद जिले का रहने वाले हैं और बचपन से ही खेलकूद में काफी रुचि है. इसलिए, कुछ रोजगार का साधन कर अपना खर्च निकालते थे और उसका सदुपयोग अपने लक्ष्य में कर…और पढ़ें

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रोहन

रोहन कुमार की खिलाड़ियों संग तस्वीर

हाइलाइट्स

  • रोहन बने सॉफ्ट टेनिस के सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय अंपायर.
  • पिता गार्ड और माता गृहिणी, फिर भी रोहन ने हासिल की सफलता.
  • ग्रेटर नोएडा में सेकंड इंडिया इंटरनेशनल सॉफ्ट टेनिस चैंपियनशिप में अंपायर बने.

जहानाबाद. “अभी मापी है मुट्ठी भर जमीन पूरा आसमां बाकी है” यह 26 साल के सफल युवा खिलाड़ी का कहना है. इनकी कहानी कुछ ऐसी है. इनके पिताजी निजी कंपनी में गार्ड की नौकरी करते हैं. घर के अन्दर प्रवेश कर जाएंगे तो आपको बैठने के लिए एक कुर्सी तक नहीं मिल पाएगी. एक छोटा सा कमरा है, जहां इन्हें अपनी ट्रॉफी रखने की जगह कम पड़ रही है. भले शहर में रह रहे हों, लेकिन सुविधा का भारी अभाव है.

हालांकि, इसके बावजूद मन में दृढ़ इच्छा शक्ति, मेहनत और लगन ने  गरीब स्थिति को भी पीछे छोड़ दिया और बना दिया सॉफ्ट टेनिस का सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय अंपायर. वर्ष 2015 सॉफ्ट टेनिस में पहली बार कदम रखने वाले रोहन ने कभी यह नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी मुकाम मिलेगी.

ऐसे बने सफल अंतरराष्ट्रीय अंपायर

दरअसल, 26 साल के रोहन जहानाबाद जिले का रहने वाले हैं. उनकी बचपन से ही खेलकूद में काफी रुचि है. इसलिए, वह पैसों से मजबूत नहीं होने के बावजूद कुछ रोजगार का साधन कर अपना खर्च निकालते थे और उसका सदुपयोग अपने लक्ष्य में करते थे. 2012 के बाद से उन्होंने सॉफ्ट टेनिस खेलना शुरू किया था. 7 साल तक सॉफ्ट टेनिस खूब खेले. अंपायर बनने के बाद भी खेल अभी भी  जारी है.  हालांकि, उन्होंने फिर अंपायर के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी. इसके लिए तमिलनाडु में प्रशिक्षण शिविर में भाग भी लिया. उसी दौरान से उनकी किस्मत की चाभी खुली और एक सफल अंतरराष्ट्रीय अंपायर बन गए.

आसान नहीं रहा खिलाड़ी से अंपायर तक का सफर

रोहन कुमार ने लोकल 18 को  बताया कि इस उपलब्धि से काफी अच्छा महसूस हो रहा है. ग्रेटर नोएडा में आयोजित सेकंड इंडिया इंटरनेशनल सॉफ्ट टेनिस चैंपियनशिप में अंपायर की भूमिका निभाकर बिहार और देश का प्रतिनिधत्व किया है. इस मुकाम तक पहुंचाने में माता-पिता और परिवार का काफी बड़ा योगदान रहा है, क्योंकि जो करना था, उसके लिए पेरेंट्स ने स्वतंत्र छोड़ा था. जब बच्चा बड़ा हो जाता है तो उनके कंधों पर परिवार की बड़ी जिम्मेदारी डाल दी जाती है, लेकिन परिवार और माता-पिता ने इस जिम्मेदारी से दूर रखा और तब जाकर ये मुकाम हासिल हुआ.

पिताजी गार्ड और माताजी हैं गृहिणी

उन्होंने बताया कि पिताजी एक सिक्योरिटी गार्ड हैं और पारिवारिक बैकग्राउंड कुछ अच्छा नहीं है. आप यही सोचिए कि जो भी ट्रॉफियां मिली है, उसे रखने की जगह हमारे पास नहीं है. ऐसे में कुछ ट्रॉफी तो इधर- उधर रख दिए हैं. अभी बच्चों को प्रेरित करते हैं और उनको सिखाते रहते हैं. साथ ही मेहनत से पीछे नहीं भागने की बात कहते हैं, क्योंकि यदि आप ईमानदारी से मेहनत करते हैं तो सफलता कभी भी आपसे दूर नहीं रह सकती है. देश में सॉफ्ट टेनिस खेल की शुरुआत 1994 से हुई और बिहार में 2004 में इस खेल की शुरुआत हुई. इस उपलब्धि पर रोहन के माताजी ने कहा कि अपने बेटे की उपलब्धि पर काफी गर्व महसूस हो रहा है.

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पिता गार्ड और माता हैं गृहिणी, आसान नहीं रहा खिलाड़ी से अंपायर बनने तक का सफर



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