ब्रजेश्वर साकी
देहरा (कांगड़ा). देश भर में रंगों का पर्व होली बड़े ही धूमधाम से मनाया गया. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के देहरा की होली भी चर्चित है. बसंत ऋतू में मनाये जाने वाले त्योहार होली में गोदडे बाबा की पूजा की जाती है. देहरा के लोगों ने इकट्ठा होकर ढोल बाजों के साथ गोदड़े बाबा और शिवदयालु मंदिर में झंडा रस्म अदा की. उसके बाद सभी लोग एक दूसरे पर गुलाल लगाया और फिर शाम को होलिका दहन किया.
मान्यता है कि सबसे पहले झण्डा पकड़ने वाले कुंवारे लड़के की शादी होती है. मान्यता यह भी है कि गोदड़े बाबा जी को रंग लगाने से लोगों के जीवन में रंग भर जाते हैं. यानी जीवन खुशहाल हो जाता है. यह परंपरा सदियों से एसे ही निभाई जा रही है. कुछ लोग बताते हैं कि सूद परिवार यहां अपने शुभ कार्यों में मंदिर दर्शनों को आते हैं. यहां नाथ समुदाय के लोग भी रहते थे.
स्थीनय निवासी संजय शर्मा ने बताया कि 1972 से वह गोदड़े बाबा जी के मंदिर आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहां कुंवारे लड़के झण्डा पकड़ें तो उनकी जल्दी ही शादी होती है. यहां बाबाजी की इतनी मेहर है कि इनको रंग लगाने से जीवन में भी खुशियों के रंग भर जाते हैं. अंकुश डोगरा ने बताया कि यहां की मान्यता अपरंपार है. विशेष कर लोग होली के दिन यहां आकर बाबाजी को रंग लगाते हैं.

क्या कहते हैं लोग
अश्वनी पूरी ने बताया कि वह मान्यता सुनकर पहली बार यहां आए हैं. वह देहरा में गैस एजेंसी चलाते है और उन्होंने बाबाजी को रंग लगाकर अपने सभी उपभोगताओं के जीवन में खुशियों के रंग भरने की कामना भी की है. भूपेश उप्पल बिजली विभाग से रिटायर्ड चीफ इंजीनियर हैं और देहरा से ही हैं. उन्होंने बचपन से ही गोदड़ बाबाजी की महिमा देखी है. उन्हीं की कृपा से उनका परिवार खुशहाल है. विकास वालिया भी देहरा के स्थानीय लोगों में से हैं. वह भी अपने बेटे कान्हा के साथ यहां आए हैं.
विकास वालिया कहते हैं कि जब वह अपने बेटे की उम्र के थे, तभी से गोदड़े बाबा जी के मंदिर अपने पिता के साथ आते रहें हैं. विकास कहते हैं कि उनके कई जानने वाले व दोस्तों की शादी नहीं हो रही थी तो उन्होंने भी सबसे पहले बाबाजी का झण्डा पकड़ा था.
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FIRST PUBLISHED : March 26, 2024, 09:01 IST